Four militants Held In Manipur, (आज समाज), इंफाल: मणिपुर में उग्रवाद के खिलाफ अभियान में सुरक्षा बलों को बड़ी कामयाबी मिली है। राज्य के अलग-अलग जिलों से चार उग्रवादियों सहित पांच लोगों को अरेस्ट किया गया है। आरोपी तीन प्रतिबंधित संगठनों के हैं और उनपर जबरन वसूली की गतिविधियों में कथित संलिप्तता के आरोप हैं।
बिष्णुपुर जिले में दो गिरफ्तार
एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि बिष्णुपुर जिले के न्गाइखोंग खुनोऊ चेकपॉइंट पर जांच के दौरान, प्रतिबंधित पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के एक सक्रिय कार्यकर्ता व उसके सहयोगी को जबरन वसूली की गतिविधियों में कथित रूप से शामिल होने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। सहयोगी संगठन का सदस्य नहीं है। उन्होंने बताया कि उन पर इंफाल और बिष्णुपुर जिलों में ठेकेदारों, व्यापारियों और आम जनता से पैसे मांगने का आरोप है।
थौबल जिले में पीडब्ल्यूजी का एक सदस्य का अरेस्ट
अधिकारी ने बताया कि प्रतिबंधित कांगलीपाक कम्युनिस्ट पार्टी (पीडब्ल्यूजी) के एक सदस्य को थौबल जिले के हीरोल पार्ट 2 से जबरन वसूली, लोगों को धमकाने और संगठन के लिए कार्यकर्ताओं की भर्ती करने में कथित भूमिका के लिए गिरफ्तार किया गया है।
इंफाल पश्चिम व पूर्व जिलों से एक-एक आरोपी दबोचा
पुलिस अधिकारी के अनुसार प्रतिबंधित प्रीपक (प्रो) के एक सक्रिय सदस्य को इंफाल पश्चिम जिले के ताओथोंग खुनोउ स्थित उसके आवासीय इलाके से गिरफ्तार किया गया। उन्होंने बताया कि वह जबरन वसूली की गतिविधियों में भी शामिल था। इसके अलावा प्रतिबंधित केसीपी (पीडब्ल्यूजी) के एक अन्य सदस्य को इंफाल पूर्व जिले के कैरांग चिंग्या से गिरफ्तार किया गया।
चुराचांदपुर और थौबल जिलों से बरामद किए गए हथियार
एक अन्य पुलिस अधिकारी के अनुसार बुधवार को चुराचांदपुर और थौबल जिलों में अलग-अलग अभियानों के दौरान सुरक्षा बलों ने नौ विस्फोटक, 26 आग्नेयास्त्र व गोला-बारूद बरामद किया। बता दें कि राज्य में 2 साल पहले जातीय हिंसा भड़कने के बाद से सुरक्षा बल मणिपुर में लगातार तलाशी अभियान चलाए हुए हैं।
मई-2023 से हिंसा में अब तक 260 लोगों की मौत
मई 2023 से मैतेई और कुकी-जो समूहों के बीच जातीय हिंसा में 260 से ज्यादा लोग मारे गए हैं और हजारों लोग बेघर हो गए हैं। सीएम एन बीरेन सिंह के पद से त्यागपत्र के बाद केंद्र सरकार ने इस वर्ष फरवरी से राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया है। वहीं विधानसभा का कार्यकाल 2027 तक है। राष्ट्रपति लगाने के बाद विधानसभा को निलंबित कर दिया गया है।
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