In UP only the questions of the loved ones – BJP is in trouble! उत्तरकथा :  यूपी में अपनों के ही सवाल – भाजपा बेहाल !

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उत्तर प्रदेश में कोरोना के कष्टकाल में उपजे हाहाकार, घरों से लेकर सड़क तक चीत्कार,  नदियों में उतराती लाशें और अस्पतालों में बेड आक्सीजन के लिए हुयी मारामारी ने न सिर्फ देश में बल्कि पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है। वैश्विक मीडिया में प्रधानमंत्री की खराब हुयी छवि के पीछे सबसे ज्यादा भूमिका उत्तर प्रदेश से आई बदहाली की तस्वीरों की मानी जा रही है। खुद  सत्तारूढ़ भाजपा के बीच सूबे की बदहाली और जनता में उपजे रोष ने सांसत की हालत पैदा की है। भाजपा के मातृ संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में भी उत्तर प्रदेश में सरकार और संगठन को लेकर मंथन का दौर शुरु हो गया है। संघ के आला पदाधिकारी दत्तात्रेय होसबोले दो दिन लखनऊ में रहकर चर्चा मंथन के बाद बुधवार को ही निकले और गुरुवार शाम योगी आदित्यनाथ मंत्रिमंडल में बदलाव की चर्चा जेरे बहस हो गई है। समझा जाता है कि सरकार के साथ ही संगठन में भी अच्छे खासे परिवर्तन का खाका खिंच गया है।
दरअसल भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के साथ ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को भी इस बात की मुकम्मल खबर है कि राजनीतिक दृष्टि से सबसे उर्वर उत्तर प्रदेश के लिए कोरोना काल की त्राहि त्राहि और पंचायत चुनाव के परिणामों ने जमीन काफी खिसका दी है ।
भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व के सामने अब जहां एक ओर डैमेज कंट्रोल की चुनौती है तो दूसरी ओर पार्टी के अपने की ओर लगातार लगने वाली गुहार भी चिंता का सबब है। दरअसल महामारी से व्याकुल प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास विपक्ष से ज्यादा खुद सत्तापक्ष के लोग गिड़गिड़ाए और इनमें सांसद, विधायक, पार्टी पदाधिकारी से लेकर राज्य व केंद्र के मंत्री तक हैं। हालात यहां तक बिगड़ चुके हैं कि हर रोज कोई न कोई सत्तापक्ष का ही जिम्मेदार अपनी ही सरकार के लिए बयानों, पत्रों या अन्य माध्यमों से परेशानी खड़ी कर दे रहा है। ताजा खबर यह है कि यूपी में भाजपा के बड़बोले विधायक गाजियाबाद के नंदकिशोर गुर्ज्जर ने अपनी सरकार के अधिकारियों पर आक्सीजन को लेकर मुकदमा उच्च न्यायालय में दायर कर दिया और आरोप लगाया है कि उनके जिले गाजियाबाद का प्रशासन ही ऑक्सिजन की ब्लैक मार्केटिंग कर रहा है।
हाल ही में अपनी ही सरकार में अनदेखी से बेजार हो सूबे के बहराइच जिले के भाजपा अध्यक्ष ने पार्टी दफ्तर के सामने नोटिस तक चिपका दी कि कृपया प्रशासन-पुलिस संबंधी किसी काम के लिए संपर्क न करें क्योंकि हमारी कहीं सुनी नहीं जा रही। हालांकि घंटों इस नोटिस के लगे रहने के बाद भाजपा जिला अध्यक्ष ने हटवा दिया और इसे किसी की शरारत बताया। इस तरह की नोटिस सामने आने के बाद उसी बहराइच भाजपा जिलाध्यक्ष के प्रतिष्ठान पर पुलिस ने छापा मार दिया और लाकडाउन में खुला रखने के आरोप में चालान भी काट दिया। बीते शनिवार को राष्ट्रीय स्वयसेवक संघ के पूर्व प्रचारक , भाजपा के फतेहपुर लोकसभा विस्तारक रहे वर्तमान में जिला मंत्री भाजपा कानपुर यज्ञेश जी ने पार्टी की गलत नीतियों से दुखी हो अपने पद से इस्तीफा दे दिया। अयोध्या में भाजपा के सक्रिय कार्यकर्त्ता व नेता अमित मौर्य ने अपनी सुनवाई न होने का आरोप लगाते हुए ट्रेन के नीचे कट कर जान दे दी। केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार, सांसद मेनका गांधी, सांसद कौशल किशोर, प्रदेश में मंत्री ब्रजेश पाठक समेत दर्जनों विधायकों व नेताओं ने इस कोरोना संकट के दौर में मुख्यमंत्री तक अपनी बेबसी को लेकर गुहार लगायी है।
बीते हफ्ते ही सीतापुर जिले की अव्यवस्था पर भाजपा विधायक राकेश राठौर ने व्यंग्य किया कि विधायकों की हैसियत क्या है, हम ज्यादा बोलेंगे तो देशद्रोह या राजद्रोह हमपर भी हो सकता है। जो कुछ चल रहा है सब अच्छा चल रहा है। इससे पहले गाजियाबाद के चर्चित विधायक नंदकिशोर गुर्ज्जर ने भी इसी तरह की पीड़ा बयान की थी। बरेली विधायक केसर सिंह गंगवार ने अपनी मौत से दो दिन पहले ही केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री को चिट्ठी लिखी थी। इस चिट्ठी में उन्होंने अपने लिए मैक्स अस्पताल में बेड की  व्यवस्था करने की मांग की थी। हालांकि मैक्स में उन्हें जगह नहीं मिल पाई, लेकिन बरेली प्रशासन ने उन्हें नोएडा के यथार्थ अस्पताल में एडमिट कराया था। विधायक केसर सिंह की कोरोना से मौत हो गयी थी। राजधानी लखनऊ में सांसद कौशल किशोर कई बार इसी कोरोना संकट के दौर में अपनी सरकार पर सवाल खड़े कर चुके हैं। कई विधायकों का कहना है कि कहीं सुनवाई नहीं है और सवाल उठाने पर अलग-थलग पड़ जाने का डर है।
मेरठ के सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने सीएम को जिले में ऑक्सीजन की कमी के बारे में पत्र लिखा। उन्होंने सीएम को इस ओर ध्यान देने को कहा कि किस तरह ऑक्सीजन की कमी के कारण अस्पतालों में मरीजों की भर्ती नहीं हो रही है और वे दम तोड़ रहे हैं। यूपी सरकार के कानून मंत्री और लखनऊ मध्य के विधायक बृजेश पाठक ने भी बीते दिनों सीएम योगी को पत्र लिखकर सरकारी मशीनरी की व्यवस्था पर सवाल उठाया था। मंत्री ने यह भी लिखा था कि प्रदेश के तमाम अफसर लोगों और जनप्रतिनिधियों के फोन नहीं उठाते हैं। मोहनलालगंज के बीजेपी सांसद कौशल किशोर भी लगातार इस अराजकता को लेकर मुखर हैं। सांसद ने चुनाव आयोग से अनुरोध किया की यूपी में पंचायत चुनाव टाल दिए जाएं, हालांकि उनके अनुरोध पर कुछ नहीं हुआ। भाजपा विधायक संजय प्रताप जायसवाल ने अपनी ही सरकार के दावों पर सवाल खड़े किए।  उनका कहना है कि अव्यवस्थाओं से भाजपा सरकार की छवि को नुकसान हो रहा है। भाजपा विधायक जवाहर लाल राजपूत ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखा है तो लखीमपुर खीरी जिले में मोहम्मदी सीट से विधायक लोकेंद्र सिंह और कानपुर के सांसद सत्यदेव पचौरी ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को चिट्ठी लिखी है।
बहराइच में जिला भाजपा की ओर से दफ्तर पर लगाई गयी नोटिस एक बानगी भर है तो फतेहपुर में जिला मंत्री का इस्तीफा इसका परिणाम है। प्रदेश के जिलों से लेकर राजधानी तक जनप्रतिनिधियों का रोना है कि अफसर उनकी सुनते नहीं और चलती केवल प्रशासनिक अधिकारियों की ही है। भदौही भदोही में बीजेपी जिला महामंत्री लाल बहादुर मौर्या की कोविड अस्पताल में कोरोना से मौत के मामले में बीजेपी विधायक दीनानाथ भास्कर के आरोपों ने काफी कुछ साफ कह दिया। आरोप लगाते हुए बीजेपी विधायक ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर जांच की मांग की है। परिजनों का चिकित्सक पर आरोप है कि जिला महामंत्री के इलाज की मांग पर चिकित्सक ने कहा कि तुम्हारा इलाज डीएम-सीएमओ और मुख्यमंत्री करेंगे क्योंकि तुम भाजपा के जिला महामंत्री हो।
उत्तर प्रदेश में अब तक कोरोना ने हजारों की तादाद में आमजनों को ही नहीं बल्कि विधायकों व मंत्रियों को भी निगल लिया है। प्रदेश में कोरोना से अब तक तीन मंत्रियों की मौत हो चुकी है तो पांच विधायकों का निधन हो चुका है। पांचों विधायक सत्तापक्ष के ही हैं। बीते हफ्ते ही राज्य के बाढ़ नियंत्रण और राजस्व राज्य मंत्री विजय कश्यप की गुड़गांव के मेदांता अस्पताल में मौत हो गयी। मुजफ़़्फ़रनगर के चरथावल विधानसभा क्षेत्र से विधायक विजय कश्यप पिछले हफ़्ते ही संक्रमित हुए थे।  उन्हेंआरएसएस का क़रीबी माना जाता था। इससे पहले कोरोना की पहली लहर में दो और मंत्री चेतन चौहान और कमल रानी वरुण की मौत हुई थी। अब तक कोरोना से विधायक केसर सिंह गंगवार, सुरेश श्रीवास्तव, दल बहादुर कोरी, रमेश चंद्र दिवाकर की मौत हो चुकी है।
जनता के साथ ही अपनों की नाराजगी से जूझ रही भाजपा ने अपना डैमेज कंट्रोल की कवायद शुरु कर दी है। माना जा रहा है कि सरकार से लेकर संगठन में व्यापक फेरबदल कर पार्टी एक बार फिर से यह संदेश देना चाहती है कि जनता के हित में वह बड़ी से बड़ी कुर्बानी देने को तैयार है। दूसरी ओर यूपी में बड़े पैमाने पर प्राशासनिक फेरबदल कर जनता के बीच सब कुछ ठीक कर देने का संदेश भी भेजा जा सकता है। भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व और संघ के बीच इन सबको लेकर मंथन शुरु हो गया है। इतना तय है आने वाले दिनों में कम से कम यूपी में भाजपा नए कलेवर के साथ दिख सकती है जहां सरकार और संगठन के साथ प्रशासन सब कुछ नए रुप में दिखायी दे सकता है।

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