जानिए सूतक काल और कब से लगेगा यह ग्रहण
Chandragrahan (आज समाज), नई दिल्ली: चंद्रग्रहण इस खगोलीय स्थिति को कहते है जब चंद्रमा पृथ्वी के ठीक पीछे उसकी प्रच्छाया में आ जाता है। ऐसा तभी हो सकता है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा इस क्रम में लगभग एक सीधी रेखा में अवस्थित हों। इस ज्यामितीय प्रतिबंध के कारण चंद्रग्रहण केवल पूर्णिमा को घटित हो सकता है। 7 सितंबर 2025 को भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि है, जिस दिन साल का दूसरा चंद्र ग्रहण लगेगा। यह एक पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा जिसमें ब्लड मून का नजारा देखने को मिलेगा।
यह चंद्र ग्रहण भारत में देखा जा सकेगा जिसके कारण इसका सूतक काल मान्य रहेगा। चंद्रग्रहण के दौरान सूतक ग्रहण से 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है। चंद्र ग्रहण के बाद 21 सितंबर को सूर्य ग्रहण भी लगेगा। साल 2025 का यह चंद्रग्रहण करीब 82 मिनट तक चलेगा जिसमें चंद्रमा सुर्ख लाल रंग का दिखाई देगा। आइए जानते हैं इस चंद्र ग्रहण की खास बातें।
चंद्र ग्रहण 2025 का समय
साल 2025 में चंद्र ग्रहण 7 और 8 सितंबर के दरमियान लगेगा। यह चंद्र ग्रहण बहुत ही खास रहेगा क्योंकि ये ब्लड मून रहेगा। भारतीय समय के अनुसार यह चंद्र ग्रहण 7 सितंबर को रात करीब 10 बजे से शुरू होगा और जो 08 सितंबर की मध्य रात्रि तक चलेगा। ग्रहण का स्पर्श काल रात 11 बजकर 09 मिनट रहेगा। ग्रहण का मध्यकाल रात 11 बजकर 42 मिनट तक रहेगा। ग्रहण का मोक्ष काल रात 12 बजकर 23 मिनट तक रहेगा।
कुंभ राशि में लगेगा ग्रहण
साल का यह दूसरा चंद्र ग्रहण भारत में दिखाई देगा ऐसे में ग्रहण का सूतक काल मान्या रहेगा। चंद्र ग्रहण सूतककाल ग्रहण के लगने के 9 घंटे जबकि सूर्य ग्रहण में 5 घंटे पहले शुरू हो जाता है। पंचांग के अनुसार यह चंद्र ग्रहण भाद्रपद माह की पूणिमा तिथि पर लगेगा और इस दिन से पितृपक्ष की शुरूआत होगी। यह चंद्र ग्रहण कुंभ राशि में लगेगा। इस दौरान चंद्रमा पूवार्भाद्रपद और शतभिषा नक्षत्र में विराजमान होंगे।
दोपहर 12 बजकर 57 मिनट पर शुरू होगा सूतक काल
साल का यह दूसरा चंद्रग्रहण भारत में देखा जा सकेगा जिस कारण से इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा। चंद्र ग्रहण में सूतक काल ग्रहण के 9 घंटे पहले शुरू हो जाता है। ऐसे में 07 सितंबर को सूतक काल दोपहर 12 बजकर 57 मिनट पर शुरू होगा। सूतक काल में किसी भी तरह का शुभ कार्य और पूजा पाठ करना वर्जित होता है। इसमें मंदिरों के पट बंद कर दिया जाता है।
कब लगता है चंद्रग्रहण
पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है तो सूर्य के रोशनी चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाती हैं और चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया पड़ती है। इस दौरान चंद्रमा का रंग लालिमा लिए होता है या फिर काला रंग का होता है। इसे ही चंद्र ग्रहण कहते हैं।
ये भी पढ़ें : आज चंद्रमा वृश्चिक राशि में करेंगे संचरण