Madras High Court : राजीव गांधी हत्या काण्ड की दोषी नलिनी पति की रिहाई के लिए पहुँची मद्रास हाईकोर्ट

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आशीष सिन्हा
आशीष सिन्हा
Aaj Samaj (आज समाज), Madras High Court, नई दिल्ली : 
1 *राजीव गांधी हत्या काण्ड की दोषी नलिनी पति की रिहाई के लिए पहुँची मद्रास हाईकोर्ट*
राजीव गांधी हत्याकांड में दोषी ठहराई गई और पिछले साल जेल से रिहा हुई नलिनी श्रीहरन ने गुरुवार को मद्रास उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया और अपने पति को तिरुचिरापल्ली के एक विशेष शिविर से रिहा करने के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश देने की मांग की, ताकि वह यहां उनके साथ रह सकें।
न्यायमूर्ति एन शेषशायी ने नलिनी की याचिका पर केंद्र और तमिलनाडु सरकारों को नोटिस देने का आदेश दिया और इसे छह सप्ताह के बाद आगे की सुनवाई के लिए पोस्ट किया।
नलिनी ने अपनी याचिका में कहा कि 11 नवंबर, 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने उसे और उसके पति श्रीहरन उर्फ मुरुगन रिहा करने के निर्देश दिए थे।
उन्हें 30 वर्ष से अधिक की सजा काटने के बाद उन्हें जेल से रिहा कर दिया गया। चूंकि उनके पति एक विदेशी (श्रीलंकाई नागरिक) थे, इसलिए रिहा होने के तुरंत बाद उन्हें हिरासत में ले लिया गया और तिरुचिरापल्ली के विशेष शिविर रखा गया है। जब कि वह (नलिनी) खुद चेन्नई में रह रही हैं।
नलिनी ने कहा कि तमिलनाडु सरकार द्वारा अपनाई गई नीति के अनुसार, जेल से रिहा होने के बाद कई विदेशियों को कुछ शर्तों के अधीन, उनके परिवार के सदस्यों के साथ राज्य में रहने की अनुमति दी गई थी। उन्होंने कहा कि कई विदेशियों को अपनी पसंद के देशों में शरण लेने की अनुमति दी गई है।
जब उसे गिरफ्तार किया गया तो वह गर्भवती थी और उसकी बेटी का जन्म 19 दिसंबर 1992 को हुआ था जब वह चेंगलपट्टू उप-जेल में बंद थी। उनकी बेटी अब शादीशुदा थी और अपने पति और बच्चे के साथ लंदन में रह रही है।
नलिनी ने कहा कि वो उनके पति अपनी बेटी के साथ यूनाइटेड किंगडम में बसना चाहते हैं। ऩलिनी ने कहा कि उसके पति को पासपोर्ट के संबंधी औपचारिकताओं के लिए में श्रीलंकाई दूतावास से संपर्क करना है।
चूंकि उन्हें विशेष शिविर में हिरासत में लिया गया था, इसलिए वह बाहर निकलने में असमर्थ हैं। उन्होंने 20 मई, 2023 को विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण अधिकारी (एफआरआरओ), चेन्नई, ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन, भारत सरकार को एक अभ्यावेदन दिया था, जिसमें अनुरोध किया गया था कि उनके पति को विशेष शिविर से रिहा किया जाए ताकि वह चेन्नई में उनके साथ रह सकें।
2 *कॉलेजियम ने की 7 हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीशों की नियुक्ति की सिफारिश*
भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाले सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने केंद्र को बॉम्बे और गुजरात सहित सात उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए सात न्यायाधीशों के नामों की सिफारिश की है।
तीन सदस्यीय कॉलेजियम, जिसमें न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना भी शामिल थे, ने बुधवार को सिफारिशें कीं और इसके संकल्प शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर अपलोड किए गए।
इसने बॉम्बे, गुजरात, तेलंगाना, केरल, ओडिशा, आंध्र प्रदेश और मणिपुर के उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति के लिए नामों की सिफारिश की है।
सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए नामों की सिफारिश करने वाली पांच सदस्यीय शीर्ष अदालत कॉलेजियम ने बुधवार को केंद्र को तेलंगाना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां और उनके समकक्ष न्यायमूर्ति एस वेंकटनारायण भट्टी के नामों की सिफारिश की। केरल में, शीर्ष अदालत के न्यायाधीशों के रूप में पदोन्नति के लिए।
कॉलेजियम ने बॉम्बे उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति देवेन्द्र कुमार उपाध्याय के नाम की सिफारिश की है।
कॉलेजियम के प्रस्ताव में कहा गया है कि ”न्यायाधीश रमेश डी धानुका की सेवानिवृत्ति के बाद हाल ही में बंबई उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के पद पर एक रिक्ति उत्पन्न हुई है।” इलाहाबाद उच्च न्यायालय 160 की कुल न्यायाधीश शक्ति के साथ यह सबसे बड़ा उच्च न्यायालय है और इसे उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के बीच पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिलेगा।” इसी तरह, कॉलेजियम ने गुजरात उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल के नाम की सिफारिश की है, जो वर्तमान में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की न्यायाधीश हैं।
इसमें कहा गया है कि न्यायमूर्ति सोनिया जी गोकानी की सेवानिवृत्ति के परिणामस्वरूप गुजरात उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के कार्यालय में एक रिक्ति उत्पन्न हुई है।
“न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल की नियुक्ति पर, उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों में से इलाहाबाद उच्च न्यायालय से दूसरा मुख्य न्यायाधीश होगा। इसके अलावा, न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल के नाम पर विचार करते समय, कॉलेजियम ने इस तथ्य को ध्यान में रखा है कि वह इस समय अकेली महिला मुख्य न्यायधीश होंगी।”
उड़ीसा उच्च न्यायालय के लिए, डॉ. न्यायमूर्ति एस मुरलीधर की सेवानिवृत्ति के परिणामस्वरूप अगस्त 2023 में मुख्य न्यायाधीश के कार्यालय में एक रिक्ति निकलेगी।
प्रस्ताव में कहा गया है, ”उपरोक्त को ध्यान में रखते हुए, कॉलेजियम यह सिफारिश करने का संकल्प करता है कि न्यायमूर्ति सुभासिस तालापात्रा को डॉ. न्यायमूर्ति एस मुरलीधर की सेवानिवृत्ति के परिणामस्वरूप उड़ीसा के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया जाए।” प्रस्ताव में कहा गया है, ”उनके नाम पर विचार करते समय, कॉलेजियम ने इस तथ्य पर विचार किया है कि 2013 में अपनी स्थापना के बाद से, त्रिपुरा उच्च न्यायालय को आज तक उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के बीच प्रतिनिधित्व नहीं मिला है।” कॉलेजियम ने कहा कि न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नति के परिणामस्वरूप आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का कार्यालय 19 मई, 2023 को खाली हो गया।
“न्यायाधीश धीरज सिंह ठाकुर को आंध्र प्रदेश के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने का प्रस्ताव है। उन्हें 8 मार्च, 2013 को जम्मू और कश्मीर के उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था और अब वह सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हैं। उनका मूल उच्च न्यायालय। न्याय के बेहतर प्रशासन के हित में, उन्हें जून 2022 में बॉम्बे उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया था और तब से वह वहीं कार्य कर रहे हैं। मणिपुर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति ठाकुर की पदोन्नति के लिए कॉलेजियम द्वारा 9 फरवरी, 2023 को की गई सिफारिश सरकार के पास लंबित है।
प्रस्ताव में कहा गया है, ”जस्टिस ठाकुर की नियुक्ति पर, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के उच्च न्यायालयों को उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के बीच प्रतिनिधित्व मिलेगा।” दिनांक 9 फरवरी, 2023, अनुशंसा करता है कि न्यायमूर्ति धीरज सिंह ठाकुर को आंध्र प्रदेश के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया जाए।” केरल उच्च न्यायालय के लिए, कॉलेजियम ने कहा कि उसके द्वारा की गई अलग सिफारिश के संदर्भ में न्यायमूर्ति एस वेंकटनारायण भट्टी को शीर्ष अदालत में पदोन्नत करने के परिणामस्वरूप उस उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के कार्यालय में एक रिक्ति उत्पन्न होगी।
इसने केरल उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति आशीष जे.देसाई के नाम की सिफारिश की है, जो वर्तमान में गुजरात उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के पद का कार्यभार संभाल रहे हैं।
प्रस्ताव में कहा गया है, “उनके नाम की सिफारिश करते समय, कॉलेजियम ने इस तथ्य को ध्यान में रखा है कि गुजरात उच्च न्यायालय में वर्तमान में उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के बीच कोई प्रतिनिधित्व नहीं है।”
3 *लाजपत नगर आतंकी धमाका 1996ः 27 साल बाद 4 दोषियों को उम्रकैद की सजा*
दिल्ली के लाजपत नगर में 1996 में हुए बम धमाका प्रकरण में एक याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने चार दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई है। सुप्रीम कोर्ट ने उन दो आरोपियों को भी तत्काल सरैंडर करने का आदेश दिया है जो हाईकोर्ट से जमानत पर छूट गए थे। यह फैसला जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संजय करोल की बेंच ने दिया।
21 मई 1996 की  शाम करीब पौने सात बजे लाजपत नगर के सेंट्रल मार्केट में लोग खरीदारी में व्यस्त थे। चारों तरफ रौनक ही रौनक थी। तभी एक जबर्दस्त बम धमाका हुआ। पल भर में वहां मातम छा गया। इस हादसे में 13 लोगों की जान गई और 38 लोग घायल हुए। धमाके के कारण लाजपत नगर मार्केट के आसपास की 14 दुकानें तबाह हो गईं। वहां खड़ी 8 कारें भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गईं। पुलिस ने दावा किया था कि इस ब्लास्ट को दाऊद इब्राहिम और टाइगर मेमन ने जेकेएलएफ के आतंकियों के जरिए कराया था।
इस संगठन की तरफ से विभिन्न मीडिया हाउसों को जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग के एक नंबर से फोन कर ब्लास्ट की जिम्मेदारी ली गई थी। पुलिस ने उस नंबर को ट्रेस कर लिया। पुलिस ने इस मामले में फारूक अहमद को गिरफ्तार किया। फारूक की मददगार फरीदा डार को भी गिरफ्तार कर लिया गया। फारूक के पास से पुलिस ने एक एके-56, 2 मैगजीन, 1.7 किलो आरडीएक्स और कुछ न्यूज पेपरों के नंबर बरामद किए। फारूक और फरीदा के अलावा मोहम्मद नौशाद, मिर्जा इफ्तिखार, मोहम्मद अली बट, लतीफ अहमद, मिर्जा निसार हुसैन, सैयद मकबूल शाह, जावेद अहमद खान और अब्दुल गनी को भी गिरफ्तार किया गया। नौशाद दिल्ली के तुर्कमान गेट इलाके का रहने वाला है। बाकी आरोपी जम्मू-कश्मीर के रहने वाले हैं।
इन 10 आरोपियों के खिलाफ 19 अगस्त 1996 को चार्जशीट दाखिल की गई, जबकि इसी मामले में टाइगर मेमन, दाऊद इब्राहिम व जेकेआईएफ चीफ बिलाल अहमद सहित अन्य आरोपियों को फरार बताया गया। ये आरोपी अभी तक पुलिस की गिरफ्त में नहीं आए हैं। पुलिस ने कुल 201 गवाहों की लिस्ट कोर्ट में पेश की। सरकारी वकील ने बताया कि आरोपियों ने पहले भी सेंट्रल मार्केट में ब्लास्ट कराने के इरादे से बम प्लांट किए थे, लेकिन तब कुछ तकनीकी कारणों से ब्लास्ट नहीं हो पाया। इसके बाद आरोपियों ने नेपाल से एक शख्स को बुलाया, जो ब्लास्ट करने में माहिर था। इस धमाके में केमिकल गैस का इस्तेमाल किया गया।  फरीदा डार उर्फ बहनजी जेकेआईएफ के चीफ बिलाल अहमद की बहनथी। दरअसल, इस ब्लास्ट की साजिश बिलाल ने ही रची थी। धमाके के  लिए बिलाल ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से संपर्क किया और उसने जम्मू-कश्मीर में अपने साथियों को ब्लास्ट को अंजाम देने की जिम्मेदारी दी। बिलाल के पाक अधिकृत कश्मीर में रहता है और वहीं से अपनी गतिविधियों को ऑपरेट करता है। बिलाल के लिए फारूक और फरीदा चीफ कोऑर्डिनेटर के रूप में काम करते थे।
लाजपत नगर आतंकी हमले में हताहत हुए लोगों के परिजनों न्याय के लिए 27 साल लंबा इंतजार करना पड़ा है। हालांकि पीड़ित परिवारों का कहना है कि आतंकियों को उम्रकैद की सजा कम है। उन्हें मृत्युदण्ड दिया जाना चाहिए था।
4 *दिल्ली में अफसरों के ट्रांसफर पोस्टिंगः अध्यादेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुँची एएपी सरकार, 10 जुलाई को सुनवाई*
दिल्ली में अफसरों के ट्रांसफर पोस्टिग और नियंत्रण के लिए लाए गए केंद्र सरकार के अध्यादेश के खिलाफ दिल्ली सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है। दिल्ली सरकार की याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया है। सुप्रीम कोर्ट 10 जुलाई को केंद्रीय अध्यादेश के खिलाफ दिल्ली सरकार की याचिका पर सुनवाई करेगा।
केंद्र सरकार के अध्यादेश के तहत दिल्ली में अधिकारियों के ट्रांसफर और तैनाती से जुड़ा आखिरी फैसला लेने का हक उपराज्यपाल को दिया गया है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (संशोधन) अध्यादेश, 2023 के तहत दिल्ली में सेवा देने वाले दानिक्स कैडर के ग्रुप ए के अधिकारियों के तबादले और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए राष्ट्रीय राजधानी लोक सेवा प्राधिकरण गठित होगा।
केंद्र सरकार द्वारा गठित प्राधिकरण के तीन सदस्य होंगे। जिनमें दिल्ली के मुख्यमंत्री, दिल्ली के मुख्य सचिव, दिल्ली के गृह प्रधान सचिव होंगे। दिल्ली के मुख्यमंत्री को इस प्राधिकरण का अध्यक्ष बनाया गया है। दानिक्स कैडर में दिल्ली, अंडमान-निकोबार, लक्षद्वीप, दमन एंड दीव, दादरा एंड नागर हवेली सिविल सर्विस के अधिकारी शामिल किए जाते हैं। हालांकि अधिकारियों के तबादले और तैनाती का आखिरी फैसला उपराज्यपाल का ही होगा।
दिल्ली की एएपी सरकार आरोप लगाती रही है कि केंद्र सरकार एलजी के माध्यम से उसे काम नहीं करने दे रही है। एएपी सरकार ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। जहां सुप्रीम कोर्ट ने बीती 11 मई को दिल्ली सरकार के पक्ष में फैसला दिया और साफ किया था कि दिल्ली सरकार ही दिल्ली के नौकरशाहों के तबादले और उनकी तैनाती कर सकती है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले को आम आदमी पार्टी (एएपी) ने अपनी जीत बताया था लेकिन उनकी ये खुशी ज्यादा दिन नहीं रही क्योंकि केंद्र सरकार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली (संशोधन) अध्यादेश, 2023 ले आई और नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया।
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