Ruchira Kamboj In UN: आतंकियों के मददगार देशों पर शिकंजा कसना जरूरी

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Ruchira Kamboj In UN

Aaj Samaj (आज समाज), Ruchira Kamboj In UN, न्यूयॉर्क: भारत ने संयुक्त राष्ट्र में एक बार फिर आतंकवाद को लेकर पाकिस्तान और चीन पर परोक्ष हमला बोला है। भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा कि कुछ देश लगातार आतंकियों को सुरक्षित पनाहगाह देना जारी रखे हुए हैं। उन्होंने कहा, ये देश न केवल गंभीर अपराध में संलिप्त रहे हैं, बल्कि जालसाजी और विरोधी-राज्य की मुद्रा के प्रसार, सीमा पार आतंकी गतिविधियों का समर्थन करने के लिए हथियारों, ड्रग्स व अन्य साधनों की आपूर्ति जैसे माध्यमों से भी अपने विरोधी-राज्यों की अर्थव्यवस्थाओं को नुकसान पहुंचाना जारी रखे हुए हैं।

सबसे ज्यादा मदद हथियार उपलब्ध कराकर की जा रही

कंबोज ने कहा, आतंकियों की सबसे ज्यादा मदद हथियार उपलब्ध कराकर की जा रही है। सबसे पहले राष्ट्रों को ऐसे लोगों पर शिंकजा कसने की जरूरत है, जो दहशतगर्दों को इस तरह की मदद पहुंचा रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि ने कहा कि देशों को हथियारों के अधिग्रहण को सीमित करने के लिए समन्वित प्रयासों की जरूरत है। इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि यह परिषद आतंकी तत्वों और उन्हें सहायता देने वालों को कतई बर्दाश्त न करे।

किसी देश की मदद बिना बड़े स्तर पर हथियार नहीं जुटा सकते आतंकी

रुचिरा कंबोज ने कहा, भारत कई दशकों से आतंकवाद का सामना कर रहा है। छोटे हथियारों पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की खुली बहस में उन्होंने कहा कि सीमा पार आतंकवाद व अवैध हथियारों का उपयोग करने वाले आतंकी समूहों द्वारा की जाने वाली हिंसा से भारत परेशान है। तस्करी किए गए अवैध हथियारों की मदद से आतंकी समूह देश में आतंक फैला रहे हैं। रुचिरा ने कहा, आतंकी संगठनों से मिले हथियारों से साफ है कि उनकी कोई मदद कर रहा है। आतंकियों के बेड़े में बढ़ते हथियारों को देखकर साफ है कि यह किसी देश की मदद के बिना नहीं फल फूल सकते हैं।

अवैध हथियारों में अब ड्रोन भी शामिल

रुचिरा ने कहा कि भारत आतंकियों को छोटे हथियारों और गोला बारूद उपलब्ध कराने के खतरों से अवगत है। उन्होंने कहा, हमें सीमा पार आतंकवाद व आतंकी समूहों द्वारा इन अवैध हथियारों का उपयोग करके की गई हिंसा के कारण बहुत नुकसान हुआ है, जिसमें अब ड्रोन का उपयोग भी शामिल है। रुचिरा ने डायवर्जन प्वाइंट्स और ट्रैफिकिंग मार्गों की पहचान करने के लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग की आवश्यकता पर भी जोर दिया।

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