ISKCON Prachar Samiti : मनुष्य को शास्त्रों के अनुसार भक्ति मार्ग पर चलना चाहिए : साक्षी गोपाल दास

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 प्रवचन करते हुए साक्षी गोपाल दास। 
 प्रवचन करते हुए साक्षी गोपाल दास। 

Aaj Samaj (आज समाज), ISKCON Prachar Samiti, मनोज वर्मा, कैथल:
इस्कॉन कुरुक्षेत्र व इस्कॉन प्रचार समिति कैथल द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिवस पर साक्षी गोपाल दास प्रभु मुख्य रूप से पधारे और उन्होंने आए हुए सभी श्रद्धालुओं को भगवान श्री कृष्ण के विषय में बताया। भगवान स्वयं श्रीमद् भागवत गीता के चौथे अध्याय के ९वें शलोक में कहते हैं कि मेरा जन्म और कर्म दोनों ही दिव्य होते हैं। जो जीव मनुष्य की योनि में आकर मेरे जन्म और कर्म दोनों को जान लेता है, उसे इस योनि में दोबारा नहीं आना पड़ता अर्थात वह जन्म और मृत्यु के चक्कर से मुक्त हो जाता है। मनुष्य को शास्त्रों के अनुसार भक्ति के मार्ग पर बढऩा चाहिए। भगवान स्वयं कहते हैं कि जो व्यक्ति मुझे भगवान नहीं मानते वे मूढ़मति के होते हैं। भगवान अपने भक्तों के लिए अनेक रूप लेकर धरती पर आते हैं।

पंडाल में भगवान श्री कृष्ण की जन्माष्टमी महोत्सव को बड़ी धूमधाम से मनाया गया। बड़े ही सुंदर रूप से पंडाल को सजाया गया। कथा के अनुसार प्रभु जी ने बताया कि छठी के दिन ही पूतना राक्षसी भगवान को करने के लिए आई थी और भगवान ने उसका वध कर उसे मुक्ति प्रदान की थी। ऐसा कोई साधारण बालक तो नहीं कर सकता। जैसे भगवान ने राम अवतार में रामसेतु बनाया और कृष्ण अवतार में गोवर्धन जी को अपनी उंगली पर उठाया, ऐसा केवल भगवान कर सकते हैं क्योंकि वे दिव्य हैं। पूरे संसार में कोई भी ऐसा नहीं कर सकता। भगवान श्री कृष्ण को भगवान बनाना किसी का काम नहीं है। वे तो स्वयं ही भगवान है। उन्होंने बताया कि भगवान अपने भक्त के द्वारा अर्पण की गई वस्तु का भाव स्वीकार करते हैं। हम अगर भाव से भगवान को तुलसी पत्र भी अर्पण करते हैं तो भगवान उसे भी प्रसन्न हो जाते हैं। हर वर्ग, जाति का व्यक्ति भगवान की भक्ति कर सकता है चाहे वह अमीर हो या गरीब।

कलयुग में मुक्ति पाने का बताया रास्ता

उन्होंने बताया कि एक हमारा मन ही है जो हमें संसार में बांधता है या मुक्ति दिलवाता है। जब हमारा मन विषय भोग में लग जाएगा तो वह बंधन में डाल देगा और इसके विपरीत जब यह भक्ति मार्ग पर चलेगा तो हमें संसार से मुक्ति दिलवा देगा। जिस भी व्यक्ति को अपने मन को सुखी करना है उसे महामंत्र को अपनाना पड़ेगा और महामंत्र वही है जिसमें सभी मंत्र समय हुए हैं। हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे। हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे । वेदों शास्त्रों के अनुसार इस कलयुग में मुक्ति पाने का इसके इलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है, अन्य कोई भी साधन इससे श्रेष्ठ नहीं है। यही सर्वोत्तम यज्ञ है जिसे भगवान का नाम जप किया जाता

ये रहे उपस्थित

इस अवसर पर इस्कॉन कैथल के प्रेस सचिव भारत मदान ने बताया कि पंडाल में पहुंचे हजारों भक्तों ने कथा के पंचम दिवस पर आयोजित भगवान श्री कृष्ण जन्माष्टमी के उपलक्ष में पीले वस्त्र पहनकर भगवान का स्वागत किया और पंडाल की शोभा को बढ़ाया। पूरे पंडाल को खिलौने और गुब्बारों से इस तरह सजाया गया मानो वृंदावन का नंद भवन हो। इस महोत्सव के उपलक्ष में दही हांडी का भी आयोजन किया गया और मटकी सजाने की प्रतियोगिता भी आयोजित की गई थी। जिसमें श्रद्धालुओं में बढ़-चढक़र भाग लिया और ११ मटकिया प्रभु जी के कर-कमलो के द्वारा चुनी गई जिन्हें सम्मानित भी किया गया। इस अवसर पर सुरेश गर्ग नौच, बृजमोहन गुप्ता, अभिषेक गुप्ता , मनदीप सिंह एडवोकेट, रवि भूषण गर्ग , विनोद भल्ला, नरेश गर्ग ने ज्योति प्रज्वलित करके और प्रभु जी का फूलमाला से स्वागत कर कथा का शुभ आरंभ करवाया। इस अवसर पर समिति के सभी सदस्य मौजूद थे।

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