सरकार की तानाशाही के चलते हेमसा को आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ा : सतीश सेठी

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Hemsa had to adopt the path of agitation due to the dictatorship of the government: Satish Sethi

नीरज कौशिक, महेंद्रगढ़:

  • लंबित मांगों का समाधान नहीं होने के कारण कर्मचारियों ने पंचकूला में किया विशाल रोष प्रदर्शन

सर्व कर्मचारी संघ से संबंधित हरियाणा एजुकेशन मिनिस्ट्रीयल स्टाफ एसोसिएशन रजिस्ट्रेशन नंबर 1764 के अंबाला कमिश्नरी के कर्मचारियों ने वीरवार को निदेशालय शिक्षा सदन पंचकूला पर लंबित मांगों के समाधान ना होने पर विशाल रोष प्रदर्शन किया। पुलिस और प्रदर्शनकारी कर्मचारियों के बीच काफी जद्दोजहद के बाद निदेशक विवेक कालिया ने हेमसा के सात सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को बातचीत के लिए कार्यालय में बुलाया। पंचकूला से लौटने के बाद हेमसा के प्रदेश प्रवक्ता सुजान मालड़ा ने प्रेस के नाम जारी बयान में बताया कि 23 अगस्त को शिक्षा मंत्री एवं उच्च अधिकारियों के साथ हेमसा के 11 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल की वार्ता हरियाणा भवन चंडीगढ़ में हुई थी।

बैठक में हेमसा के मांग पत्र की कुछ बातों पर सहमति बनी थी और उन्हें 10 सितंबर तक अमल में लाने की बात हुई थी। हेमसा ने 24 अगस्त को सर्व कर्मचारी संघ के प्रदेश कार्यालय रोहतक में हेमसा राज्य कार्यकारिणी की बैठक बुलाई थी। बैठक में यह फैसला लिया गया था कि जब तक कर्मचारियों की लंबित मांगों का समाधान नहीं होता है तब तक हमारा संघर्ष जारी रहेगा। बैठक में हर महीने एक-एक कमिश्नरी के कर्मचारी शिक्षा सदन पंचकूला पर जाकर लंबित मांगों को पूरा करवाने और जो मांग सरकार व उच्च अधिकारियों द्वारा पूरी की गई है उनकी जानकारी लेने जाएंगे।

हेमसा कर्मचारियों ने सरकार के खिलाफ की नारेबाजी

इसी कड़ी में 15 सितंबर को अंबाला कमिश्नरी के तहत आने वाले जिलों के सैंकड़ों कर्मचारी डीएसई पंचकूला पहुंचे थे। जब कर्मचारी निदेशालय के प्रांगण में जाने लगे तो वहां पहले से मौजूद पुलिस कर्मियों ने गेट को ताला लगा दिया। इस बीच हेमसा के कर्मचारियों और पुलिस कर्मियों के बीच 10 मिनट तक जद्दोजहद हुई। अंत में कर्मचारियों ने गेट पर ही बैठ कर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। हेमसा के मुख्य संगठनकर्ता सतीश सेठी व उप महासचिव विजय लांबा ने पुलिस प्रशासन द्वारा की गई इस तरह की कारवाई को लोकतंत्र की हत्या बताया। उन्होंने कहा कि शांति प्रिय तरीके से बातचीत करने आए कर्मचारियों को गेट के बाहर रोकना सरकार की तानाशाही की ओर इशारा करती है। लगभग आधे घंटे तक गेट पर रोष जताते रहे कर्मचारियों को निदेशालय की तरफ से बातचीत के लिए बुलाया। गुस्साए कर्मचारियों ने निदेशक विवेक कालिया से बातचीत ना करने का फैसला लिया।

 निदेशक विवेक कालिया के साथ बैठक हेमसा प्रतिनिधि मंडल की

केवल यह जानने के लिए गए कि जो सहमति 23 अगस्त को हरियाणा निवास चंडीगढ़ में हुई थी। उस पर अब तक निदेशालय द्वारा क्या कार्रवाई की है। निदेशक विवेक कालिया और हेमसा प्रतिनिधि मंडल की बैठक में हेमसा प्रदेश महासचिव हितेंद्र सिहाग ने कहा कि संगठन निदेशालय से लंबित मांगों के समाधान के लिए बार-बार मीटिंग का समय देने की मांग करता है। कार्यालय द्वारा मीटिंग का समय दिया भी जाता है परन्तु ऐन मौके पर उसे स्थगित कर दिया जाता है। जिस कारण हेमसा को आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ा।

इन मांगों पर बनी थी सहमति।

  1. कर्मचारियों की वरिष्ठता सूची बन कर तैयार है। जल्द ही अपडेट कर दी जाएगी।
  2. कैप्ट पोस्ट खोलने के लिए सरकार स्तर पर कारवाई होनी है।
  3. रोस्टर अनुसार वरिष्ता सूची अपडेट करने के बाद दिव्यांग सहित लिपिक कर्मियों की खाली पदों पर पदोन्नति जल्द कर दी जाएगी।
  4.  महासचिव ने कहा कि लिपिकों की रेशनलाइजेशन और नारमलाइजेशन करते वक्त नियमों की एक प्रति संगठन को दी जाए।
  5.  दूर दराज स्थानांतरित लिपिकों का समायोजन जल्द किया जाए।
  6.  एसीपी मामलों की शक्ति डीईओ लेवल पर दी जाए।
  7.  असिस्टेंट के 20 प्रतिशत कोटे को पदोन्नति से भरा जाए।
  8.  एस.ई.टी.सी. टैस्ट की जगह विभागीय रिफ्रेशर कोर्स करवाया जाए।
  9. लिपिक वर्गीय कर्मचारियों का ड्यूटी चार्ट दिया जाए।
  10.  चुनावों के अलावा लिपिक वर्गीय कर्मचारियों की ड्यूटी दूसरे विभागों के कार्यों में ना लगाई जाए।

बैठक के बाद हेमसा राज्य प्रधान संदीप सांगवान और महासचिव हितेंद्र सिहाग ने कहा कि निदेशालय स्तर पर अब तक केवल एक दो मांगों पर ही काम हुआ है। जो सरकार की फेलियर को दर्शाता है। इसलिए हमें आगे के कार्यक्रमों में बढ़ चढ़कर शामिल होना है। बैठक में राज्य प्रधान संदीप सांगवान, महासचिव हितेंद्र सिहाग, कोषाध्यक्ष मुकेश खरब, प्रदेश प्रवक्ता सुजान मालड़ा, उपाध्यक्ष राजेश लांबा, सावित्री देवी व राज्य सचिव भूपेंद्र शर्मा मौजूद रहे।

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