Homeखेलक्रिकेटPlayers were with Morgan then they became champion: खिलाड़ियों ने दिया...

Players were with Morgan then they became champion: खिलाड़ियों ने दिया मोर्गन का साथ तो टीम को बनाया चैम्पियन

लंदन। इंग्लैंड ने न्यूजीलैंड को फाइनल में हराकर अपना पहला वर्ल्ड कप जीता। इंग्लैंड ने यह खिताब किसी इंग्लिश खिलाड़ी के नेतृत्व में नहीं बल्कि आयरिश मूल के इयॉन मॉर्गन की कप्तानी में जीता। हालांकि, मॉर्गन के लिए यह सफर इतना आसान नहीं रहा। 2015 वर्ल्ड कप में ग्रुप स्टेज से हारकर बाहर होने के बाद जहां उनसे कप्तानी छीने जाने की अटकलें लगने लगी थीं, वहीं 2016 में सुरक्षा कारणों से बांग्लादेश दौरे पर जाने से इनकार करने के बाद उनकी नेतृत्व क्षमता पर ही सवाल उठने लगे। हालांकि, पूर्व कप्तान एंड्रयू स्ट्रॉस और फिर टीम के खिलाड़ियों का साथ मिलने से उनकी कप्तानी बनी रही। इसी की बदौलत इंग्लैंड की टीम चार साल में चैम्पियन बनने तक का सफर पूरा कर सकी।
इस जीत के साथ ही मॉर्गन की टीम ने इंग्लैंड के इट्स कमिंग होम कैम्पेन को भी पूरा कर दिया। पिछले साल फुटबॉल वर्ल्ड कप से पहले इंग्लैंड ने इट्स कमिंग होम कैम्पेन चलाया। वे फुटबॉल के साथ क्रिकेट वर्ल्ड कप भी जीतना चाह रहे थे, लेकिन फीफा वर्ल्ड कप के सेमीफाइनल में पिछले साल जुलाई में इंग्लैंड की टीम क्रोएशिया से हार गई। तब यह कैम्पेन सफल नहीं हो सका। उसके एक साल बाद क्रिकेट टीम ने वर्ल्ड कप जीतकर इस कैम्पेन को पूरा किया।
2015 वर्ल्ड कप में हार के बाद इंग्लैंड क्रिकेट बोर्ड के नए डायरेक्टर और पूर्व क्रिकेटर एंड्रयू स्ट्रॉस पर टीम को दोबारा खड़ा करने की बड़ी जिम्मेदारी थी। मीडिया में मॉर्गन से कप्तानी छीने जाने की बात जोर-शोर से उठी। यही वह मौका था जब मॉर्गन के साथ खेल चुके स्ट्रॉस ने उन्हें एक और मौका देने की ठानी। वर्ल्ड कप हार के बाद जब मॉर्गन भारत में सनराइजर्स हैदराबाद की तरफ से आईपीएल खेलने पहुंचे तो एक दिन उन्हें स्ट्रॉस का फोन आया। यहां स्ट्रॉस ने मॉर्गन से कप्तानी छीनने का संदेश नहीं दिया। बल्कि पूछा कि क्या वे इस पद पर बने रहना चाहते हैं? दोनों के बीच इसी कॉल पर इंग्लैंड टीम के बदलाव और अगले चार साल की योजनाओं का खाका तैयार हुआ।
स्ट्रॉस के मुताबिक, जब मैं निदेशक पद पर आया तो दो वर्ल्ड कप में खराब तैयारियों के साथ खेलने का दुख मुझे भी था। मुझे पता था कि वर्ल्ड कप में अलग तरह का प्रदर्शन करने के लिए सफेद गेंद के क्रिकेट को गंभीरता से लेना होगा। न कि उस तरह से जैसा हम पहले करते थे। मैं इयॉन के साथ पहले भी क्रिकेट खेला था। इसलिए मैं उसे अच्छे से जानता था। मैंने सोचा कि टीम के माहौल में एक रोल मॉडल कौन हो सकता है और मॉर्गन ही वह व्यक्ति था, जिसे मैं खोज रहा था। इयॉन ने कप्तानी शुरू ही की थी, इसलिए 2015 में वर्ल्ड कप में मिली हार के लिए उसे दोषी ठहराना गलत था। उसे वह टीम नहीं मिली थी जो उसे चाहिए थी। मुझे लगा कि इस मामले में मैं कुछ कर सकता हूं।
इसके बाद स्ट्रॉस, इंग्लैंड के कोच ट्रेवर बेलिस और मॉर्गन ने ऐसे खिलाड़ियों को टीम में चुना, जो मॉडर्न क्रिकेट की जरूरतों को पूरा कर सकते थे। यह टीम टेस्ट से बिल्कुल अलग बननी थी। ऐसे में बेलिस ने जॉनी बेयरस्टो, जोस बटलर, बेन स्टोक्स, जेसन रॉय जैसे खिलाड़ियों को टीम में जगह दी। इन खिलाड़ियों ने धमाकेदार स्ट्रोकप्ले से जगह बनाई। जो रूट को एंकर खिलाड़ी के तौर पर टीम में रखा गया। इस तरह टीम वर्ल्ड कप की दावेदार बनी।

SHARE
RELATED ARTICLES

Most Popular