Pandit Nehru and Atal Bihari Vajpayee: अनोखा रिश्ता था पंडित नेहरु और अटल बिहारी वाजपेयी में

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अंबाला। भारतीय लोकतंत्र का इतिहास इतना समृद्ध है कि इसकी यादों के समुद्र में जब आप गोता लगाते हैं तब एक से बढ़कर यादों के मोती सामने आते हैं। इन्हीं यादों के मोती जो सहेज कर रखे गए हैं उनमें से ‘आज समाज’ आपको कई यादों को लगातार बाता रहा है। आज चर्चा दो ऐसे शख्सियतों के बारे में जिन्होंने भारतीय लोकतंत्र की गौरवशाली परंपरा को समृद्ध करने में अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। हम बात कर रहे हैं पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और अटल बिहारी वाजपेयी के बारे में।
  • 1957 में भारतीय लोकतंत्र के इतिहास का दूसरा लोकसभा चुनाव हुआ था। इस चुनाव में दूसरी बार अटल बिहारी वाजपेयी चुनावी मैदान में अपना भाग्य आजमा रहे थे। उन्होंने उत्तरप्रदेश की तीन लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था। लखनऊ और मथुरा सीट पर तो उनकी जमानत तक जब्त हो गई थी। पर बलरामपुर से जनसंघ की टिकट पर अटल जी ने पहली बार संसद में कदम रखा था।
  • पहली बार संसद पहुंचे अटल बिहारी वाजपेयी ने जब अपना संसद में अपना पहला भाषण दिया तो क्या पक्ष और क्या विपक्ष दोनों ही तरफ से देर तक मेज पर गूंजती गालियों की थपथपाहट कई वर्षों तक महसूस की गई।
  • अटल जी के भाषण से पंडित नेहरू इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने एक बार कहा कि यह युवा एक दिन भारत का प्रधानमंत्री बनेगा। नेहरू ने ये बात तब कही थी जब एक दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने दिल्ली में ब्रिटिश नेता से अटल बिहारी वाजपेयी की मुलाकात करवाई। इस दौरान नेहरू ने अटल जी का परिचय देते हुए कहा, इनसे मिलिए, यह युवा एक दिन देश का प्रधानमंत्री बनेगा।
  • नेहरू की भविष्यवाणी सच हुई। एक बार नहीं बल्कि तीन बार अटल बिहारी वाजपेयी भारत  के प्रधानमंत्री बने।
  • एक और वाकया दूसरे लोकसभा के कार्यकाल से जुड़ा है। एक दिन संसद में विपक्षी पार्टियां पंडित नेहरू पर हमलावर थी। अटल जी काफी देर से अपने साथियों द्वारा नेहरू की आलोचना को सुन रहे थे। अचानक वे अपनी सीट से उठ खड़े हुए और शेर की तरह दहाड़ते हुए गुस्से से पूछा कि क्या सिर्फ विपक्ष होने के नाते प्रधानमंत्री का विरोध करना जरूरी हो गया? अटल जी के दहाड़ ने सभी को खामोश कर दिया।
  • -पंडित नेहरू ने भी हमेशा ही वाजपेयी का सम्मान किया। अटल जी के भाषणों ने उन्हें कम उम्र में ही चर्चित कर दिया था। पंडित नेहरू ने ही अटल जी को साल 1961 में नेशनल इंटिग्रेशन काउंसिल में नियुक्ति दी।
सूरज ढल चुका है
पंडित नेहरू के निधन पर दिया गया अटल जी का भाषण अमर हो गया। उन्होंने संसद में नेहरू के निधन पर कहा नेता चला गया है, लेकिन उसे मानने वाले अभी भी हैं। सूरज ढल चुका है, लेकिन अब हमे सितारों की रौशनी से ही अपना रास्ता तलाशना होगा। यह परीक्षा का समय है, अगर हम सब खुद को उनके विचारों पर आगे लेकर चले तो समृद्ध भारत के सपने सच कर सकते हैं, विश्व में शांति ला सकते हैं, यह सच में पंडित नेहरू को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
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