राजा नूणकर्ण के कुल देवी थी मां चामुंडा देवी Mother Chamunda Devi Was Deity Of King Nunkarna

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Mother Chamunda Devi Was Deity Of King Nunkarna

आज समाज डीजिटल, अम्बाला : 
Mother Chamunda Devi Was Deity Of King Nunkarna : नारनौल शहर के प्राचीन मंदिरों में से एक मां चामुंडा देवी मंदिर इलाके के सुप्रसिद्ध मंदिर है। नवरात्र के दौरान इस मंदिर की भव्य सजावट की जाती है और गहरी आस्था रखने वाले श्रद्धालुओं का तांता लग जाता है।

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Mother Chamunda Devi Was Deity Of King Nunkarna

पहाड़ी की तलहटी पर बसे मंदिर की अनोखी छठा

शहर के आजाद चौक के समीप पहाड़ी की तलहटी पर बने भव्य मंदिर की आजकल नवरात्र के उपलक्ष्य में तैयारियां चल रही हैं।  नवरात्र के समापन पर रामनवमी  पर लगने वाले मेला में आने वाले भक्तजनों के लिए हाथ धोने एवं पीने के पानी, जूता-चप्पल व्यवस्था, प्रसाद वितरण, भक्तों की लाइन लगवाने, सजावट, महिलाओं की सुरक्षा एवं सीसीटीवी आदि पर गंभीरता से विचार-विमर्श किया गया तथा प्रबंधों में कोई कमी न आने देने का संकल्प लिया गया।

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मंदिर का इतिहास Mother Chamunda Devi Was Deity Of King Nunkarna

शहर के हृदय में बसा मां चामुंडा देवी का मंदिर का इतिहास काफी प्राचीन है। दंत कथाओं के अनुसार इस मंदिर को महाराज नूणकर्ण ने बनवाया था। मां चामुंडा देवी राजा नूणकर्ण के कुल की इष्ट देवी थी। कुलदेवी की वे पूजा-अर्चना करते थे तथा सारी प्रजा की सुरक्षा एवं सुख की कामना करते थे। बताते हैं कि नारनौल शहर को भी उन्हीं ने बसाया था।

मंदिर की विशेषता Mother Chamunda Devi Was Deity Of King Nunkarna

अंग्रेजों के शासनकाल के बाद इस मंदिर का दुबारा से जीर्णोद्धार किया गया। वर्तमान में इसका कई बार नवीनीकरण किया जा चुका है तथा मंदिर को आधुनिक एवं भव्य आकार दिया जा चुका है। मंदिर में मां चामुंडा के अलावा अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियां स्थापित हैं। माता के मंदिर के श्रद्धालुओं ने चांदी से बनवाएं हैं तथा माता की मूर्ति पर रंग-बिरंगी रोशनी अलग ही छटा बिखेरती है।

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ऐसे पहुंचे मंदिर Mother Chamunda Devi Was Deity Of King Nunkarna

नारनौल के बस स्टैंड से सीधे किला रोड तक ऑटो जाते हैं। किला रोड उतरने के बाद कुछ दूरी पर ही मंदिर स्थित हैं, जहां श्रद्धालुओं को कुछ दूरी पैदल तय करनी पड़ती है। सामान्य दिनों में मंदिर में दो बार सुबह एवं शाम को पूजा-अर्चना होती है। प्रात:काल को 5 बजे से 11 बजे तथा शाम को 5 बजे से रात 11 बजे तक पूजा होती है। नवरात्र के समय श्रद्धालुओं के लिए मंदिर 24 घंटे खुला रहता है।

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