Sadhvi Prafulla Prabhashree : परमात्मा का स्मरण करने से सम्यक ज्ञान प्राप्त होता है

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श्री जैन श्वेताम्बर महासभा
श्री जैन श्वेताम्बर महासभा
  • आयड़ जैन तीर्थ में अनवरत बह रही है धर्म ज्ञान की गंगा
  • साध्वियों के सानिध्य में अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की

Aaj Samaj (आज समाज),Sadhvi Prafulla Prabhashree ,उदयपुर 24 जुलाई:
श्री जैन श्वेताम्बर महासभा के तत्वावधान में तपागच्छ की उद्गम स्थली आयड़ तीर्थ पर बरखेड़ा तीर्थ द्वारिका शासन दीपिका महत्ता गुरू माता सुमंगलाश्री की शिष्या साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री एवं वैराग्य पूर्णाश्री आदि साध्वियों के सानिध्य में सोमवार को विशेष प्रवचन हुए। महासभा के महामंत्री कुलदीप नाहर ने बताया कि आयड़ तीर्थ के आत्म वल्लभ सभागार में सुबह 7 बजे दोनों साध्वियों के सानिध्य में अष्ट प्रकार की पूजा-अर्चना की गई।

चातुर्मास संयोजक अशोक जैन ने बताया कि प्रवचनों की श्रृंखला में प्रात: 9.15 बजे साध्वी प्रफुल्लप्रभाश्री व वैराग्यपूर्णा ने चातुर्मासिक प्रवचन के माध्यम से बताया कि लोगस्स सूत्र के माध्यम से हम चौबीस जिनेश्वर परमात्मा का नाम स्मरण करते हैं और उनको वंदन करते है। हृदय में आदर और बहुमान पूर्वक परमात्मा का नाम स्मरण करने से सम्यक दर्शन गुण की प्राप्ति होती है। कल्याण मंदिर स्तोष में आचार्य सिद्धसेन दिवाकर सूरिजी म. ने बताया कि जिस प्रकार मयूर की टहुकार के साथ ही चंदन वृक्ष पर लिपटे हुए सभी सर्प एक क्षण में पलायन कर जाते हैं। उसी प्रकार परमात्मा आपके नामस्मरण के माध्यम से आप जिसके हृदय मंदिर में पधारते हो, उस आत्मा के कर्मों के बंधन शीघ्र ही शिक्षिक हो जाते हैं। घाति कर्मों के क्षय के बाद तीर्थकर नाम कर्म उदय में आता है, उस कर्म के उदय से जन्म से चार, कर्मक्षय से ग्यारह, और देवकृत से उचीस अतिशय यानि चौंतीस अतिशय सभी तीर्थकरों के एक समान होते हैं।

जैन श्वेताम्बर महासभा के अध्यक्ष तेजसिंह बोल्या ने बताया कि आयड़ जैन तीर्थ पर प्रतिदिन सुबह 9.15 बजे से चातुर्मासिक प्रवचनों की श्रृंखला में धर्म ज्ञान गंगा अनवरत बह रही है।

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