Nirmala Sitharaman US Visit: भारत में मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा होती तो देश में उनकी आबादी क्यों बढ़ती

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Nirmala Sitharaman US Visit

Nirmala Sitharaman US Visit: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अमेरिका में कहा है कि भारत में अगर मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा होती तो देश में उनकी आबादी क्यों बढ़ती। बता दें कि निर्मला सीतारमण इन अमेरिका के दौरे पर हैं और वाशिंगटन के पीटरसन इंस्टिट्यूट फॉर इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स (पीआईआईई) में भारत में इकोनॉमिक ग्रोथ के मुद्दे पर बोलते हुए उन्होंने यह बात कही। दरअसल उनसे पीआईआईई के अध्यक्ष एडम एस पोसेन ने पूछा था कि पश्चिमी मीडिया में बहुत तेजी से ऐसी खबरें आ रही हैं कि विपक्षी सांसद अपनी सदस्यता खो रहे हैं और भारत में मुस्लिम अल्पसंख्यक हिंसा का शिकार हो रहे हैं।

  • सवाल : भारत में मुस्लिम अल्पसंख्यक हिंसा का शिकार हो रहे?
  • जवाब : हिंसा की बात सही होती तो 1947 के बाद आबादी इतनी क्यों बढ़ती?

भारत दौरे पर आने वाले निवेशकों के पास सही जवाब

वित्त मंत्री ने कहा कि भारत के प्रति खराब छवि की राय ऐसे लोगों ने बनाई है, जो कभी भारत आए ही नहीं हैं। उन्होंने कहा, भारत में दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी निवास करती है और अगर हमारे देश में मुस्लिमों के खिलाफ हिंसा की बात सही होती तो जितने मुस्लिम भारत में 1947 में थे, उसके बाद उनकी आबादी इतनी बढ़ती? सीतारमण ने कहा, भारत में जारी विकास व माहौल का का जवाब उन निवेशकों से मिल सकता है, जो भारत आ रहे हैं और आते जा रहे हैं।

निवेशक आएं और देखें कि भारत में क्या हो रहा

वित्त मंत्री ने कहा, अगर भारत में कोई निवश चाहता है तो मैं केवल इतना ही कहना चाहूंगी कि आएं और देखें कि भारत में क्या हो रहा है। ऐसे लोगों की राय ना सुनें जो कभी भारत की धरती पर आए ही नहीं और ऐसी रिपोर्ट बनाने लगे। पोसेन ने निर्मला सीतारमण से यह भी कहा था कि पश्चिमी मीडिया में ज्यादातर रिपोर्ट्स यही हैं कि भारत में मुस्लिमों की जिंदगी मुश्किल है या सरकार की मदद से उसे मुश्किल बना दिया गया है।

पाकिस्तान में बदतर होती जा रही अल्पसंख्यकों की स्थिति

भारतीय वित्त मंत्री ने कहा, पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की स्थिति लगातार बदतर हो रही है। भारत के इस पड़ोसी मुल्क में लगातार उनकी आबाद प्रतिदिन घटती जा री है। पाकिस्तान में मंस्लिमों पर छोटे-छोटे आरोप लगाए जाते हैं और इनमें मौत की सजा तक दे दी जाती है। ज्यादातर केस में ईशनिंदा कानूनी निजी दुश्मनी निकालने का जरिया बन गया है। पीड़ितों को तुरंत अपराधी ठहरा दिया जाता है। न सही तरह से जांच होती है और ना ही कोर्ट में केस चलाया जाता है।

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