गुरदासपुर: 12 आतंकियो को मार नवदीप ने पाई थी शहादत, श्रद्धांजलि 20 को

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गगन बावा, गुरदासपुर:
शहीदों की जन्मस्थली जिला गुरदासपुर व पठानकोट की वीर•ाूमि को यह मान प्राप्त है कि उसने अपने असंख्य लाल राष्ट्र की बलिवेदी पर कुर्बान किए हैं। इन्हीं शहीदों की श्रृंखला में एक नाम आता है गुरदासपुर के संतनगर निवासी शहीद लेफ्टीनेट नवदीप सिंह का, जिन्होंने 26 वर्ष की अल्पायु में बलिदान देकर शहीदों की श्रेणी में अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में अंकित करवा लिया।

इस वीर योद्धा के जीवन संबंधी जानकारी देते हुए शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद के महासचिव कुंवर रविंदर विक्की ने बताया कि नवदीप सिंह का जन्म 8 जून 1985 को पिता कैप्टन जोगिंदर सिंह और माता जगतिंदर कौर के घर हुआ। आर्मी स्कूल तिब्बड़ी कैंट से मैट्रिक और सरकारी कालेज गुरदासपुर से 12वीं करने के बाद उन्होने होटल मैनेजमेंट जॉयन किया। इसके बाद उन्होंने आर्मी इंस्टीच्यूट् आफ मैनेजमेंट कोलकाता से एमबीए की डिग्री प्राप्त की। अप्रैल 2010 में सीडीएस की परीक्षा पास करने के बाद ओटीए चेन्नई में प्रवेश पाया। 19 मार्च 2011 को यहां से पास होकर उन्होंने 15 मराठा लाईट इन्फ्रेंट्री यूनिट में बतौर लेफ्टीनेंट शामिल होकर देश सेवा में जुट गए। 20 अगस्त 2011 को इनकी यूनिट को जम्मू कश्मीर के बांदीपुर जिले के गुरेज सेक्टर के साथ लगती •ाारत-पाक सीमा की किशन गंगा नदी के पास पाक प्रशिक्षक आतंकियो की घुसपैठ होने की सूचना मिली। लेफ्टीनेंट नवदीप सिंह की पलाटून को इस आप्रेशन को अंजाम देने की जिम्मेदारी मिली। आतंकियों ने जैसे ही भारत सीमा में घुसपैठ करने का प्रयास किया तो लेफ्टीनेट नवदीप सिंह ने काफी नजदीक से उन पर फायरिंग शुरू कर दी तथा 12 आतंकियो को मौत की नींद सुला दिया। इसी दौरान आतंकियो द्वारा दागी एक गोली उनके सिर को भोदते हुए निकल गई। जिससे इस रणबांकुरे ने शहादत का जाम पी लिया। इनके अदम्य साहस को देखते हुए तत्कालीन राष्ट्रपति प्रति•ाा पाटिल ने इन्हें 26 जनवरी 2012 को मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया।

कुंवर विक्की ने बताया कि इस जांबाज सैनिक की शहादत को नमन करने के लिए 20 अगस्त को गवर्नमेंट कालेज गुरदासपुर में इनके नाम पर बने खेल स्टेडियम में श्रद्धांजलि समारोह का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें कई गणमान्य लोग व सैन्याधिकारी शामिल होकर इन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करेंगे।

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