वृष राशिफल 17 मई 2022

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वृष राशिफल 17 मई 2022

***|| जय श्री राधे ||***

*** महर्षि पाराशर पंचांग ***
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
*** *** *** *** *** *** *** ***

दिनाँक:- 17/05/2022, मंगलवार
प्रतिपदा, कृष्ण पक्ष
ज्येष्ठ
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)

*** दैनिक राशिफल *** 

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

वृष

आज का दिन नौकरीपेशा जातकों के लिए उत्तम रहेगा। धर्म-कर्म में रुचि रहेगी। कोर्ट व कचहरी के कार्य मनोनुकूल रहेंगे। लाभ के अवसर हाथ आएंगे। चोट व रोग से बचें। सेहत का ध्यान रखें। दुष्टजन हानि पहुंचा सकते हैं। झंझटों में न पड़ें। व्यापार-व्यवसाय में वृद्धि होगी। नौकरी में मातहतों का सहयोग मिलेगा। निवेश शुभ रहेगा। परिवार में प्रसन्नता रहेगी। कोई प्रमोशन संबंधित शुभ सूचना सुनने को मिल सकती है और कामकाज से जुड़े लोगों को अच्छा धन लाभ मिलेगा। आप जीवनसाथी को किसी नए व्यवसाय को भी करा सकते हैं। कार्यक्षेत्र में आप पूरे उत्साह से भरपूर नजर आएंगे,जिसे देखकर आपके शत्रु आपस में लड़कर ही नष्ट हो जाएंगे। व्यापारियों को मन मुताबिक लाभ मिलने से वह फूले नहीं समाएंगे। यदि आपको विदेश से कोई बेहतर अवसर आए,तो आपको हाथ से नहीं जाने देना है।

तिथि——— प्रतिपदा 06:25:02 तक
तिथि———-द्वितीया 26:59:46
पक्ष———————— कृष्ण
नक्षत्र———अनुराधा 10:45:19
योग————– शिव 22:36:05
करण———–कौलव 06:25:02
करण———– तैतुल 16:42:43
करण————– गर 26:59:46
वार———————–मंगलवार
माह————————–ज्येष्ठ
चन्द्र राशि—————– वृश्चिक
सूर्य राशि——————– वृषभ
रितु————————- वसंत
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर———————– नल
संवत्सर (उत्तर) ——————-राक्षस
विक्रम संवत—————–2079
विक्रम संवत (कर्तक)———- 2078
शाका संवत—————- 1944

वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:30:44
सूर्यास्त————— 19:00:47
दिन काल————- 13:30:03
रात्री काल————- 10:29:26
चंद्रास्त—————- 06:13:00
चंद्रोदय—————- 20:36:49

लग्न—- वृषभ 1°56′ , 31°56′

सूर्य नक्षत्र—————– कृत्तिका
चन्द्र नक्षत्र—————- अनुराधा
नक्षत्र पाया——————- रजत

*** पद, चरण ***

ने—- अनुराधा 10:45:19

नो—- ज्येष्ठा 16:06:15

या—- ज्येष्ठा 21:27:00

यी—- ज्येष्ठा 26:47:44

*** ग्रह गोचर ***

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=वृषभ 01:12 कृतिका , 2 ई
चन्द्र =वृश्चिक 13°23 , अनुराधा, 4 ने
बुध =वृषभ 09 ° 07′ कृतिका ‘ 4 ए
शुक्र=मीन 22 °05, रेवती ‘ 2 दो
मंगल=कुम्भ 29°30 ‘ पूoभाo’ 3 दा
गुरु=मीन 06°30 ‘ ऊ o भा o, 1 दू
शनि=कुम्भ 00°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 3 गु
राहू=(व) मेष 28°10’ कृतिका , 1 अ
केतु=(व) तुला 28°10 विशाखा , 3 ते

*** मुहूर्त प्रकरण ***

राहू काल 15:38 – 17:20 अशुभ
यम घंटा 08:53 – 10:35 अशुभ
गुली काल 12:16 – 13:57 अशुभ
अभिजित 11:49 -12:43 शुभ
दूर मुहूर्त 08:13 – 09:07 अशुभ
दूर मुहूर्त 23:13 – 24:07* अशुभ

गंड मूल 10:45 – अहोरात्र अशुभ

चोघडिया, दिन
रोग 05:31 – 07:12 अशुभ
उद्वेग 07:12 – 08:53 अशुभ
चर 08:53 – 10:35 शुभ
लाभ 10:35 – 12:16 शुभ
अमृत 12:16 – 13:57 शुभ
काल 13:57 – 15:38 अशुभ
शुभ 15:38 – 17:20 शुभ
रोग 17:20 – 19:01 अशुभ

चोघडिया, रात
काल 19:01 – 20:19 अशुभ
लाभ 20:19 – 21:38 शुभ
उद्वेग 21:38 – 22:57 अशुभ
शुभ 22:57 – 24:16* शुभ
अमृत 24:16* – 25:34* शुभ
चर 25:34* – 26:53* शुभ
रोग 26:53* – 28:12* अशुभ
काल 28:12* – 29:30* अशुभ

होरा, दिन
मंगल 05:31 – 06:38
सूर्य 06:38 – 07:46
शुक्र 07:46 – 08:53
बुध 08:53 – 10:01
चन्द्र 10:01 – 11:08
शनि 11:08 – 12:16
बृहस्पति 12:16 – 13:23
मंगल 13:23 – 14:31
सूर्य 14:31 – 15:38
शुक्र 15:38 – 16:46
बुध 16:46 – 17:53
चन्द्र 17:53 – 19:01

होरा, रात
शनि 19:01 – 19:53
बृहस्पति 19:53 – 20:46
मंगल 20:46 – 21:38
सूर्य 21:38 – 22:31
शुक्र 22:31 – 23:23
बुध 23:23 – 24:16
चन्द्र 24:16* – 25:08
शनि 25:08* – 26:00
बृहस्पति 26:00* – 26:53
मंगल 26:53* – 27:45
सूर्य 27:45* – 28:38
शुक्र 28:38* – 29:30

*** उदयलग्न प्रवेशकाल ***

वृषभ > 04:44 से 06:44 तक
मिथुन > 06:44 से 08:52 तक
कर्क > 08:52 से 11:10 तक
सिंह > 11:10 से 13:26 तक
कन्या > 13:26 से 05:38 तक
तुला > 05:38 से 05:50 तक
वृश्चिक > 05:50 से 08:02 तक
धनु > 08:02 से 22:04 तक
मकर > 22:04 से 11:44 तक
कुम्भ > 11:44 से 01:30 तक
मीन > 01:30 से 03:04 तक
मेष > 03:04 से 04:44 तक

विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

दिशा शूल ज्ञान————-उत्तर
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा गुड़ खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

 अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।

15 + 1 + 3 + 1 = 19 ÷ 4 = 3 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l

*** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ***

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

चन्द्र ग्रह मुखहुति

शिव वास एवं फल -:

16 + 16 + 5 = 37 ÷ 7 = 2 शेष

गौरि सन्निधौ = शुभ कारक

भद्रा वास एवं फल -:

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

*** विशेष जानकारी ***

* श्री नारद जयन्ती (वीणा दान)

*वन बिहार परिक्रमा

*विश्व दूरसंचार दिवस

*द्वितीयाक्षय

*** शुभ विचार ***

दरस्थोऽपि न दूरशो यो यस्य मनसि स्थितः ।
यो यस्य हृदये नास्ति समीपस्थोऽपि दूरतः ।।
।। चा o नी o।।

वह जो हमारे मन में रहता हमारे निकट है. हो सकता है की वास्तव में वह हमसे बहुत दूर हो. लेकिन वह व्यक्ति जो हमारे निकट है लेकिन हमारे मन में नहीं है वह हमसे बहोत दूर है.

*** सुभाषितानि ***

गीता -: दैवासुरसम्पद्विभागयोग अo-16

एतां दृष्टिमवष्टभ्य नष्टात्मानोऽल्पबुद्धयः।,
प्रभवन्त्युग्रकर्माणः क्षयाय जगतोऽहिताः॥,

इस मिथ्या ज्ञान को अवलम्बन करके- जिनका स्वभाव नष्ट हो गया है तथा जिनकी बुद्धि मन्द है, वे सब अपकार करने वाले क्रुरकर्मी मनुष्य केवल जगत्‌ के नाश के लिए ही समर्थ होते हैं॥,9॥,

*** आपका दिन मंगलमय हो ***
*********************
आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)

 

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