Legally Speaking : नर्मदा में प्रदूषण रोकने में विफल अधिकारियों को NGT ने व्यक्तिगत तौर पर किया तलब

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आज समाज डिजिटल ,दिल्ली:

1.नर्मदा में प्रदूषण रोकने में विफल अधिकारियों को NGT ने व्यक्तिगत तौर पर किया तलब

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की की प्रधान पीठ ने नर्मदा नदी प्रदूषण मामले में मध्य प्रदेश के प्रमुख सचिव, नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष और मध्य प्रदेश के अन्य शीर्ष अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का हुक्म सुनाया है।
न्यायमूर्ति अरुण कुमार त्यागी (न्यायिक सदस्य) और डॉ अफरोज अहमद (विशेषज्ञ सदस्य) की खंडपीठ के अनुसार,
“इस ट्रिब्यूनल के समक्ष कार्यवाही को प्रतिकूल मुकदमेबाजी के हिस्से के रूप में नहीं माना जा सकता है। अगर वो पेश नहीं होते हैं तो उन्हें एकतरफा कार्यवाही का सामना करना पड़ सकत है ।

ट्रिब्यूनल ने कहा कि क्योंकि मध्य प्रदेश राज्य और उसके तंत्र उसके सामने उपस्थित नहीं हुए हैं या उन्हें दिए गए नोटिसों का जवाब नहीं दिया है, यह मध्य प्रदेश सरकार के मुख्य सचिव और महाधिवक्ता को सूचित करना आवश्यक समझता है। ट्रिब्यूनल ने उन्हें निर्देश दिया कि वे ट्रिब्यूनल के नोटिस का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए उचित निर्देश जारी करें, रें और ट्रिब्यूनल के समक्ष अपने अधिकृत प्रतिनिधि के माध्यम से पेश हों।

दरअसल, मध्य प्रदेश के डिंडोरी में नर्मदा नदी के पर्यावरण को गंभीर नुकसान के बारे में चिंता जताते हुए समयक जैन (और अन्य) द्वारा एक आवेदन दायर किया है। आवेदकों के अनुसार, करोड़ों रुपये की धनराशि खर्च किए जाने के बाद भी अधिकारी नर्मदा नदी में अनुपचारित सीवेज और नाली के पानी के निर्वहन को रोकने में विफल रहे हैं।
आवेदकों ने ट्रिब्यूनल से मध्य प्रदेश राज्य और स्थानीय अधिकारियों के खिलाफ कई आदेश जारी करने के लिए कहा था, जिसमें नदी में अनुपचारित सीवेज के निर्वहन पर रोक और नदी के किनारे पेड़ काटने पर रोक लगाना शामिल था।
सितंबर 2022 में, ट्रिब्यूनल ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल एक्ट, 2010 की अनुसूची (एक) में सूचीबद्ध अधिनियमों के कार्यान्वयन से उत्पन्न होने वाले आवेदनों में पर्यावरणीय आरोपों पर विचार किया। आवेदन में लगाए गए आरोपों के आलोक में, एनजीटी ने जांच के लिए एक संयुक्त समिति का गठन किया था।

2.’अक्षम’ लोक अभियोजकों से मध्यप्रदेश हाईकोर्ट नाराज, नियुक्ति में कड़ी प्रक्रिया अपनाने के निर्देश

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने हाल ही में विधि सचिव, भोपाल को राज्य में अक्षम लोक अभियोजकों और सरकारी अधिवक्ताओं की नियुक्ति के संबंध में कड़े कदम उठाने का निर्देश दिया।
जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए, न्यायमूर्ति दीपक कुमार अग्रवाल ने अक्षम राज्य वकील की वजह से मामलों की सुनवाई करते समय कठिनाइयों का सामना करने पर आश्चर्य व्यक्त किया।
आदेश में कहा गया है कि “यह आश्चर्य की बात है कि इस न्यायालय को मामलों की सुनवाई करते समय विभिन्न कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि राज्य सरकार द्वारा अक्षम लोक अभियोजकों-सरकारी अधिवक्ताओं को नियुक्त किया जा रहा है जो मामलों पर ठीक से बहस नहीं कर रहे हैं और सहायक के तौर पर अदालत की सहायता नहीं कर रहे हैं।
दरअसल रेप के एक मामले में जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान पीड़िता ने आरोप लगाया कि उसे सुनील रावत और उसके दोस्त शादी का झांसा देकर झांसी ले गए, जिनमें से एक आवेदक था। मुख्य आरोपी कथित तौर पर उसे रायपुर ले गया जहां उसने एक कमरा किराए पर लिया और उसका यौन उत्पीड़न किया।
इसके बाद उसने उससे शादी करने से इनकार कर दिया। अपीलकर्ता के वकील ने कहा कि उसे मामले में झूठा फंसाया गया है। यह कहा गया था कि आवेदक के खिलाफ एकमात्र आरोप यह था कि वह रेस्पॉन्डेंट और अभियुक्तों के साथ झांसी गया और उन्हें रेलवे स्टेशन पर छोड़ दिया। सरकार की ओर से पेश वकील मुकदमे के तथ्यों को कोर्ट के सामने ठीक से पेश नहीं कर पाए। आखिर में अदालत को आरोपी अपीलकर्ताको जमानत देनी पड़ी।

3. श्रद्धा हत्याकाण्डः पिता विकास वाकर ने अंतिम संस्कार के लिए अदालत से मांगी बेटी की अस्थियां

दिल्ली की एक साकेत कोर्ट ने अपनी ‘लिव-इन पार्टनर’ श्रद्धा वाकर की हत्या के आरोपी आफताब अमीन पूनावाला के खिलाफ आरोप तय करने के संबंध में शनिवार को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश मनीषा खुराना कक्कड़ ने मामले की सुनवाई 29 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी है। आरोपों पर बहस शनिवार को ही पूरी हुई।

इस बीच, वाकर के पिता ने अंतिम संस्कार करने के लिए उसकी अस्थियां सौंपने के लिए अदालत में एक आवेदन दायर किया है। विशेष लोक अभियोजक अमित प्रसाद ने कहा कि दिल्ली पुलिस सुनवाई की अगली तारीख पर अर्जी पर जवाब दाखिल करेगी।

गौरतलब है कि लगभग छह महीने पहले दिल्ली के महरौली इलाके में पूनावाला ने वाकर की जघन्य ढंग से हत्या कर दी थी। उसने वाकर के शव के लगभग 35 टुकड़े कर उन्हें लगभग तीन सप्ताह तक 300 लीटर की क्षमता वाले फ्रिज में रखा और फिर उन्हें दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में फेंक दिया। दिल्ली पुलिस ने कई महीनों तक दिल्ली के जंगलों, नालों और वीरानों की खाक छानने के बाद श्रद्धा के शरीर के अवशेष बरामद किए थे। सीएफएसएल और डीएनए रिपोर्ट से श्रद्धा वाकर की हत्या की पुष्टि हुई थी।

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