Learn from them – humanity over religion, Muslim family has been raising Hindu family for two months: इनसे सीखें-धर्म से उपर इंसानियत, मुस्लिम परिवार दो माह से पाल रहा हिंदू परिवार को

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गुना। कोरोना वायरस महामारी ने पूरी दुनिया में हजारों जाने अब तक ले लीं हैं। लाखों लोग इससे संक्रमित हो गए हैं। भारत में भी इस महामारी ने हजारों को अपनी चपेट में ले लिया है। लेकिन इस महामारी से लोगों को बचानेके लिए लॉकडाउन लगाया गया जिसने गरीबो, मजलूमों के सामने ज्यादा बड़ी समस्या पैदा कर दी। रोज कमाने खाने वालों के सामने संकट की घड़ी आ गई। उनमें से कईयों के लिए यह जीवन मरण का सवाल बन गया। इस बीच इंसानियत और प्रेम को जाहिर करती एक तस्वीर भी सामने आई। एक हिंदु परिवार की चार बेटियों को जिनके माता-पिता इस वक्त अपने गांव में हैंऔर लॉकडाउन केकारण पिछले कई दिनों से घर नहीं आ पाएं हैंउन्हेंएक मुस्लिम परिवार ने सहारा दिया है। आजाद खान इस समय उन चार ों बच्चियों का ख्याल रख रहेंहैं। दरअसल शहर के साहू धर्मशाला के सामने कर्नलगंज क्षेत्र में किराये के मकान में रहकर पानीपुरी और चना बेचने वाले एक दंपत्ति अपने काम से पैतृक गांव हाजीपुर नैरा जिला मैनपुरी उप्र 18 मार्च को गए थे। इस दौरान वह अपनी छोटी-छोटी4 बच्चियों को गुना में ही छोड़ गए थे। दंपत्ति को लगा था कि दो-चार दिन में काम खत्म कर गुना वापस आ जाएंगे, लेकिन अचानक लगे लॉकडाउन के कारण वह अपने गांव में ही फंस कर रह गए। तब से ही उनके चार बच्चियां रागिनी (16), अंजली (14), सलोनी (12) एवं रानी (10) गुना में अकेली रह गई, और अपने मम्मी-पापा के आने की रोज राह देख रही हैं। वो तो भला हो मकान मालिक आजाद खान और स्थानीय रहवासियों का जो उक्त बच्चों का खाने पीने से लेकर हर बात का पूरा ख्याल रख रहे हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार शहर के कर्नलगंज क्षेत्र में वर्षों से किराये का मकान लेकर उप्र के निवासी रामवरण सिंह चना और पानीपुरी का ठेला लगाकर अपना आजीविका चलाते थे। दोनों पति-पत्नी किसी तरह चार बेटियां और एक छोटे दूध पीते बेटा का पेट पाल रहे थे। गत 18 मार्च को वह अपने पैतृक गांव हाजीपुर नैरा जिला मैनपुरी उप्र पारिवारिक काम से गए थे। काम निपटाकर जल्द गुना लौट आएंगे ऐसा सोच उक्त दंपत्ति अपनी बेटियों को यहीं छोड़ गए थे। लेकिन अचानक चार दिन बाद लगे लॉकडाउन के कारण यह परिवार वही फंस रह गया। बकौल, रामवरण सिंह के अनुसार उन्हें लगा कि 14 अप्रैल तक की बात है किसी तरह निकल लेंगे। लेकिन तीन बार लॉकडाउन बढऩे से उनकी समस्या बढ़ गई। इस दौरान पब्लिक ट्रांसपोर्ट पूरी तरह बंद होने के कारण वह गुना नहीं आ पा रहे हैं। उक्त परिवार बेहद गरीब है, ऐसे में निजी वाहन कर उप्र से गुना आना मुश्किल है। वहीं गुना में स्थानीय रहवासी भी इन्हें चंदा करके भी अपने माता-पिता के पास सुरक्षा की दृष्टि से नहीं भेज पा रहे हैं। चूंकि 4-4 बेटियां आखिरी किसकी जिम्मेदारी पर उप्र जाएंगी। ऐसे में दिन-रात यह चोरों मासूम बच्चियां अपने माता-पिता के आने की राह देख रही है। रामवरण के अनुसार वह गुना आना चाहते हैं, यही कुछ काम धंधा करके पेट पालेंगे। शहर में रहने वाले इस मजदूर परिवार ने जिला प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है।

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