इस योग में पूजा करने से मिलता है कई गुणा फल
Diwali Today, (आज समाज), नई दिल्ली: कार्तिक अमावस्या पर दीवाली मनाई जाती है, जिसमें देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा प्रदोष काल में की जाती है। वर्ष 2025 में, कार्तिक अमावस्या 20 अक्टूबर को शुरू होकर 21 अक्टूबर को समाप्त होगी, इसलिए दीवाली 20 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दिन शिववास योग सहित कई मंगलकारी संयोग बन रहे हैं, जो साधक के सुख और सौभाग्य में वृद्धि करते हैं।
दीवाली के दिन लक्ष्मी गणेश जी की पूजा प्रदोष काल में होती है। इस दौरान मां लक्ष्मी की पूजा करने से दोगुना फल मिलता है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलेगी। आइए, पूजा का शुभ मुहूर्त और योग जानते हैं।
03 बजकर 44 मिनट से शुरू होगी अमावस्या तिथि
हर साल कार्तिक माह की अमावस्या तिथि पर दीवाली मनाई जाती है। इस साल कार्तिक माह की अमावस्या तिथि 20 अक्टूबर को शाम 03 बजकर 44 मिनट से शुरू होगी और 21 अक्टूबर को शाम 05 बजकर 54 मिनट पर समाप्त होगी। इसके बाद यानी 21 अक्टूबर को शाम 05 बजकर 54 मिनट के बाद कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि शुरू होगी। इसके लिए 20 अक्टूबर को दीवाली मनाई जाएगी।
प्रदोष काल में की जाती है पूजा
दीवाली के दिन प्रदोष काल में देवी मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है। ज्योतिषियों की मानें तो स्थिर लग्न में लक्ष्मी गणेश जी की पूजा करने से घर में मां लक्ष्मी का वास होता है। इसके लिए दीवाली के दिन प्रदोष काल में लक्ष्मी गणेश जी की पूजा की जाती है। दीवाली के दिन प्रदोष काल शाम 05 बजकर 46 मिनट से शुरू होगी। इस समय से लेकर शाम 08 बजकर 18 मिनट तक पूजा के लिए शुभ मुहूर्त है।
दीवाली पूजा शुभ मुहूर्त
दीवाली पर पूजा के लिए शुभ समय संध्याकाल में 07 बजकर 08 मिनट से लेकर 08 बजकर 18 मिनट तक है। प्रदोष काल में पूजा के लिए शुभ समय शाम 05 बजकर 46 मिनट से लेकर 08 बजकर 18 मिनट तक है। इसके साथ ही वृषभ काल में पूजा के लिए शुभ समय शाम 07 बजकर 08 मिनट से लेकर 09 बजकर 03 मिनट तक है।
इसके अलावा, निशिता काल में देवी मां लक्ष्मी की पूजा का समय रात 11 बजकर 41 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक है। साधक अपनी सुविधा अनुसार समय पर देवी मां लक्ष्मी की पूजा कर सकते हैं।
दीवाली पूजा शुभ योग
कार्तिक अमावस्या पर दुर्लभ शिववास योग का संयोग बन रहा है। शिववास योग का संयोग दोपहर के बाद बन रहा है। शिववास योग का संयोग दोपहर 03 बजकर 44 मिनट से है, जो पूर्ण रात्रि तक है।
इस दौरान देवों के देव महादेव कैलाश पर मां पार्वती के साथ रहेंगे। शिववास योग के दौरान शिव-शक्ति की पूजा करने से साधक को अमोघ और अक्षय फल की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही अभिजीत मुहूर्त का भी संयोग है। वहीं, हस्त और चित्रा नक्षत्र का दुर्लभ संयोग है।
दीवाली के दिन क्या करें
- दीवाली की सुबह स्नान के बाद श्रीहनुमानजी की आराधना करनी चाहिए।
- सायंकाल घर के मुख्य द्वार पर शंख, स्वस्तिक और पदचिह्न अंकित करें।
- स्थिर वृष लग्न (सायं 7:10-9:06 बजे) में लक्ष्मी-गणेश की विधिपूर्वक पूजा करें।
- अर्धरात्रि सिंह लग्न (2:34-4:05 बजे) में मां काली की तंत्रोपासना या ध्यान साधना करें।
- घर के प्रत्येक द्वार पर दीप प्रज्ज्वलित कर पूर्व और उत्तर दिशा में विशेष दीप रखें।
पंचांग
- सूर्योदय: सुबह 06 बजकर 25 मिनट पर
- सूर्यास्त: शाम 05 बजकर 46 मिनट पर
- ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04 बजकर 44 मिनट से 05 बजकर 34 मिनट तक
- विजय मुहूर्त: दोपहर 01 बजकर 59 मिनट से 02 बजकर 45 मिनट तक
- गोधूलि मुहूर्त: शाम 05 बजकर 46 मिनट से 06 बजकर 12 मिनट तक
- निशिता मुहूर्त: रात 11 बजकर 41 मिनट से 12 बजकर 31 मिनट तक