खाद गोदाम में रेड के दौरान जीएसटी टीम के साथ मारपीट, संचालक को छुड़ा ले गए लोग Fighting With GST Team

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प्रभजीत सिंह लक्की, यमुनानगर :

Fighting With GST Team: करहेडा खुर्द में एमएस खाद भंडार व हर्षित ट्रेडर्स के गोदाम पर खाद के बिलों की जांच कर रही जीएसटी (गुड्स एंड सर्विसिज टैक्स) की टीम के साथ मारपीट की गई। रेड पूरी करने के बाद टीम फर्जी बिलों के आरोप में खाद गोदाम के संचालक करेहडा खुर्द निवासी मनोज कुमार को हिरासत में ले लिया। जैसे ही टीम उन्हें लेकर चलने लगी। तभी करीब 20 लोगों ने उन पर हमला बोल दिया।

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जीएसटी टीम ने टैक्स चोरी के आरोप में पकड़ा था करेहड़ा खुर्द निवासी मनोज को (Fighting With GST Team)

उनके साथ गाली गलौज व मारपीट करते हुए मनोज कुमार को उनके कब्जे से छुड़वा लिया। मामले में सदर यमुनानगर थाना पुलिस को शिकायत दी गई थी। जिस पर पुलिस ने मनोज कुमार, उसके चाचा आज्ञाराम व विनय कुमार समेत 20 अन्य पर केस दर्ज किया। सदर यमुनानगर थाना प्रभारी सुभाष ने बताया कि जीएसटी ने उनसे कोई पुलिस सुरक्षा नहीं मांगी थी, क्योंकि उन्हें रेड करने की पावर होती है।25 अप्रैल को करेहडा खुर्द में एमएस खाद भंडार व हर्षित ट्रेडर्स के गाेदाम पर डायरेक्टर जनरल आफ जीएसटी इंटेलीजेंस गुरुग्राम जोनल की टीम ने रेड की थी। जिसमें सीनियर इंटेलीजेंस आफिसर आशीष मित्तल, इंटेलीजेंस आफिसर देवेंद्र मनी, प्रदीप मलिक व योगेश ढाका गाड़ी में पहुंचे थे।

90 लाख रुपये की पकड़ी गई थी जीएसटी चोरी (Fighting With GST Team)

उनके साथ गाड़ी में ड्राइवर दर्शन यादव भी था। टीम ने दो दिनों तक यहां पर बिलों की जांच की। जांच में सामने आया कि टेक्नीकल यूरिया की जगह कृषि बिल काटे गए हैं। करीब 90 लाख रुपये की जीएसटी चोरी की गई है। रेड पूरी करने के बाद देर रात करीब नौ बजे जीएसटी चोरी के आरोप में संचालक मनोज कुमार को हिरासत में ले लिया गया। जैसे ही उसे हिरासत में लेकर टीम गाड़ी में बिठाकर चलने लगी, तभी उन पर हमला बोल दिया गया। करीब 20 महिला व पुरुष अचानक से आ गए। उन्होंने टीम को घेर लिया। टीम के साथ अभद्रता करते हुए मनोज कुमार को छुड़वा लिया। किसी तरह से वहां से पूरी टीम जान बचाकर निकली।

अवैध रूप से किसानों को मिलने वाले यूरिया का प्रयोग (Fighting With GST Team)

प्लाईवुड फैक्ट्रियों में बड़े पैमाने पर किसानों को सब्सिडी पर मिलने वाले यूरिया का प्रयोग किया जाता है। कई बार कृषि विभाग की टीमें फैक्ट्रियों में जांच भी कर चुकी हैं। जबकि फैक्ट्रियों में ग्लू बनाने के लिए कमर्शियल यूरिया का प्रयोग किए जाने के आदेश हैं। यह किसानों को मिलने वाले यूरिया से महंगा पड़ता है। इसलिए ही फैक्ट्री मालिक इसका प्रयोग नहीं करते और अवैध रूप से किसानों को मिलने वाले यूरिया का प्रयोग किया जाता है। इनके ही बिलों में बड़े पैमाने पर गड़बड़िया की जाती है।

सस्ता है किसानों को मिलने वाला यूरिया (Fighting With GST Team)

किसानों को मिलने वाले यूरिया पर पांच प्रतिशत जीएसटी है। इसका बैग 267 रुपये का पड़ता है, जबकि टेक्निकल यूरिया 1210 रुपये प्रति बैग पड़ता है। इस पर 18 प्रतिशत जीएसटी है। इसमें ही गड़बड़ी की जाती है। टैक्स बचाने के लिए कृषि यूरिया के नाम के फर्जी बिल बना दिए जाते हैं। इन्ही फर्जी बिलों के आरोप में करेहड़ा खुर्द में मनोज के गोदाम पर भी रेड पड़ी। उसने टेक्निकल यूरिया की जगह कृषि यूरिया के बिल बनाए हुए हैं। जिसमें बड़े पैमाने पर टैक्स चोरी की गई।

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