केसर एवं हींग की खेती से किन्नौर जिला बनेगा आत्मनिर्भर

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आज समाज डिजिटल, पालमपुर:
सीएसआईआर-हिमालय जैवसम्पदा प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएचबीटी), पालमपुर द्वारा प्रदेश के कृषि विभाग के माध्यम से जिला किन्नौर को केसर एवं हींग के बीज और पौध लगाने के लिए भेजी गई है। ये जानकारी निदेशक, हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान डॉ. संजय कुमार ने दी। उन्होंने बताया कि केसर के बीज की पहली खेप (840 किलोग्राम केसर कोर्म) व 3250 हींग के पौधे कृषि विभाग के अधिकारियों को दिए गए हैं। यह बीज एवं पौध सामग्री प्रदेश के जिला किन्नौर के गैर-पारंपरिक क्षेत्रों के लिए रोपण के लिए भेज गई है। प्रदेश सरकार की महत्वकांक्षी कृषि से संपन्नता योजना के अंतर्गत आईएचबीटी संस्थान व कृषि विभाग, हिमाचल प्रदेश इस वर्ष 1 हेक्टयर क्षेत्र को केसर व 3 हेक्टयर क्षेत्र हींग की खेती के अंतर्गत लाने के लक्ष्य पर काम कर रहा है। इस वर्ष किन्नौर जिले में केसर की खेती 0.24 हैक्टर क्षेत्रफल और हींग की खेती 0.5 हैक्टर क्षेत्रफल में की जाएगी। डॉ. संजय ने बताया कि वर्तमान में केसर केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर के पंपोर और किश्तवाड़ जिलों में उगाया जाता है, जिसका वार्षिक उत्पादन 6-7 टन तक होता है जो कि भारत में 100 टन की वार्षिक मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है। इसी प्रकार देश में प्रति वर्ष 1542 टन से अधिक शुद्ध हींग की खपत होती है तथा देश में प्रतिवर्ष 942 करोड़ रुपए से अधिक हींग के आयात पर खर्च किए जाते हैं।
भारत में हींग की आपूर्ति के लिए मुख्यत अफगानिस्तान, उज्बेकिस्तान तथा ईरान प्रमुख देश पर निर्भरता हैं। देश में हींग का आयात मुख्यत: (कुल आयात का 90 प्रतिशत) अफगानिस्तान से किया जाता है। जिसके लिए प्रदेश सरकार का कृषि विभाग, सीएसआईआर-हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान, पालमपुर के साथ मिलकर केसर व हींग की खेती के पायलट प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत हिमाचल प्रदेश के कुछ चिन्हित क्षेत्रों में जिनकी जलवायु केसर व हींग के लिए उपयुक्त हो सकती है, वहाँ पर पायलट योजना के अंतर्गत कुछ किसानों द्वारा संस्थान के वैज्ञानिकों एवं कृषि विभाग अधिकारियों की देख-रेख में ही खेती कारवाई जा रही है जो की भारत को केसर व हींग के उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने की और एक कदम है।

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