Legally Speaking: सेम सेक्स मैरिज पर अगले हफ्ते भी  संविधान पीठ में जारी रहेगी सुनवाई, सुप्रीम कोर्ट ने की कई अहम टिप्पणियां

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Aaj Samaj (आज समाज),दिल्ली: सेम सेक्स मैरिज पर अगले हफ्ते भी  संविधान पीठ में जारी रहेगी सुनवाई, सुप्रीम कोर्ट ने की कई अहम टिप्पणियां

सेमसेक्स मैरिज को लेकर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के सामने चल रही बहस अभी जारी है। गुरुवार को भी सेमसेक्स मैरिज के पक्ष में याचिका डालने वाले वकीलों को सुना गया। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि पीठ अगले हफ्ते फिर से तीन दिन सुनवाई जारी रखेगी।

इससे पहले मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि 1954 में विशेष विवाह अधिनियम लागू होने के बाद से विवाह से संबंधित कानून महत्वपूर्ण रूप से विकसित हुआ है। कानून ने दो सहमति देने वाले व्यक्तियों को उनके व्यक्तिगत कानूनों के बाहर नागरिक विवाह के एक रूप की अनुमति दी है।
“समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर करके, हमने न केवल एक ही लिंग के सहमति देने वाले वयस्कों के बीच व्यवहार करने वाले संबंधों को मान्यता दी है, बल्कि हमने यह भी माना है कि जो लोग समान लिंग के हैं वे भी स्थिर संबंधों में होंगे…विवाह जैसा रिश्ता।”
“समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर करके, हम स्वीकार करते हैं कि समलैंगिक संबंध केवल शारीरिक संबंधों के रूप में नहीं हैं बल्कि एक स्थिर, भावनात्मक संबंध से कुछ अधिक हैं,” उन्होंने कहा।

उन्होंने यह भी सवाल किया कि क्या दो पति-पत्नी के बीच विवाह के लिए द्विआधारी लिंग की आवश्यकता होती है।
“हमें विवाह की विकसित धारणा को फिर से परिभाषित करने की आवश्यकता है। क्‍योंकि क्‍या विवाह के लिए द्विलिंगी दो पत्‍नियों का होना एक आवश्‍यक आवश्‍यकता है?”

एडवोकेट राजू रामचंद्रन ने समलैंगिक विवाह के एक शहरी अभिजात्य अवधारणा होने के केंद्र के दावों को खारिज करने की मांग करते हुए कहा कि उन्होंने पंजाब और हरियाणा के छोटे शहरों से एक जोड़े का प्रतिनिधित्व किया, जिन्हें सुरक्षा के लिए दिल्ली जाना पड़ा।

शाम को सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट के जज डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि संविधान पीठ अगले हफ्ते  एक फिर बैठेगी और समलैंगिक शादी के खिलाफ आई याचिकाओं पर बहस सुनी जाएगी।

2. उत्तर प्रदेश सरकार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, दो बड़े अधिकारियों को  हिरासत में लिए जाने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर लगाई रोक

उत्तर प्रदेश सरकार को गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है,जिसमें यूपी के सचिव वित्त एसएमए रिजवी और विशेष सचिव वित्त सरयू प्रसाद मिश्रा को हिरासत में लेने के निर्देश दिए गए थे। सुप्रीम कोर्ट यूपी सरकार की याचीका शुक्रवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने पर सहमत भी हो गया है।

दरअसल, यह पूरा मामला हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जजों के लिए घरेलू नौकर से जुड़ा है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया था कि हाईकोर्ट के रिटायर्ड जजों के घरेलू नौकर समेत अन्य सुविधाएं बढ़ाने के मामले में चीफ जस्टिस के प्रस्तावित नियम को तत्काल अमल में लाएं। इतना ही नही इस संबंध में जारी पूर्व शासनादेश तीन जुलाई 2018 को अतिक्रमित कर उचित आदेश जारी किया जाए। हाईकोर्ट के चार अप्रैल को पारित आदेश को लेकर शासन ने कोर्ट के समक्ष वापस लेने की अर्जी दी थी। लेकिन कोर्ट ने इसे अपने आदेश की अवहेलना माना।
न्यायमूर्ति सुनीत कुमार व न्यायमूर्ति राजेंद्र प्रसाद की पीठ ने मुख्य सचिव दुर्गाशंकर मिश्रा व अपर मुख्य सचिव वित्त प्रशांत त्रिवेदी को सीजेएम लखनऊ के जरिए जमानती वारंट जारी कर गुरुवार को कोर्ट में हाजिर होने का निर्देश दिया था।

3. अब्दुल्ला आजम खान की याचीका पर शुक्रवार को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट, दोषसिद्धि पर रोक लगाने की है मांग

समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम खान की याचीका पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को सुनवाई करेगा। अब्दुल्ला आजम खान ने सुप्रीम कोर्ट में याचीका दाखिल कर हाई कोर्ट के फैसले को चुनोती दी है। गुरुवार को अब्दुल्ला आजम खान के वकील ने मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ से जल्द सुनवाई की मांग की थी। जिस पर सीजेआई ने कहा उनकी याचीका पर शुक्रवार को सुनवाई होगी।

दरअसल, 15 साल पुराने मामले में दोषी ठहराए जाने और 2 साल कैद की सजा सुनाए जाने के बाद अब्दुल्ला आजम की विधानसभा की सदस्यता रद्द कर दी गई थी।

यूपी विधानसभा सचिवालय ने अब्दुल्ला आजम की सीट को रिक्त घोषित कर दिया था। इसी साल फरवरी में मुरादाबाद की एक स्पेशल कोर्ट ने 15 साल पुराने मामले में सपा महासचिव आजम खान और उनके विधायक बेटे अब्दुल्ला आजम को दो साल की सजा सुनाई थी।अब्दुल्ला आजम रामपुर की स्वार सीट से विधायक बने थे।

जिला शासकीय अधिवक्ता नितिन गुप्ता ने फरवरी में मीडिया से बातचीत में बताया था कि जांच के दौरान पुलिस से हुए विवाद में आजम खान समेत नौ लोगों के खिलाफ दर्ज एक मामले में एमपी-एमएलए कोर्ट की न्‍यायाधीश स्मिता गोस्वामी ने आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला को दो-दो साल की सजा सुनायी है और उनपर तीन-तीन हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है।

4. आराध्या बच्चन को दिल्ली हाई कोर्ट से राहत, कहा हर बच्चे को सम्मान पाने का अधिकार, यूट्यूब गलत जानकारी न फैलाए

अमिताभ बच्चन की पोती, अभिषेक बच्चन और ऐश्वर्या राय की बेटी आराध्या बच्चन को दिल्ली हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है। अदालत ने गूगल और यूट्यूब समेत सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर आराध्या की मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य से जुड़ी किसी भी तरह की सामग्री के प्रसारण पर प्रतिबंध लगा दिया है। अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई की तारीख 9 मई तय की है।

वही मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सी हरिशंकर की पीठ ने चैनल से कहा कि इस तरह के मामले से निपटने के लिए आपके पास नीति क्यों नहीं है? कोर्ट ने चैनल के वकील से आगे कहा, क्या आपको इससे फायदा नहीं हो रहा है। क्या आप लोगों को मुफ्त में अपलोड करने दे रहे हैं? कोर्ट ने कहा, ये गलत सूचना प्रसारित करने का मामला है। यूट्यूब एक फायदा लेने वाला प्लेटफॉर्म है और अगर आप इससे फायदा ले रहे हैं तो आप पर सामाजिक जिम्मेदारी भी है। कोर्ट ने कहा कि यूट्यूब की जीरो टॉलरेंस नीति में गड़बड़ है।

वही आराध्या की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता दयान कृष्णन ने सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियमों के नियम 3(1)बी(3) का हवाला देते हुए कहा कि यह नियम बिचौलियों द्वारा बच्चों के लिए हानिकारक सामग्री के संबंध में समुचित सावधानी बरतने का प्रावधान करता है।

अदालत ने आदेश सुनाते हुए कहा कि आराध्या बच्चन के मामले के तथ्यों से पता चलता है कि उन्हें 11 साल की छोटी उम्र में ही उन बातों से गुजरना पड़ता है जिनका उल्लेख मुकदमे में किया गया है।

कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने कहा कि वह मुंबई के एक स्कूल में पढ़ने वाली एक स्वस्थ स्कूली बच्ची हैं, लेकिन कुछ दुष्ट लोग केवल प्रचार के लिए कुछ समय से यूट्यूब पर यह कहते हुए वीडियो प्रसारित कर रहे हैं कि वो गंभीर रूप से बीमार है। यहां तक कि एक वीडियो में तो यह भी दावा किया गया कि वह अब नहीं रही।

कोर्ट ने कहा कि जाहिर तौर पर मॉर्फ्ड तस्वीरों का भी इस्तेमाल किया गया है। इस तरह के वीडियो याचिकाकर्ता के निजता के अधिकार का उल्लंघन करते हैं और आईटी (मध्यस्थ दिशानिर्देश डिजिटल मीडिया नैतिकता) नियमों का उल्लंघन है।

दरसअल आराध्या बच्चन ने उनके स्वास्थ्य और जीवन से संबंधित फर्जी समाचार की रिपोर्टिंग के लिए यूट्यूब टैब्लॉइड के खिलाफ याचिका दायर करते हुए इस तरह की रिपोर्टिंग करने से रोकने की मांग की है।

5.सुप्रीम कोर्ट का आदेश- प्रवासी मजदूरों को ई-श्रम पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन के लिए 3 महीने का अतिरिक्त समय दिया जाए*

प्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सरकार की “परोपकारी योजनाओं” का लाभ उठाने के लिए ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत प्रवासी मजदूरों को राशन कार्ड प्रदान करने के लिए और तीन महीने का समय दिया।

जस्टिस एमआर शाह और एहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने कहा कि केंद्रीय श्रम और रोजगार मंत्रालय के पोर्टल पर पंजीकृत प्रवासी मजदूरों को राशन कार्ड देने का व्यापक प्रचार किया जाए ताकि वे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत लाभ उठा सकें।

शीर्ष अदालत का आदेश याचिकाकर्ताओं अंजलि भारद्वाज, हर्ष मंदर और जगदीप छोक्कर द्वारा दायर एक आवेदन पर आया, जिन्होंने मांग की थी कि एनएफएसए के तहत राशन के कोटा के बावजूद प्रवासी मजदूरों को राशन दिया जाए। शीर्ष अदालत ने 17 अप्रैल को कहा था कि केंद्र और राज्य सरकारें केवल इस आधार पर प्रवासी श्रमिकों को राशन कार्ड देने से इनकार नहीं कर सकती हैं कि एनएफएसए के तहत जनसंख्या अनुपात को ठीक से बनाए नहीं रखा गया है।

6.राहुल गांधी को झटका, सूरत सेंशन कोर्ट ने मानहानि मामले में सजा पर रोक लगाने से किया इंकार

मोदी सरनेम’ को अपमानित किए जाने के मामले में सूरत सेशंस कोर्ट ने राहुल गांधी की अर्जी को खारिज कर दिया है। यानी उनकी सदस्यता पर बहाली फिल्हाल नहीं होगी। सूरत सेशंस, कोर्ट ने राहुल गांधी को दोषी ठहराए जाने पर रोक के खिलाफ दाखिल की गई उनकी अर्जी खारिज कर दी है।

दरअसल, निचली अदालत ने उन्हें ‘मोदी सरनेम’ केस में दो साल की सजा सुनाई थी। आज सीजेएम कोर्ट ने सजा पर रोक के खिलाफ दाखिल की गई राहुल की अर्जी ठुकरा दी। इससे साफ हो गया है कि फिलहाल राहुल गांधी की संसद सदस्यता बहाल नहीं होगी। सूरत सेशंस कोर्ट के फैसले के बाद कांग्रेस की तरफ से बताया गया है कि कन्विक्शन पर स्टे ऑर्डर देने से अदालत ने मना कर दिया। दो घंटे में ऑर्डर की कॉपी लेने के बाद कल राहुल गांधी हाई कोर्ट जाएंगे। सेशंस कोर्ट में राहुल के वकीलों ने तर्क रखा था कि कांग्रेस नेता ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर बयान दिया था और उनका इरादा मोदी समाज का अपमान करने का नहीं था। यह भी कहा गया था कि इस मामले में राहुल को अधिकतम सजा देना उचित नहीं है।

राहुल गाँधी की अर्जी पर पढ़ें सूरत सेशंस कोर्ट का फैसला

फिलहाल राहुल की टीम के पास हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प बचा है। इस बीच, कांग्रेस के लिए टेंशन यह भी होगी कि कहीं चुनाव आयोग वायनाड में निर्वाचन की घोषणा न कर दे। अगर ऐसा होता है तो कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। सुबह से ही आज पूरे देश की नजरें सूरत कोर्ट की तरफ थीं। कर्नाटक चुनाव प्रचार में जुटी कांग्रेस पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को अच्छी खबर मिलने की उम्मीद थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। दोषी ठहराए जाने और सजा सुनाए जाने के फैसले पर रोक लगती तो राहुल की लोकसभा सदस्यता बहाल हो जाती। ऐसे में वह फिर से संसद में दिखाई दे सकते थे।

7.सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों की हड़ताल पर लगाई रोक, बार का कोई मेंबर न्यायिक कार्य को बाधित नहीं कर सकता*

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि वकील हड़ताल पर नहीं जा सकते हैं या काम से दूर नहीं रह सकते हैं। इसी के साथ सभी उच्च न्यायालयों को मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में राज्य स्तर पर शिकायत निवारण समिति गठित करने का निर्देश दिया है, जहां अधिवक्ता “वास्तविक समस्याओं” के निवारण के लिए अभ्यावेदन कर सकते हैं।

जस्टिस एमआर शाह और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि एक मंच प्रदान करने के लिए जिला अदालत स्तर पर एक अलग शिकायत निवारण समितियों का गठन किया जाना चाहिए, जहां वकील मामलों को दर्ज करने या सूचीबद्ध करने या दुर्व्यवहार करने में प्रक्रियात्मक परिवर्तन से संबंधित अपनी वास्तविक शिकायतों के निवारण की मांग कर सकते हैं। निचली न्यायपालिका के सदस्य।

पीठ ने कहा, “हम एक बार फिर दोहराते हैं कि बार का कोई भी सदस्य हड़ताल पर नहीं जा सकता है… इस अदालत ने बार-बार इस बात पर जोर दिया है कि अधिवक्ताओं के हड़ताल पर जाने या अपने काम से दूर रहने से न्यायिक कार्य बाधित होता है।”

8. सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने मद्रास के मुख्य न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति गंगापुरवाला की नियुक्ति की सिफारिश की

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने मद्रास उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में बॉम्बे उच्च न्यायालय के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एसवी गंगापुरवाला की नियुक्ति की सिफारिश की। 19 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने नियुक्ति की सिफारिश की जिसमें भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति केएम जोसेफ शामिल थे।

जस्टिस गंगापुरवाला, जिनका जन्म 1962 में हुआ था, उन्होंने अपना कानूनी करियर 1985 में एडवोकेट एसएन लोया के चैंबर से शुरू किया था। उन्होंने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, बॉम्बे मर्केंटाइल कोऑपरेटिव बैंक, जलगाँव जनता सहकारी बैंक और डॉ बाबासाहेब अम्बेडकर मराठवाड़ा विश्वविद्यालय जैसे वित्तीय संस्थानों का प्रतिनिधित्व किया। 1999 में महाराष्ट्र दंगों के बाद, न्यायमूर्ति गंगापुरवाला ने न्यायमूर्ति माने आयोग के समक्ष सरकार का प्रतिनिधित्व किया। 13 मार्च, 2010 को उन्हें बॉम्बे हाई कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था, और 11 दिसंबर, 2022 को उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया था। एसीजे गंगापुरवाला बॉम्बे हाईकोर्ट में सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हैं और मई 2024 में रिटायर्ड होंगे।

9. सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने राजस्थान के मुख्य न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति मसीह की नियुक्ति की सिफारिश की

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति ऑगस्टाइन जॉर्ज मसीह को राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने की सिफारिश की है। न्यायमूर्ति पंकज मिथल की राजस्थान उच्च न्यायालय से सर्वोच्च न्यायालय में पदोन्नति के परिणामस्वरूप रिक्ति उत्पन्न हुई। गौरतलब है कि न्यायमूर्ति मसीह पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश हैं, जिनकी नियुक्ति 10 जुलाई, 2008 को हुई थी। कॉलेजियम के प्रस्ताव के अनुसार, पंजाब और हरियाणा न्यायालय में वर्तमान में उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के बीच प्रतिनिधित्व का अभाव है। सर्वोच्च न्यायालय के सलाहकार न्यायाधीशों द्वारा प्रस्ताव का समर्थन करने के बाद इसने नियुक्ति की सिफारिश करने का निर्णय लिया। प्रस्ताव में कहा गया है, “उन्होंने [न्यायमूर्ति मसीह] ने दो राज्यों के अधिकार क्षेत्र वाले उच्च न्यायालय में न्याय प्रदान करने का अनुभव प्राप्त किया है।”

10. सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने केरल के मुख्य न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति एसवी भट्टी की नियुक्ति की सिफारिश की

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने न्यायमूर्ति एसवी भट्टी को केरल उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया जाए। गौरतलब है कि न्यायमूर्ति एसवी भट्टी आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश हैं और वर्तमान में स्थानांतरण पर केरल उच्च न्यायालय के वरिष्ठतम न्यायाधीश के रूप में कार्यरत हैं। 24 अप्रैल को वर्तमान मुख्य न्यायाधीश एस मणिकुमार की सेवानिवृत्ति के बाद केरल उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का कार्यालय जल्द ही खाली होने वाला है। कॉलेजियम ने कहा कि दो उच्च न्यायालयों में एक वरिष्ठ न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति भट्टी का अनुभव केरल उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनके लिए फायदेमंद होगा। कॉलेजियम के प्रस्ताव में कहा गया है, “सभी प्रासंगिक कारकों के संबंध में, कॉलेजियम का विचार है कि न्यायमूर्ति एस वी भट्टी केरल के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्त होने के लिए हर तरह से फिट और उपयुक्त हैं।”
[20/04, 14:45] Ashish Sinha: मद्रास हाईकोर्ट एडवोकेट्स एसोसिएशन के चुनाव जून में होंगे

मद्रास उच्च न्यायालय ने कहा मद्रास उच्च न्यायालय अधिवक्ता संघ (एमएचएए) के पदाधिकारियों के चुनाव जून में होंगे, जब न्यायालय गर्मी की छुट्टी के बाद फिर से खुलेगा। न्यायमूर्ति आर महादेवन और न्यायमूर्ति मोहम्मद शफीक की खंडपीठ ने एसोसिएशन के सदस्यों से 28 अप्रैल तक ऐसे चुनावों के स्थान के साथ-साथ टेलर समिति में नियुक्त किए जाने वाले नए सदस्यों के लिए सुझाव प्रस्तुत करने को कहा। बेंच ने कहा कि चुनाव की तारीख 3 जून 2023 को तय की जाएगी। बूथ कैप्चरिंग के आरोपों के बाद, टेलर कमेटी ठप हो गई और अंततः 9 जनवरी को उच्च न्यायालय के अक्टूबर 2021 के आदेश के बाद निर्धारित एमएचएए चुनावों को रद्द कर दिया। तब डिवीजन बेंच ने एमएचएए टेलर कमेटी को चुनाव के दिन क्या हुआ, इसका विवरण देने वाली एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया। इसने एसोसिएशन को आश्वासन दिया था कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिए इस बार पर्याप्त सुरक्षा के साथ फिर से चुनाव कराए जाएंगे।

11. सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने हिमाचल प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव की नियुक्ति की सिफारिश की

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने हाल ही में सिफारिश की थी कि न्यायमूर्ति एमएस रामचंद्र राव को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया जाए। कॉलेजियम, जिसमें भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एसके कौल और केएम जोसेफ शामिल हैं, ने शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर प्रकाशित अपने प्रस्ताव में उल्लेख किया है कि, “मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर के अनुसार, न्यायाधीश एम एस रामचंद्र राव की हिमाचल प्रदेश के उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए सिफारिश की है। वह तेलंगाना राज्य के लिए उच्च न्यायालय से निकलने वाले शीर्ष न्यायाधीशों में सबसे वरिष्ठ हैं। उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के बीच तेलंगाना राज्य का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। न्यायमूर्ति एम एस रामचंद्र राव ने दो उच्च न्यायालयों में न्याय प्रदान करने का अनुभव प्राप्त किया है। कॉलेजियम के प्रस्ताव में आगे कहा गया है, कॉलेजियम ने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में नियुक्ति के लिए न्यायमूर्ति एम एस रामचंद्र राव की सिफारिश करने का निर्णय लिया। 29 जून 2012 को न्यायमूर्ति एम एस रामचंद्र राव को आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय में नियुक्त किया गया था। 12 अक्टूबर, 2021 को उन्हें पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में स्थानांतरित कर दिया गया, जहां वे अब न्यायाधीश हैं।

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