POCSO Act : विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से अटेली कॉलेज में कानूनी जागरूकता शिविर आयोजित

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कानूनी जानकारी देते अधिवक्ता बृजेंद्र प्रताप सिंह।
कानूनी जानकारी देते अधिवक्ता बृजेंद्र प्रताप सिंह।
  • पॉक्सो एक्ट बच्चों को यौन शोषण से बचाने के लिए महत्त्वपूर्ण कानूनों में से एक है : बृजेंद्र प्रताप

Aaj Samaj (आज समाज),POCSO Act, नीरज कौशिक, महेंद्रगढ़:
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से कानूनी साक्षरता दिवस के उपलक्ष में आज राजकीय महिला महाविद्यालय अटेली में कानूनी जागरूकता शिविर का आयोजन किया।

इसे पॉक्सो कानून भी कहते हैं

इस मौके पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के पैनल अधिवक्ता बृजेंद्र प्रताप सिंह ने विद्यार्थियों को बताया कि आज समाज में न केवल लड़कियों के साथ बल्कि लड़कों के साथ भी यौन अपराधों के मामले बढ़ते जा रहे हैं। यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम बच्चों को यौन शोषण से बचाने के लिए सरकार द्वारा बनाए गए महत्त्वपूर्ण कानूनों में से एक है। इसे पॉक्सो कानून भी कहते हैं।यह अधिनियम 14 नवंबर 2012 को लागू हुआ। इसमें लड़के और लड़कियो में भेद न करते हुए बच्चों के विरुद्ध अपराध माना गया है जो 18 वर्ष से कम आयु के हो बच्चों को यौन दुर्व्यवहार और शोषण से सुरक्षा का अधिकार प्रदान करता है तथा इस सिद्धांत पर काम करता है की लिंग के आधार पर कानूनों को भेदभाव नहीं करना चाहिए।

अगर कोई मां बाप या संरक्षक जिसे किसी बच्चे के साथ हो रहे यौन अपराध के बारे में पता है परंतु फिर भी वो रिपोर्ट नहीं करते तो यह भी एक अपराध की श्रेणी में आता है यह एक्ट में विशेष अदालत को एफआईआर दर्ज होने के बाद बच्चे के लिए राहत या पुनर्वास से संबंधित जरूरतों के लिए अंतरिम मुआवजे का आदेश देने की अनुमति देता है। पॉक्सो के तहत बाल कल्याण समिति, जिला कानूनी सेवा प्राधिकरण, जिला बाल संरक्षण इकाई भोजन, कपड़े और परिवहन जैसी आवश्यक जरूरतों के लिए तत्काल भुगतान की सिफारिश कर सकती है तथा बाल कल्याण समिति की अनुशंसा पर एक हफ्ते में भुगतान कर दिया जाता है।

यहां यह ध्यान देने योग्य है की किशोर अपराधी का आयु निर्धारण किशोर न्याय अधिनियम द्वारा निर्देशित है परंतु किशोर पीड़ितों के लिए पॉक्सो अधिनियम के तहत ऐसा कोई प्रावधान मौजूद नहीं है। इस कानून में अपराध की प्रकृति के अनुसार कठोर सजा का प्रावधान किया गया है ऐसे अपराधों में अपराधी को स्वयं साबित करना पड़ता है कि वह निर्दोष है। इसके अलावा उन्होंने आजकल महिलाओं के साथ होने वाली घरेलू हिंसा के बारे में और पीड़ित मुआवजा, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सिविलियन राइट्स के बारे में भी बच्चों को बताया।

इस मौके पर प्राचार्य डा. प्रवीण यादव ने मौलिक अधिकारों व कर्तव्यों के बारे में बताया। इसके साथ उन्होंने खासकर बच्चियों व महिलाओं को कानून के प्रति जागरूक होने के लिए प्रेरित किया। डा. इंद्रजीत यादव ने लिट्रेसी डे के बारे में बताया।

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