- आतंकियों को परवेज और बशीर जोथर ने दी थी शरण
- आतंकियों के आका पहले आपरेशन सिंदूर में मारे गए
Amit Shah Addresses Lok Sabha, (आज समाज), नई दिल्ली: संसद के मानसून सत्र का आज 9वां दिन है और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज लोकसभा में आपॅरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान पुष्टि की कि पहलगाम हमले में संलिप्त रहे लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) के तीनों पाकिस्तानी आतंकवादी सुरक्षा बलों ने ढेर कर दिए हैं।
22 अप्रैल को पहलगाम में कर दी थी 25 पर्यटकों की हत्या
गृह मंत्री ने पहलगाम हमले पर भारत की प्रतिक्रिया का जिक्र करते हुए बताया कि सुरक्षा बलों ने गुनहगारों की तलाश में 2 महीने से ‘महादेव’ नामक खुफिया और सुरक्षा अभियान चलाया था और पिछले कल यानि सोमवार को श्रीनगर के पास दाचीगाम में तीनों आतंकियों को ढेर किया गया। सेना, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) और जम्मू-कश्मीर पुलिस इस कार्रवाई में शामिल रही। बता दें कि आतंकियों ने 22 अप्रैल को पहलगाम की बैसरन घाटी में 25 पर्यटकों व एक एक टट्टू संचालक की गोली मारकार हत्या कर दी थी।
लश्कर कमांडर सुलेमान, अफगान व जिबरान हैं गुनहगार
अमिंत शाह ने बताया कि इस बर्बर हमले को अंजाम देने में संलिप्त (सोमवार को मारे गए) इन तीनों आतंकियों की पहचान लश्कर कमांडर सुलेमान (Suleman), अफगान (Afghan) और जिबरान (Jibran) के रूप में हुई है। उन्होंने कहा कि कथित तौर पर उन्हें शरण देने वाले परवेज जोथर और बशीर जोथर ने उनकी पहचान की पुष्टि की है। गृह मंत्री ने कहा, सुलेमान, अफगान और जिबरान के आका पहले आपरेशन सिंदूर में मारे गए थे।
चंडीगढ़ एफएसएल में किए गए बैलिस्टिक परीक्षणों का हवाला
अमित शाह ने चंडीगढ़ की फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (एफएसएल) में किए गए बैलिस्टिक परीक्षणों का हवाला देते हुए कहा कि मृत आतंकियों से बरामद एक एम9 कार्बाइन और दो एके-47एस पहलगाम हत्याओं में इस्तेमाल किए गए हथियार थे। भारत ने 7 मई को पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) में नौ आतंकी ठिकानों पर हमला किया, जिसके बाद 4 दिन तक सैन्य मुठभेड़ चली। गृह मंत्री ने कहा कि ऑपरेशन महादेव 22 मई को तब शुरू हुआ, जब इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) को दाचीगाम इलाके में तीन आतंकवादियों की मौजूदगी की सूचना मिली।
अल्ट्रा सिस्टम के सिग्नल पकड़ने में लगे रहे जवान
आईबी और सेना के जवान लगातार अल्ट्रा सिस्टम (एक चीनी एन्क्रिप्टेड संचार प्रणाली) के सिग्नल पकड़ने में लगे रहे। आखिरकार, 22 जुलाई को सेंसरों ने उनकी सटीक लोकेशन का पता लगा लिया और फिर सेना की 4 पैरा, जम्मू-कश्मीर पुलिस और सीआरपीएफ ने मिलकर काम किया। आखिरकार कल [सोमवार] उन्हें मार गिराया गया,” शाह ने कहा। “हमने ऐसे लोग भेजे जिन्होंने उनके चेहरे देखे, उनके शवों की पहचान की और पुष्टि की कि 22 अप्रैल को बैसरन घाटी में निर्दोष पर्यटकों को गोली मारने वाले वे ही थे।”
ये भी पढ़ें : Monsoon Session: विपक्ष के हंगामे के कारण राज्यसभा की कार्यवाही 2 बजे तक स्थगित