ज्वेलर से लूट के मामले में दोषी की सजा निलंबित करने की याचिका हाईकोर्ट ने ठुकराई

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High Court dismisses plea to suspend sentence of convict in jeweler's robbery case
नई दिल्ली:
सितंबर 2013 में पिस्टल की नोक पर ज्वेलर से लूट करने के मामले में दोषी कादिर अली उर्फ गुल्फाम अहमद की सजा निलंबित की मांग वाली याचिका दिल्ली हाई कोर्ट ने ठुकरा दी। न्यायमूर्ति तलवंत सिंह की पीठ ने कहा कि अपीलकर्ता ने न सिर्फ शिकायतकर्ता सत्यप्रकाश को गलत तरीके से कब्जे में लिया, बल्कि उसे डराकर ज्वेलरी लूट ली। सजा निलंबित करने की मांग को ठुकराते हुए पीठ ने कहा कि अपीलकर्ता कादिर रिकार्ड पर ऐसा कोई तथ्य नहीं पेश कर सका कि उसकी व शिकायतकर्ता की कोई पुरानी दुश्मनी थी या फिर कोई विवाद हुआ था। ऐसे में अपीलकर्ता का यह दावा प्राथमिक तौर पर पूरी तरह से निराधार है कि वह निर्दोष है और उसे मामले में झूठा फंसाया गया है।

छह साल के कठोर करावास की सजा

पीठ ने यह भी कहा कि मामले में निचली अदालत ने कादिर को नवंबर 2020 में छह साल के कठोर करावास की सजा सुनाई है और जुर्माना का भुगतान नहीं करने पर तीन साल अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतने का आदेश दिया है। ऐसे में उक्त तथ्यों को देखते हुए कादिर की सजा निलंबित करने का कोई आधार नहीं है। याचिका के अनुसार शिकायतकर्ता सत्य प्रकाश की दुकान पर तीन सितंबर, 2013 को शाम चार बजे अपीलकर्ता समेत दो बदमाश पहुंचे। उन्होंने बच्चों के लिए कुछ चांदी के गहने दिखाने की बात की और फिर इसी बीच एक और बदमाश दुकान में आया और उसने सत्यप्रकाश पर पिस्टल तान दी।

तीसरे की नहीं हो सकी पहचान 

बदमाशों ने शोर मचाने पर सत्यप्रकाश को जान से मारने की धमकी और गहने लूट कर फरार हो गए। इस मामले में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने सह-आरोपित फहीम को गिरफ्तार किया और उसकी निशानदेही पर कादिर को गिरफ्तार किया गया, जबकि तीसरे की पहचान नहीं हो सकी। सत्य प्रकाश ने कादिर की पहचान की थी। तथ्यों व बयान के आधार पर निचली अदालत ने कादिर को दोषी ठहराया था। वहीं, कादिर ने तर्क दिया था कि जिस बाइक से भागने का दावा किया गया वह बरामद नहीं हुई और न ही घटनास्थल के आसपास का सीसीटीवी फुटेज ही एकत्रित किया गया। शिकायतकर्ता के पहचान करने पर उसे गिरफ्तार किया है। उसने यह भी कहा कि सिर्फ 26 साल का है और उस पर परिवार की जिम्मेदारी है।
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