मिथुन राशिफल 30 अप्रैल 2022

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मिथुन राशिफल 30 अप्रैल 2022

*** || जय श्री राधे || ***

**** महर्षि पाराशर पंचांग ****

**** अथ पंचांगम् ****
**** ll जय श्री राधे ll****
**** **** **** **** **** **** 

दिनाँक:-30/05/2022 , शनिवार
अमावस्या, कृष्ण पक्ष
वैशाख
**** **** **** **** **** **** **** (समाप्ति काल)

*** दैनिक राशिफल ***

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

मिथुन

आज का दिन आपके लिए उत्तम रूप से सफलता दिलाने वाला रहेगा। व्यर्थ भागदौड़ रहेगी। समय का अपव्यय होगा। दूर से दु:खद समाचार प्राप्त हो सकता है। विवाद से क्लेश होगा। काम में मन नहीं लगेगा। लेन-देन में जल्दबाजी न करें। किसी व्यक्ति विशेष से अनबन हो सकती है। व्यापार-व्यवसाय ठीक चलेगा। आय में निश्चितता रहेगी। विद्यार्थियों के शिक्षा के क्षेत्र में किए गए प्रयास सफल होंगे। जो लोग नौकरी में कार्यरत है वह यदि किसी नए व्यवसाय को शुरू करना चाहते हैं, तो वह उसके लिए भी समय निकालना में कामयाब रहेंगे। ससुराल पक्ष के किसी व्यक्ति को लेकर आपके जीवन साथी से वाद विवाद की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। आप अपने माताजी से किसी किए हुए वादे को पूरा करेंगे। शत्रु आपको परेशान करेंगे, फिर भी आप अपनी चतुर बुद्धि का प्रयोग करके उनसे काम निकलवाने में कामयाब रहेंगे।

 

 

तिथि——– अमावस्या 25:56:49 तक
पक्ष————————- कृष्ण
नक्षत्र——— अश्विनी 20:11:36
योग————- प्रीति 15:17:31
करण——— चतुष्पद 13:23:21
करण———— नाग 25:56:49
वार———————– शनिवार
माह———————– वैशाख
चन्द्र राशि——————- मेष
सूर्य राशि——————— मेष
रितु————————- वसंत
सायन———————– ग्रीष्म
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर———————— नल
संवत्सर (उत्तर) ——————-राक्षस
विक्रम संवत————— 2079
विक्रम संवत (कर्तक)——— 2078
शाका संवत—————–1944

वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:42:16
सूर्यास्त————— 18:50:57
दिन काल————- 13:08:41
रात्री काल————- 10:50:29
चंद्रोदय————— 06:01:28
चंद्रास्त—————- 18:30:48

लग्न—- मेष 15°29′ , 15°29′

सूर्य नक्षत्र—————— भरणी
चन्द्र नक्षत्र—————– अश्विनी
नक्षत्र पाया——————- स्वर्ण

**** पद, चरण ****

चे—- अश्विनी 07:22:59

चो—- अश्विनी 13:46:25

ला—- अश्विनी 20:11:36

ली—- भरणी 26:38:29

**** ग्रह गोचर ****

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
**** **** **** **** **** **** ****
सूर्य=मीन 15:12 भरणी , 1 ली
चन्द्र =मेष 05°23 , अश्विनी, 2 चे
बुध =वृषभ 05 ° 07′ कृतिका ‘ 3 उ
शुक्र=कुम्भ 02 °05, पू o भा o ‘ 4 दी
मंगल=कुम्भ 17°30 ‘ शतभिषा’ 4 सु
गुरु=मीन 03°30 ‘ पू o भा o, 4 दी
शनि=मकर 00°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 3 गु
राहू=(व)वृषभ 29°10’ कृतिका , 1 अ
केतु=(व) तुला 29°10 विशाखा , 3 ते

**** मुहूर्त प्रकरण ****

राहू काल 08:59 – 10:38 अशुभ
यम घंटा 13:55 – 15:34 अशुभ
गुली काल 05:42 – 07: 21अशुभ
अभिजित 11:50 -12:43 शुभ
दूर मुहूर्त 07:27 – 08:20 अशुभ

गंड मूल 05:42 – 20:12 अशुभ

चोघडिया, दिन
काल 05:42 – 07:21 अशुभ
शुभ 07:21 – 08:59 शुभ
रोग 08:59 – 10:38 अशुभ
उद्वेग 10:38 – 12:17 अशुभ
चर 12:17 – 13:55 शुभ
लाभ 13:55 – 15:34 शुभ
अमृत 15:34 – 17:12 शुभ
काल 17:12 – 18:51 अशुभ

चोघडिया, रात
लाभ 18:51 – 20:12 शुभ
उद्वेग 20:12 – 21:34 अशुभ
शुभ 21:34 – 22:55 शुभ
अमृत 22:55 – 24:16* शुभ
चर 24:16* – 25:38* शुभ
रोग 25:38* – 26:59* अशुभ
काल 26:59* – 28:20* अशुभ
लाभ 28:20* – 29:41* शुभ

होरा, दिन
शनि 05:42 – 06:48
बृहस्पति 06:48 – 07:54
मंगल 07:54 – 08:59
सूर्य 08:59 – 10:05
शुक्र 10:05 – 11:11
बुध 11:11 – 12:17
चन्द्र 12:17 – 13:22
शनि 13:22 – 14:28
बृहस्पति 14:28 – 15:34
मंगल 15:34 – 16:40
सूर्य 16:40 – 17:45
शुक्र 17:45 – 18:51

होरा, रात
बुध 18:51 – 19:45
चन्द्र 19:45 – 20:39
शनि 20:39 – 21:34
बृहस्पति 21:34 – 22:28
मंगल 22:28 – 23:22
सूर्य 23:22 – 24:16
शुक्र 24:16* – 25:10
बुध 25:10* – 26:05
चन्द्र 26:05* – 26:59
शनि 26:59* – 27:53
बृहस्पति 27:53* – 28:47
मंगल 28:47* – 29:41

****  उदयलग्न प्रवेशकाल ****

मेष > 04:06 से 05:56 तक
वृषभ > 05:56 से 07:46 तक
मिथुन > 07:46 से 10:01 तक
कर्क > 10:01 से 12:18 तक
सिंह > 12:18 से 14:31 तक
कन्या > 14:31 से 06:42 तक
तुला > 06:42 से 06:57 तक
वृश्चिक > 06:57 से 09:11 तक
धनु > 09:11 से 23:13 तक
मकर > 23:13 से 01:04 तक
कुम्भ > 01:04 से 02:36 तक
मीन > 02:36 से 04:06 तक

विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

दिशा शूल ज्ञान————-पूर्व
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो लौंग अथवा कालीमिर्च खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।

15 + 15 + 7 + 1 = 38 ÷ 4 = 2 शेष
आकाश लोक पर अग्नि वास हवन के लिए अशुभ कारक है l

**** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ****

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

केतु ग्रह मुखहुति

शिव वास एवं फल -:

30 + 30 + 5 = 56 ÷ 7 = 3 शेष

वृषभारूढ़ = शुभ कारक

भद्रा वास एवं फल -:

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

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**** विशेष जानकारी ****

* देवपितृ कार्य अमावस्या

*शनिश्चरी अमावस्या

*श्री शुकदेव जयन्ती

**** शुभ विचार ****

कामं क्रोधं तथा लोभं स्वादुश्रृंगारकौतुकम् ।
अतिनिद्राऽतिसेवा च विद्यार्थी ह्यष्ट वर्जयेत् ।।
।। चा o नी o।।

एक विद्यार्थी पूर्ण रूप से निम्न लिखित बातो का त्याग करे.
१. काम
२. क्रोध
३. लोभ
४. स्वादिष्ट भोजन की अपेक्षा.
५. शरीर का शृंगार
६. अत्याधिक जिज्ञासा
७. अधिक निद्रा
८. शरीर निर्वाह के लिए अत्याधिक प्रयास.

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**** सुभाषितानि **** 

गीता -: पुरुषोत्तमयोग अo-15

उत्क्रामन्तं स्थितं वापि भुञ्जानं वा गुणान्वितम्‌ ।,
विमूढा नानुपश्यन्ति पश्यन्ति ज्ञानचक्षुषः ॥,

शरीर को छोड़कर जाते हुए को अथवा शरीर में स्थित हुए को अथवा विषयों को भोगते हुए को इस प्रकार तीनों गुणों से युक्त हुए को भी अज्ञानीजन नहीं जानते, केवल ज्ञानरूप नेत्रों वाले विवेकशील ज्ञानी ही तत्त्व से जानते हैं॥,10॥,

*** आपका दिन मंगलमय हो *** 
*** *** *** *** *** *** *** 
आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)

 

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