दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा हुडा ग्राउंड सेक्टर 13 करनाल में पांच दिवसीय श्री राम कथा का आयोजन

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दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा हुडा ग्राउंड सेक्टर 13 करनाल में पांच दिवसीय श्री राम कथा का आयोजन
दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा हुडा ग्राउंड सेक्टर 13 करनाल में पांच दिवसीय श्री राम कथा का आयोजन

HEADLINES :

  • श्री राम की कथा जीवन के उच्च आदर्शों का संदेश देती है
  • दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से पांच दिवसीय श्रीराम कथा

प्रवीण वालिया, करनाल:

दिव्य ज्योति जागृति संस्थान की ओर से हुडा ग्राउंड सेक्टर 13 में पांच दिवसीय श्रीराम कथा का आयोजन किया जा रहा है जिसमें श्री आशुतोष महाराज जी की शिक्षा साध्वी रुपेश्वरी भारती जी ने कथा के माध्यम से अनेकों ही दिव्य आध्यात्मिक रहस्यों का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि प्रभु की कथा जहां एक ओर हमें ईश्वर भक्ति की ओर बढऩे का संदेश देती है वही दूसरी ओर प्रभु की कथा हमें एक आदर्श जीवन जीना भी सिखाती है।

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14 वर्ष का वनवास स्वीकार कर लिया

कथा प्रसंग का वर्णन करते हुए उन्होंने बताया कि प्रभु श्री राम ने माता पिता की आज्ञा पाकर सहर्ष ही 14 वर्ष का वनवास स्वीकार कर लिया। प्रभु श्री राम हमें त्याग की भावना सिखाते हैं। वन में जाकर प्रभु ने बहुत से राक्षसों का संहार किया और भक्तों को अपना दर्शन देकर उन्हें भक्ति का वरदान दिया। साध्वी जी ने कहा कि आज समाज में फैली बुराइयों का मुख्य कारण मानव के भीतर उसका मन है। कोई भी बुराई पहले मनुष्य के भीतर ही उत्पन्न होती है।

सकारात्मक परिवर्तन केवल ईश्वरीय ज्ञान से ही संभव

यदि समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाना है तो पहले आवश्यकता है मानव के भीतर विकृत मन को सुधारने की। यह मात्र केवल ईश्वरीय ज्ञान से ही संभव है। प्रभु की अनन्य भक्त भक्ति मति शबरी जी का प्रसंग सुनाते हुए साध्वी जी ने बताया कि माता शबरी जो एक भील जाति की स्त्री थी। उनकी कुटिया में प्रभु श्री राम स्वयं गए और उनके हाथों से जूठे बेरों का पान किया। प्रभु किसी की जाती पाति नहीं देखते। वह मात्र केवल भक्तों के हृदय का भाव और प्रेम देखते हैं। और यह निष्काम प्रेम ,भाव और श्रद्धा ईश्वर को जान लेने के पश्चात ही मानव के मन में उत्पन्न होती है।

देश का युवा समाज की रीढ़ की हड्डी

शबरी जी ने मतंग मुनि जैसे पूर्ण संत का सानिध्य प्राप्त कर उनसे ब्रह्म ज्ञान की प्राप्ति की थी। साध्वी जी ने कहा कि देश का युवा समाज की रीढ़ की हड्डी होता है। परंतु आज सही दिशा ना मिल पाने के कारण वह पथ भ्रष्ट हो गया है। युवा में वायु सा वेग और उत्साह होता है। परंतु जब यह युवा शक्ति पथ भ्रष्ट हो जाती है तो गलत कार्यों में लिप्त हो जाती है। आज समाज के युवा को सही दिशा देने की आवश्यकता है ताकि यह युवा शक्ति समाज और राष्ट्र के उत्थान में लग सके।

युवाओं का मुख्य योगदान

यदि युवा शक्ति को सही दिशा में लगाना है तो उसे आध्यात्मिक धारा से जोडऩा ही होगा। क्योंकि अध्यात्म हमें जीवन में अनुशासन देता है । रावण के आतंक को खत्म करने के लिए प्रभु श्री राम ने युवावस्था में ही संकल्प लिया था। इतिहास इस बात का गवाह है कि जब जब समाज में परिवर्तन आया तो उसमें युवाओं का मुख्य योगदान रहा। कथा में साध्वी बहनों ने सुमधुर भजनों का गायन किया जिसे सुनकर उपस्थित भक्त श्रद्धालु गण भाव विभोर हो गए। कथा का समापन विधिवत आरती के साथ हुआ।

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