लिवर ट्रांसप्लांटेशन में एडवांस तकनीक बनी वरदान, रोबोटिक डोनर हेपेटेक्टोमी से हो रहा सफल इलाज

0
137
Panipat News/Advance technology became a boon in liver transplantation
Panipat News/Advance technology became a boon in liver transplantation
आज समाज डिजिटल, पानीपत :
पानीपत। लिवर फेल होना जान के लिए खतरा बन जाता है, लेकिन नई तकनीक और रोबोट की मदद से होने वाली डोनर सर्जरी बहुत ही सुरक्षित तरीके से हो रही है। इसमें मरीज की रिकवरी भी जल्द हो जाती है और अस्पताल में भी कम वक्त तक रहना पड़ता है। हाल ही में इस क्षेत्र के काफी मरीजों को रोबोटिक सर्जरी की मदद से फायदा पहुंचा है और उनका जीवन आसान हुआ है।

रोबोटिक प्रक्रिया की सटीकता और रिकवरी टाइम को लेकर अनुभव शेयर किए

इस रोबोटिक प्रक्रिया की सटीकता और रिकवरी टाइम को लेकर डॉ अभिदीप चौधरी, डॉ इम्तियाकुम जमीर, डॉ गौरव सूद और डॉ नितिन कुमार ने अनुभव शेयर किए। इन लोगों ने हाल के कुछ केस के बारे में बताया जिनमें 3डी द विंची रोबोटिक सिस्टम का इस्तेमाल करते हुए रोबोटिक डोनर हेपेटेक्टोमी की गई। इन मामलों में सभी तीन डोनर महिलाएं थीं जिनके शरीर पर पहले से ही सीजेरियन सेक्शन के दाग थे और वो अन्य नया बड़ा दाग नहीं चाहती थीं। ये एक बड़ी चुनौती थी। डॉक्टर ने पिन के जितना छेद करने के लिए रोबोटिक सिस्टम का इस्तेमाल किया और पुराने पफैनेंस्टील निशान के माध्यम से ग्राफ्ट को निकाला। ऑपरेशन के बाद उनकी रिकवरी में कोई दिक्कत नहीं आई और ऑपरेशन के तीसरे दिन मरीज को बड़े आराम से डिस्चार्ज दे दिया गया।

रोबोटिक डोनर सर्जरी करने के लिए प्रेरित किया

बीएलके मैक्स अस्पताल नई दिल्ली में एचपीबी सर्जरी एंड लिवर ट्रांसप्लांटेशन के सीनियर डायरेक्टर व एचओडी डॉक्टर अभिदीप चौधरी ने कहा, ‘’बीएलके-मैक्स लिवर ट्रांसप्लांट का एक केंद्र बन गया है। कम से कम घाव व निशान और जल्दी रिकवरी की डिमांड ने हमारी टीम को रोबोटिक डोनर सर्जरी करने के लिए प्रेरित किया। लेटेस्ट 3डी Xi द विंची रोबोटिक सिस्टम में चार आर्टिकुलेटेड रोबोटिक आर्म्स  हैं, जिन्हें अलग-अलग उपकरणों के साथ फिट किया जा सकता है और ये सर्जन के हाथों के विस्तार के रूप में काम करता है, जिससे सर्जन सटीकता और अधिकतम सुरक्षा के साथ सर्जरी कर सकते हैं।

देश में लिवर से जुड़ी बीमारियों का बोझ काफी ज्यादा

ये रोबोटिक सिस्टम हर समय ऑपरेटिंग सर्जन के कंट्रोल में रहता है। इस नए द विंची Xi में एडवांस 3डी विज़ुअलाइज़ेशन के साथ उत्कृष्ट एर्गोनॉमिक्स हैं, जिसमें सर्जन को लंबी डोनर सर्जरी के दौरान बिना थके आराम से बैठने की स्थिति में सर्जरी करने का लाभ मिलता है। ध्यान देने वाली बात ये है कि देश में लिवर से जुड़ी बीमारियों का बोझ काफी ज्यादा है, और जो लोग एंड स्टेज के मरीज होते हैं उनके लिए सिर्फ लिवर ट्रांसप्लांटेशन ही फाइनल ट्रीटमेंट बचता है। हालांकि, जागरूकता की कमी के कारण हमारे देश में ब्रेन-डेड डोनर्स की भारी कमी है। ऐसे में जो लोग सही सलामत हैं, उनके द्वारा लिवर डोनर की भूमिका निभाना ही विकल्प बच पाता है।

दाग बहुत छोटे होते हैं, ब्लड लॉस बहुत ही कम होता है

डॉक्टर अभिदीप चौधरी ने कहा, ‘’द विंची रोबोटिक सिस्टम से सर्जन को तो आसानी हुई ही है, साथ ही डोनर्स को भी काफी लाभ पहुंचा है। इसमें दाग बहुत छोटे होते हैं, ब्लड लॉस बहुत ही कम होता है, ऑपरेशन के बाद पेन काफी कम रहता है, अस्पताल में कम वक्त स्टे करना पड़ता है और मरीज जल्दी से रिकवरी करके अपने रूटीन में वापस आ जाता है। हालांकि, अभी इस प्रक्रिया के उपयोग में पैसा एक बाधा है।

SHARE