समाज में दहेज के नाम पर आए दिन बेटियों के साथ हो रहा है अन्याय Injustice In The Name Of Dowry

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Injustice In The Name Of Dowry
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Injustice In The Name Of Dowry

पवन चोपड़ा, इस्माइलाबाद

Injustice In The Name Of Dowry : समाज में दहेज के नाम पर आए दिन बेटियों को जिंदा जलाने दहेज न मिलने पर बरात वापस जाने जैसे मामले आए दिन अखबारों की सुर्खियां बनते हैं। यही नहीं बेटी के हाथ पीले करने के लिए लड़की के माता-पिता अपनी है सियत से बढ़कर बडे़ से बड़ा कर्ज उठाने से भी गुरेज नहीं करते। ताकि उनकी लाडली  बेटी ससुराल पक्ष में सम्मान से रह सके और समाज में उनका भी एक रुतबा कायम हो।

राहुल राणा की शादी

यही नहीं कई बार तो दहेज के नाम पर बेटियों डोली घर पर ही रह जाती हैं और बड़े-बड़े रिश्ते टूट जाते हैं। लेकिन क्षेत्र के गांव जलबेहडा में बीते रविवार आई एक बारात में दूल्हे ने बिना कोई दान दहेज लिए लड़की को अपनाकर ससुराल पक्ष सहित क्षेत्र का दिल जीतने का कार्य किया है। जिसकी इलाके में प्रशंसा की जा रही है। बता दें कि बीते रविवार गांव जलबेहडा वासी व रमेश राणा की पुत्री शीतल राणा की शादी भिवानी जिला के तिगड़ाना गांव के युवक राहुल राणा के साथ हुई।

दुल्हन ही दहेज है।

जोकि सिंचाई विभाग में कनिष्ठ अभियंता के पद पर कार्यरत हैं इस दौरान ससुराल पक्ष की तरफ से लड़का पक्ष को 11 लाख रुपए नकद शगुन के तौर पर और दान दहेज भी दिया गया। लेकिन लड़के ने मात्र 1 रू लेकर बाकी सभी दान दहेज वापस कर दिया और कहा कि यह एक बहुत बड़ी सामाजिक कुरीति है। दुल्हन ही दहेज है। लड़के द्वारा इतना बड़ा कदम उठाने पर जहां लड़की का पिता रमेश राणा सहित पूरे गांव वासी गदगद है।

नई दिशा देने का काम

जब इस बारे दुल्हन बनी शीतल राणा से बात की तो उन्होंने बताया कि उन्होंने कल्पना में भी नहीं सोचा था कि उनका होने वाला जीवन साथी उन्हें जीवन में ऐसा तोहफा देगा कि वह जिसे कभी भूल नहीं पाएंगी। क्योंकि एक तरफ मौजूदा दौर में दान दहेज को लेकर लड़के पक्ष द्वारा बड़ी-बड़ी डिमांडे की जाती हैं। जिसको लेकर माता-पिता से सहमे रहते हैं लेकिन उनके पति ने दहेज  न लेकर समाज को एक नई दिशा देने का काम किया है। वही उनके इस कदम से उनका भी मान बड़ा है।

दहेज लेने वाली कुरीति को खत्म 

क्या कहता है लड़का राहुल राणा से बात की तो उन्होंने बताया कि उनके बड़े भाई नवीन की शादी में भी उनके परिवार की तरफ से कोई भी दान दहेज नहीं लिया गया था। इसी प्रकार से उन्होंने भी ठान लिया था कि वह भी अपनी शादी में कोई दान दहेज नहीं लेंगे और इस दहेज लेने वाली कुरीति को खत्म करने के लिए पहल करेंगे। 20 साल पहले गुजर चुके हैं पिता राहुल राणा ने बताया कि उनके पिता बाल किशन आउटसोर्सिंग पॉलिसी के तहत पीडब्ल्यूडी विभाग में कार्य करते थे। जिनकी एक सड़क दुर्घटना में वर्ष 2 हजार में मृत्यु हो गई थी। जिनके बाद उनकी माता अनीता ने उन्हें पाल पोस कर बड़ा किया।

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