Mokshada Ekadashi Vrat Niyam: जानें मोक्षदा एकादशी में क्या खाएं और क्या नहीं?

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Mokshada Ekadashi Vrat Niyam: जानें मोक्षदा एकादशी में क्या खाएं और क्या नहीं?
Mokshada Ekadashi Vrat Niyam: जानें मोक्षदा एकादशी में क्या खाएं और क्या नहीं?

व्रत को करने से अक्षय फलों की होती है प्राप्ति
Mokshada Ekadashi Vrat Niyam, (आज समाज), नई दिल्ली: मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मोक्षदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। यह एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है। इसी दिन कुरुक्षेत्र के मैदान में भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को श्रीमद्भगवद्गीता का उपदेश दिया था, इसलिए इस दिन को गीता जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल 1 दिसंबर 2025 यानी की आज यह पवित्र व्रत रखा जाएगा। कहा जाता है कि इस व्रत को रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।

व्रत के दौरान क्या खाएं?

  • इस पावन तिथि पर सभी प्रकार के फल खा सकते हैं, जैसे केला, सेब, संतरा, अंगूर आदि।
  • दूध, दही, पनीर, छाछ का सेवन कर सकते हैं।
  • आलू, शकरकंद, अरबी, सिंघाड़े के आटे से बनी चीजें खा सकते हैं।
  • कुट्टू का आटा, सिंघाड़े का आटा, साबूदाना, राजगिरा का उपयोग कर सकते हैं।
  • टमाटर, गाजर, लौकी, ककड़ी आदि सात्विक सब्जियां खा सकते हैं।
  • सेंधा नमक, काली मिर्च, अदरक, हरी मिर्च का प्रयोग फलाहार में किया जा सकता है।

व्रत के दौरान क्या न खाएं?

  • चावल, गेहूं, दालें और सामान्य नमक का सेवन न करें।
  • लहसुन, प्याज, मांस, मदिरा और अन्य तामसिक भोजन से दूर रहें।
  • हल्दी, हींग, राई, मेथी दाना आदि मसालों का प्रयोग न करें।
  • एकादशी के दिन बासी भोजन या दोबारा गरम किया गया भोजन नहीं खाना चाहिए।
  • एक ही दिन में दो बार भोजन करने से बचें।
  • अगर संभव हो तो फलाहार व्रत करें।

मोक्षदा एकादशी व्रत के सही नियम

  • दशमी के दिन सात्विक भोजन करें और चावल, जौ आदि अन्न का सेवन न करें।
  • एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
  • भगवान विष्णु और श्री कृष्ण की पूजा करके व्रत का संकल्प लें।
  • ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का 108 बार जाप करें।
  • इस दिन गीता जयंती भी है इसलिए श्रीमद्भगवद्गीता का पाठ जरूर करें।
  • हो पाए, तो रात में जागकर भजन-कीर्तन करें।
  • द्वादशी तिथि के दिन सूर्योदय के बाद ही व्रत का पारण करें।
  • पारण के पहले ब्राह्मण या किसी जरूरतमंद को भोजन कराकर दान दें, फिर खुद अन्न ग्रहण करें।
  • पारण द्वादशी तिथि समाप्त होने से पहले करना जरूरी माना जाता है।

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