सूरज स्कूल बलाना में मनाया गया अंतर्राष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस

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International Mother Language Day celebrated at Suraj School Balana
International Mother Language Day celebrated at Suraj School Balana

नीरज कौशिक, महेंद्रगढ़:
सूरज स्कूल बलाना में अंतर्राष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस मनाया गया। विद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय भाषाओं से सम्बन्धित चित्रकला, स्लोगन व निबंध गतिविधियों का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारम्भ विद्यालय के चेयरमैन विजय यादव टूमना ने किया। उन्होंने बताया कि अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस प्रतिवर्ष 21 फरवरी को मनाया जाता है। सर्वप्रथम यूनेस्को ने 17 फरवरी 1999 को इसे प्रतिवर्ष मनाये जाने की घोषणा की थी।

अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाने का मकसद दुनियाभर की भाषाओं और संस्कृति का सम्मान – विजय यादव टूमना

चेयरमैन टूमना ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाने के पीछे मूल मकसद है कि दुनियाभर की भाषाओं और संस्कृति का सम्मान हो। इस दिन को मनाने का उद्देश्य दुनिया भर में अपनी भाषा-संस्कृति के प्रति लोगों में रुझान पैदा करना और जागरुकता फैलाना है। उन्होंने बच्चों को भाषा के महत्त्व एवं भाषा की विविधताओं के बारे में विस्तार से समझाते हुए भारत में विभिन्न राज्यों की भाषाओं एवं अन्य राष्ट्रों की भाषाओं पर भी प्रकाश डाला। भारत के नक्शे पर बच्चों द्वारा विभिन्न राज्यों तथा पड़ोसी देशों की भाषाओं को दर्शाया गया।

विद्यालय के प्राचार्य डॉ. एस. एस. यादव ने बताया कि इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य बच्चों को सन्देश देना है कि अपनी मातृ भाषा से प्रेम करने के साथ-साथ अन्य भाषाओं को भी सम्मान देना चाहिए। इस अवसर पर कुछ बच्चों द्वारा हिंदी, अंग्रेजी व संस्कृत में कविता वाचन भी किया गया गया। दो बच्चों द्वारा हरियाणवी बोली में लोकगीत भी प्रस्तुत किये गए। सूरज स्कूल, बलाना विद्यार्थियों को शिक्षा के साथ-साथ अन्य सांस्कृतिक व सामाजिक गतिविधियों के लिए प्रेरित करता है ताकि विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास हो सके।

कार्यक्रम के दौरान विद्यार्थियों ने मातृभाषा दिवस पर अपने विचार प्रस्तुत किए गए, जिसमें उन्होंने बताया कि भारत विविधताओं का देश होते हुए भी अपने अंदर अनेक ऐसे भाषाओं एवं गुणों को समाहित किए हुए हैं जिससे समाज में प्रेम और भाईचारे का संदेश व्याप्त हुआ है।

इस अवसर पर विद्यालय के संरक्षक महेन्द्र सिंह ने बताया कि बच्चों की प्रारंभिक शिक्षा मातृभाषा में होनी चाहिए। इस पर विशेष रूप से बल दिया जाना चाहिए।

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