Geeta Jayanti On 23rd December : एक मिनट-एक साथ गीता पाठ पढक़र सद्भावना, प्रेम और शांति का संदेश दें, एक बनें नेक बनें : स्वामी ज्ञानानन्द

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Geeta Jayanti On 23rd December
Geeta Jayanti On 23rd December

Aaj Samaj (आज समाज), Geeta Jayanti On 23rd December, मनोज वर्मा, कैथल:
आगामी 23 दिसंबर को सुबह 11 बजे देश के करोड़ों लोग एक साथ गीता पाठ करेंगे। यह कार्यक्रम वैश्विक स्तर पर होगा। 23 दिसंबर को सुबह 11 बजे प्रत्येक व्यक्ति श्रीमद् भागवत गीता के प्रथम, मध्य और अंंतिम श्लोक का एक साथ उच्चारण करेंगे। यह जानकारी गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज ने कैथल में सभी सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधियों की बैठक लेते हुए दी।

इस बैठक में प्रमुखतया कैथल हलका के विधायक लीलाराम, भाजपा नेता सुरेश गर्ग नौच एवं अन्य समाजसेवी लोगों ने स्वामी ज्ञानानन्द का आशीर्वाद लिया। यहां स्वामी ज्ञानानंद ने श्री कृष्ण कृपा सेवा समिति, जियो गीता परिवार एवं कैथल शहर की सभी धार्मिक संस्थाओं के अध्यक्षों से आह्वान किया कि आने वाली गीता जयंती पर सभी को एक मिनट एक साथ गीता पाठ की इस मुहिम का हिस्सा बनना है। 23 दिसंबर को हर कोई एक मिनट एक साथ गीता पाठ पढक़र सद्भावना, प्रेम और शांति का संदेश दें। गीता हिंदुओं की आस्था का ग्रंथ जरूर है, लेकिन यह हिंदू ग्रंथ नहीं है। गीता तो संपूर्ण मानव कल्याण का ग्रंथ है।

इसलिए हर बार की तरह इस बार भी सभी जाति, धर्म, समुदाय व क्षेत्रों के लोग एक साथ मिल 23 दिसंबर को सुबह 11 बजे गीता पाठ करें। उन्होंने कहा कि 23 दिसंबर को पहली बार जम्मू में भी गीता जयंती महोत्सव मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आज से 5,160 वर्ष पूर्व 23 दिसंबर के दिन सुबह 10:30 से 11:30 के बीच ही भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन के गीता का संदेश दिया था। इसलिए इस बार गीता पाठ का समय सुबह 11 बजे रखा गया है।

गीता जयंती 23 दिसंबर को

स्वामी ज्ञानानन्द ने कहा कि श्रीमद्भागवत गीता हमारे जीवन का सार है। श्रीमद् भागवत गीता में लिखे गए एक-एक शब्द प्रत्येक व्यक्ति को सही रास्ता और सही दिशा का ज्ञान करवाते हैं, लेकिन भागदौड़ की इस जिंदगी और एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ में हम स्वयं को जानना ही भूल जाते हैं। इसलिए हम अपने मूल उद्देश्य से भटक जाते हैं और फिर जन्म-मरण के चक्कर में पड़े रहते हैं। 23 दिसंबर को गीता जयंती है।

देश ही नहीं विदेश में गीता का ज्ञान पहुंचा रहे गीता मनीषी स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने अब गीता के ज्ञान को घर-घर तक पहुंचाने का संकल्प लिया हुआ है। गीता का वास्तविक बोध प्रत्येक मनुष्य को होना चाहिए ताकि उसे सही और बुरे की पहचान हो सके। जब प्रत्येक व्यक्ति गीता के ज्ञान तक पहुंच जाएगा। तो देश का ही नहीं पूरे विश्व का भला होगा। स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि जिले के प्रत्येक स्कूल, मंदिर, दुकान और घर में सुबह 11 बजे एक मिनट तक गीता का पाठ होना चाहिए। उन्होंने कहा कि गीता हमारे जीवन का असली सार है। जिसमें श्रीमद्भागवत गीता में भगवान श्री कृष्ण के उपदेशों का वर्णन है।

भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन के माध्यम से संसार को गीता का उपदेश दिया था। कृष्ण ने अर्जुन को गीता का पाठ तब पढ़ाया था, जब उनके कदम महाभारत युद्ध की युद्ध भूमि में डगमगाने लगे थे। श्री कृष्ण के उपदेशों को सुनकर अर्जुन अपने लक्ष्य को पूरा करने की ओर अग्रसर हुए। उन्होंने कहा कि कि गीता में जीवन की हर एक परेशानी का हल मिल जाता है। गीता में कही गई श्री कृष्ण की बातें आज भी जीवन में आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा देती हैं। ऐसे में किसी भी परेशानी का हल पाने और जीवन में सफलता पाने के लिए गीता की कुछ बातों का ध्यान रखना चाहिए।

माना जाता है कि जो भी व्यक्ति गीता की इन 5 बातों का जीवन में अनुसरण कर लेता है, वह हर काम में जरूर विजय हासिल कर लेता है। ये रहे गीता के अनमोल उपदेश, जो जीवन को नई राह दिखाते हैं। स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि व्यक्ति को खुद से बेहतर कोई नहीं जान सकता, इसलिए स्वयं का आंकलन करना बेहद जरूरी है। गीता में कहा गया है कि जो व्यक्ति अपने गुणों और कमियों को जान लेता है वह अपने व्यक्तित्व का निर्माण करके हर काम में सफलता प्राप्त कर सकता है। उन्होंने कहा कि हमारा मन ही हमारे दुखों का कारण होता है। ऐसे में श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है कि जिस व्यक्ति ने अपने मन पर काबू पा लिया वह मन में पैदा होने वाली बेकार की चिंताओं और इच्छाओं से भी दूर रहता है।

साथ ही व्यक्ति को अपने लक्ष्य को भी आसानी से प्राप्त कर लेता है। स्वामी ज्ञानानंद महाराज ने कहा कि क्रोध में व्यक्ति नियंत्रण खो बैठता है और आवेश में आकर गलत कार्य कर देता है। यहां तक कि कभी-कभी गुस्से में व्यक्ति खुद का अहित कर बैठता है। गीता में श्रीकृष्ण ने बताया है कि क्रोध को खुद पर हावी नहीं होने देना चाहिए। यदि गुस्सा आए तो स्वयं को शांत रखने का प्रयास करें। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को संदेह या संशय का स्थिति में नहीं रहना चाहिए, जो लोग संशय की स्थिति में रहते हैं, उनका भला नहीं हो सकता है।

जीवन में स्पष्ट नजरिया होना चाहिए। मंच का संचालन समाजसेवी महेन्द्र खन्ना ने किया।

इस अवसर पर अन्य संस्थाओं के प्रतिनिधि मौजूद थे

इस अवसर पर शिव शंकर पाहवा, इन्द्रजीत सरदाना, सुधीर मैहत्ता, राजकुमार मुखीजा, कृष्ण नारंग, सुभाष कथूरिया, प्रदर्शन परुथी, राजेंद्र कुकरेजा, अशोक भारती, सुरेंद्र गर्ग, संजय गर्ग, डा. प्रदीप शर्मा, नरेश मित्तल, प्रीतिपाल कालरा, सतीश सोनी, टेकचंद वर्मा, सुषम कपूर, अश्वनी खुराना, सुनील खुराना, प्रवीण चावला, रिंकू टुटेजा, सोनू वर्मा, सोनू खनिजो, संजय सेतिया, सुजीत कपूर, वीके चावला, अमित, सन्नी चुघ, पारस गाबा, सतीश राजपाल, कृष्ण नंदा, अजय भंजाना, राजेश गोयल, संजीव थरेजा, रजत थरेजा, गोपाल सैनी, महेश धमीजा, सुभाष नारंग, डा. आर.डी. चावला सहित अन्य संस्थाओं के प्रतिनिधि मौजूद थे।

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