Gemini Horoscope 20 March 2022 मिथुन राशिफल 20 मार्च 2022

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Gemini Horoscope 20 March 2022

Gemini Horoscope 20 March 2022 मिथुन राशिफल 20 मार्च 2022

***|| जय श्री राधे ||***

*** महर्षि पाराशर पंचांग ***
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
*** *** *** *** *** ***

दिनाँक-:20/03/2022,रविवार
द्वितीया, कृष्ण पक्ष
चैत्र
*** *** *** *** *** *** *** *** (समाप्ति काल)

*** दैनिक राशिफल ***

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

मिथुन

Gemini Horoscope 20 March 2022: मिथुन राशि के जातकों के लिए आज का दिन आर्थिक मोर्चे पर आज का दिन अच्छा रहेगा। यात्रा, नौकरी व निवेश मनोनुकूल रहेंगे। रोजगार मिलेगा। अप्रत्याशित लाभ संभव है। जोखिम न लें। धर्म के कार्यों में रुचि आपके मनोबल को ऊंचा करेगी। मिलनसारिता व धैर्यवान प्रवृत्ति जीवन में आनंद का संचार करेगी। कई दिनों से रुका पैसा मिल सकेगा। आज बड़ी मात्रा में धन लाभ होने से आपका मनोबल बढ़ेगा। आज आपके काम आपके समय के अनुसार नहीं हो पाएंगे। हालांकि, आज परिस्थितियां आपके पक्ष में होने से आपके मन को थोड़ा संतोष मिलेगा। हालांकि, आज आपके परिजन ही आपका विरोध कर सकते हैं।

 

तिथि——– द्वितीया 10:05:55 तक
पक्ष———————— कृष्ण
नक्षत्र——— चित्रा 22:39:14
योग———— ध्रुव 18:31:30
करण———– गर 10:05:54
करण—— वणिज 21:14:27
वार——————— रविवार
माह————————- चैत्र
चन्द्र राशि —— कन्या 11:09:49
चन्द्र राशि ———————- तुला
सूर्य राशि——————- मीन
रितु———————-वसन्त
आयन—————- उत्तरायण
संवत्सर——————- प्लव
संवत्सर (उत्तर)————-आनंद
विक्रम संवत————- 2078
विक्रम संवत (कर्तक)—- 2078
शाका संवत—————1943

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वृन्दावन
सूर्योदय————- 06:24:39
सूर्यास्त————– 18:29:02
दिन काल———– 12:04:22
रात्री काल———– 11:54:30
चंद्रास्त————– 07:41:52
चंद्रोदय————– 20:39:53

लग्न—- मीन 5°14′ , 335°14′

सूर्य नक्षत्र——– उत्तराभाद्रपदा
चन्द्र नक्षत्र—————- चित्रा
नक्षत्र पाया—————–रजत

*** पद, चरण ***

पो—- चित्रा 11:09:49

रा—- चित्रा 16:54:56

री—- चित्रा 22:39:14

रू—- स्वाति 28:22:47

*** ग्रह गोचर ***

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
*** *** *** *** *** *** ***
सूर्य=मीन 05:12 ‘उ o भा o , 1 दू
चन्द्र =कन्या 27°23, चित्रा , 2 पो
बुध = कुम्भ 22 ° 07’ पूo भा o ‘ 1 से
शुक्र=मकर 18°05, श्रवण ‘ 3 खे
मंगल=मकर 16°30 ‘ श्रवण ‘ 2 खू
गुरु=कुम्भ 23°30 ‘ पू o भा o, 2 सो
शनि=मकर 25°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 2 गी
राहू=(व)वृषभ 01°20’ कृतिका , 2 ई
केतु=(व)वृश्चिक 01°20 विशाखा , 4 तो

*** मुहूर्त प्रकरण ***

राहू काल 16:58 – 18:29 अशुभ
यम घंटा 12:27 – 13:57 अशुभ
गुली काल 15:28 – 16:58 अशुभ
अभिजित 12:03 -12:51 शुभ
दूर मुहूर्त 16:52 – 17:41 अशुभ

*** चोघडिया, दिन *** 
उद्वेग 06:25 – 07:55 अशुभ
चर 07:55 – 09:26 शुभ
लाभ 09:26 – 10:56 शुभ
अमृत 10:56 – 12:27 शुभ
काल 12:27 – 13:57 अशुभ
शुभ 13:57 – 15:28 शुभ
रोग 15:28 – 16:58 अशुभ
उद्वेग 16:58 – 18:29 अशुभ

*** चोघडिया, रात *** 
शुभ 18:29 – 19:58 शुभ
अमृत 19:58 – 21:28 शुभ
चर 21:28 – 22:57 शुभ
रोग 22:57 – 24:26* अशुभ
काल 24:26* – 25:56* अशुभ
लाभ 25:56* – 27:25* शुभ
उद्वेग 27:25* – 28:54* अशुभ
शुभ 28:54* – 30:24* शुभ

*** होरा, दिन *** 
सूर्य 06:25 – 07:25
शुक्र 07:25 – 08:25
बुध 08:25 – 09:26
चन्द्र 09:26 – 10:26
शनि 10:26 – 11:26
गुरु 11:26 – 12:27
मंगल 12:27 – 13:27
सूर्य 13:27 – 14:28
शुक्र 14:28 – 15:28
बुध 15:28 – 16:28
चन्द्र 16:28 – 17:29
शनि 17:29 – 18:29

*** होरा, रात *** 
गुरु 18:29 – 19:29
मंगल 19:29 – 20:28
सूर्य 20:28 – 21:28
शुक्र 21:28 – 22:27
बुध 22:27 – 23:27
चन्द्र 23:27 – 24:26
शनि 24:26* – 25:26
गुरु 25:26* – 26:25
मंगल 26:25* – 27:25
सूर्य 27:25* – 28:24
शुक्र 28:24* – 29:24
बुध 29:24* – 30:24

*** उदयलग्न प्रवेशकाल ***

मीन > 06:14 से 07:45 तक
मेष > 07:45 से 10:28 तक
वृषभ > 10:28 से 12:09 तक
मिथुन > 12:09 से 13:33 तक
कर्क > 13:33 से 15:53 तक
सिंह > 15:53 से 16:57 तक
कन्या > 16:57 से 08:09 तक
तुला > 08:09 से 10:40 तक
वृश्चिक > 10:40 से 01:52 तक
धनु > 01:52 से 02:56 तक
मकर > 02:56 से 04:46 तक
कुम्भ > 04:46 से 06:14 तक

*** विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार *** 

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

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*** दिशा शूल ज्ञान————-पश्चिम *** 
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा चिरौंजी खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

*** अग्नि वास ज्ञान ***
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।

15 + 2 + 1 + 1 = 19 ÷ 4 = 3 शेष
स्वर्ग लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l

*** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ***

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

मंगल ग्रह मुखहुति

*** शिव वास एवं फल ***

17 + 17 + 5 = 39 ÷ 7 = 4 शेष

सभायां = सन्ताप कारक

*** भद्रा वास एवं फल ***

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

रात्रि 21:13 से प्रारम्भ

पाताल लोक = धनलाभ कारक

*** विशेष जानकारी ***

* रंगजी ब्रह्मोत्सव उत्सव वृन्दावन

*गांगलभट्टाचार्य पाटोत्सव

*** शुभ विचार ***

गुरुरग्निर्द्वि जातीनां वर्णानां ब्राह्मणो गुरुः ।
पतिरेव गुरुः स्त्रीणां सर्वस्याभ्यागतो गुरुः ।।
।।चा o नी o।।

ब्राह्मणों को अग्नि की पूजा करनी चाहिए . दुसरे लोगों को ब्राह्मण की पूजा करनी चाहिए . पत्नी को पति की पूजा करनी चाहिए तथा दोपहर के भोजन के लिए जो अतिथि आये उसकी सभी को पूजा करनी चाहिए .

*** सुभाषितानि ***

गीता -: क्षेत्रक्षेत्रज्ञविभागयोग अo-13

क्षेत्रक्षेत्रज्ञयोरेवमन्तरं ज्ञानचक्षुषा ।,
भूतप्रकृतिमोक्षं च ये विदुर्यान्ति ते परम्‌ ॥,

इस प्रकार क्षेत्र और क्षेत्रज्ञ के भेद को (क्षेत्र को जड़, विकारी, क्षणिक और नाशवान तथा क्षेत्रज्ञ को नित्य, चेतन, अविकारी और अविनाशी जानना ही ‘उनके भेद को जानना’ है) तथा कार्य सहित प्रकृति से मुक्त होने को जो पुरुष ज्ञान नेत्रों द्वारा तत्व से जानते हैं, वे महात्माजन परम ब्रह्म परमात्मा को प्राप्त होते हैं॥,34॥,

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*** आपका दिन मंगलमय हो ***
*** *** *** *** *** *** ***
आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)

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