पर्युषण पर्व के अंतिम दिन संवत्सरी पर्व पर जैन तेरापंथ भवन में हुए अनेक कार्यक्रम

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On the last day of Paryushan festival many programs were held in Jain Terapanth Bhavan on Samvatsari festival

संजीव कौशिक, रोहतक :

श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथ भवन ग्रीन रोड पर पिछले 7 दिनों से चल रहे पर्यूषण पर्व के आज अंतिम दिन उपासिका मधुबाला जैन व गुलाब देवी ने अपने प्रवचनों में कहा कि है। संवत्सरी पर्व महावीर स्वामी के मूल सिद्धांत अहिंसा परमो धर्म जियो और जीने दो की राह पर चलना सिखाता है तथा मोक्ष प्राप्ति के द्वार खोलता है। इस पूर्वानुसार आत्मा के द्वारा आत्मा के देखो संवत्सरी,  प्रतिक्रमण केशलोचन, आलोचना और क्षमा याचना गृहस्थों के लिए शास्त्रों का श्रावण, तप अभयदान सुपात्र दान, ब्रह्मचर्य का पालन, आरंभ स्मारक का त्याग संघ की सेवा और क्षमा याचना आदि कर्तव्य कहे गए हैं।

इस दिन की गई धर्म आराधना विशेष फल देती है। इस मौके पर जैन सभा महिला मंडल ने गीतिका की सुंदर प्रस्तुति दी महिला मंडल द्वारा 8 कर्मों का परिचय व भगवान महावीर का परिवार नाटिका के सुंदर प्रस्तुति दी मंजू जैन आशी देवांशी ने पर्यूषण पर्व का बखान किया अरहम, छवि ने कविता के माध्यम से धर्म आराधना की। इस मौके पर सभा अध्यक्ष सुशील जैन महिला मंडल अध्यक्षा नीलम जैन संतोष जैन, संजय जैन ने संवत्सरी पर्व पर अपना वक्तव्य रखा।

1 सितंबर को क्षमा दिवस मनाया जाएगा

सभा संरक्षक श्री किशन जैन ने संवत्सरी के महत्व को बताया इस मौके पर वैश्य शिक्षण संस्थाओं की अध्यक्ष बनने पर नवीन जैन का विशेष सम्मान किया गया 1 सितंबर को क्षमा दिवस मनाया जाएगा। उपासिका बहनों ने कहा कि अहिंसा का पौधा क्षमा का बीज है। हम क्षमा औरों की भलाई के लिए नहीं किंतु अपनी भलाई के लिए करते हैं। किसी को क्षमा करने से हमारे मन का भार घटता है। हम अभय हो जाते हैं जो क्षमा करके औरों पर अहसान करते हैं। वह क्षमा की महिमा नहीं समझते इस दिन सभी जैन बंधु अपने मिलने वाले रिश्तेदार, दोस्तों से पूरे साल में अगर कोई भी मनमुटाव उसकी क्षमा याचना करते हैं।

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