Mustard Farming: जानें सरसों की बुआई का सही समय

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Mustard Farming: जानें सरसों की बुआई का सही समय
Mustard Farming: जानें सरसों की बुआई का सही समय

सीड ट्रीटमेंट और रख-रखाव का तरीका
Mustard Farming, (आज समाज), नई दिल्ली: मानसून की विदाई के बाद अब किसानों का सारा ध्यान रबी की फसलों पर है। सरसों रबी सीजन की एक प्रमुख फसल है, जो कम पानी में भी अच्छी पैदावार देती है। सही समय पर बुआई और उचित बीज उपचार अपनाकर किसान उत्पादन को कई गुना बढ़ा सकते हैं। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद यानी आईसीएआर की मानें तो सर्दियों के आगमन के साथ किसान सरसों की बुआई की तैयारी कर रहे हैं। ऐसे में सरसों की सही बुआई समय और बीज उपचार का पालन करना फसल की गुणवत्ता और उत्पादन के लिए बेहद जरूरी है।

सुझाव

आईसीएआर की तरफ से किसानों को इससे जुड़े कुछ खास सुझाव दिए गए हैं जो सरसों की बुआई के लिए कारगर साबित हो सकते हैं। इन सुझावों में बुआई के सही समय से लेकर बीजों के उपचार का तरीका तक शामिल है। बीज उपचार करने से फसल रोगों और कीटों से बचती है और पैदावार में बढ़ोतरी होती है। यह किसान के लिए कम लागत में ज्यादा लाभ देने वाला उपाय है।

बीज की मात्रा और चयन

एक हेक्टेयर खेत के लिए 2.5 से 3.5 किलो बीज की मात्रा पर्याप्त होती है। किसान हमेशा साफ, स्वस्थ और रोग-मुक्त प्रमाणित बीज का ही इस्तेमाल करें। अच्छी गुणवत्ता वाले बीज से अंकुरण बेहतर होता है और फसल रोगों से बची रहती है।

बुआई का सही समय

आईसीएआर की मानें तो सरसों की बुआई का समय किस्म पर निर्भर करता है। सामान्य तौर पर इसकी बुआई सितंबर के अंतिम सप्ताह से अक्टूबर के अंत तक करना सबसे अच्छा रहता है। अगर बुआई समय से पहले की जाए तो पौधे कमजोर रह जाते हैं। वहीं देर से बुआई करने पर ठंड और पाले का असर फसल पर पड़ सकता है। अच्छे अंकुरण के लिए बुआई के समय दिन का अधिकतम तापमान 30 डिग्री सेल्सियस से अधिक नहीं होना चाहिए।

बुआई की विधि

  • सिंचित क्षेत्रों में कतार से कतार की दूरी 45 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 20 सेंटीमीटर रखनी चाहिए।
  • इस तरह की बुआई से पौधों को पर्याप्त धूप और हवा मिलती है, जिससे फसल तंदुरुस्त रहती है।

बीज उपचार की विधियां

  • कार्बेन्डाजिम (बविस्टिन) का इस्तेमाल 2 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से करें। इस दर से फसल पर लगने वाले कई फफूंदजनित रोगों को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
  • ट्राइकोडर्मा नामक फंगस का प्रयोग 6 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से करें। इससे जमीन में पाए जाने वाले कई हानिकारक रोगाणुओं का असर खत्म हो जाता है।
  • स्पॉटेड कीट या पेंटेड बग से बचाव के लिए इमिडाक्लोप्रिड 70 हढ का इस्तेमाल करें। इसे 7 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करके बुआई करें।