कैथल : गुरू पूर्णिमा, महर्षि व्यास जयंती के उपलक्ष्य में कवि गोष्ठी आयोजित

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मनोज वर्मा, कैथल :
अखिल  भारतीय  साहित्य  परिषद् जिला इकाई  कैथल  द्वारा गुरु पूर्णिमा, महर्षि व्यास  जयंती  के उपलक्ष्य  में  जवाहर पार्क स्थित  सेवा संघ भवन में कवि-गोष्ठी का आयोजन  किया गया। गोष्ठी की अध्यक्षता साहित्यकार एवं  इतिहासविद्  डा. हरीश  झंडई  ने की। गोष्ठी का संचालन  डा. प्रद्युम्न  भल्ला ने किया। गोष्ठी के आरंभ में परिषद् की जिला इकाई कैथल  के संयोजक डा. तेजिंद्र ने अखिल  भारतीय  साहित्य  परिषद् के बारे में जानकारी दी। महर्षि व्यास जी को नमन किया और कहा कि परिषद् के नये प्रांत अध्यक्ष मोहन सारस्वत मनीषी  परिषद् की निरंतर प्रगति के लिए कृत संकल्प हैं। उनका स्वप्न  है कि अखिल  भारतीय  साहित्य  परिषद् की इकाइयां गांव-गांव  तक स्थापित  हों। डा. तेजिंद्र ने कहा कि वे इस स्वप्न को साकार करने के लिए हमेशा प्रयत्नशील रहेंगे। गुरु के प्रति कृतज्ञता का भाव प्रकट करते हुए डा. प्रद्युम्न  भल्ला ने कहा कि तेरा ज्ञान लेकर गुरुवर, बदली है जिंदगानी। तेरे दर पर आके गुरुवर, दुनियां हुई दीवानी।

गुरु को सब भ्रम दूर करने वाला बताते हुए  बलवान कुंडू सावी ने कहा कि गुरु नाम है मुक्ति का, सब भ्रम करता दूर। वह समझे कैसे भला, जो मद में हो चूर। गुरु को प्रकाश की किरण बताते हुए  नीरू मेहता ने कहा कि क्या कर सकते हो, गुरु बिना कल्पना, जीवन में प्रकाश की? अवसाद और निराशा भरे इस जीवन में, गुरु आशा की किरण है। गुरु को भगवान का दर्जा देते हुए बालक स्वरीत ने कहा कि देते हमको अच्छा ज्ञान। भक्त हम गुरु भगवान। अक्षर ज्ञान गुरु सिखाता। अच्छा इंसान गुरु बनाता। मां-बाप और गुरु की डांट-डपट को सौगात समझने की सीख देते हुए ईश्वर चंद  गर्ग ने कहा कि डांट-डपट मां-बाप,  गुरु की, शिरोधार्य  सौगात समझ। गुरु को पथप्रदर्शक बताते हुए गिरिजा कुमारी ने कहा कि वह मेरा हर पल दर्शक है। वह मेरा पथप्रदर्शक है। गुरु को ज्ञान का उजाला देने वाला कहते हुए  डा. संध्या ने कहा कि तम से गहरा अज्ञान, दे रहा जो ज्ञान का उजाला। आया गया देखो, ऋषि निराला।

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