मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र, आरती, भोग और कथा Worship of Maa Brahmacharini

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Worship of Maa Brahmacharini
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आज समाज डिजिटल, अंबाला:
Worship of Maa Brahmacharini : इस बार चैत्र नवरात्रि 2 मार्च 2022 से शुरू हो गए है। हिंदूधर्म के अनुसार नवरात्रि के दिनों को बहुत शुभ माना जाता है। नवरात्रों के आने का लोग बहुत बेसब्री से इंतजार करते है। नवरात्रों के नौ दिन मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। पहले दिन लोग मां की प्रतिमा को बड़े धूमधाम से अपने घर में लाते है। शुभ मुहुर्त को देखकर घर पर मां की स्थापना करते है। नवरात्रों में माँ के आने के लिए काफी समय पहले से ही तैयारियां शुरू हो जाता है।

नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की जाती है। मां ब्रह्मचारिणी दुष्टों को सही रास्ता दिखाने वाली हैं। माता की पूजा अर्चना करने से आपको तप की शक्ति, त्याग, सदाचार, संयम और वैराग्य जैसे गुणों की प्राप्ति होती है। मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से आपको अपने कार्य में सदैव विजय प्राप्त होती है। आज हम जानेगे कि मां के दूसरे सवरूप के मां ब्रह्मचारिणी की पूजा की विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र, आरती, भोग और कथा कैसे करें।

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पूजा की विधि

  • इस दिन सुबह उठकर जल्दी स्नान कर लें, फिर पूजा के स्थान पर गंगाजल डालकर उसकी शुद्धि कर लें।
  • घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
  • मां दुर्गा का गंगा जल से अभिषेक करें।
  • अब मां दुर्गा को अर्घ्य दें।
  • मां को अक्षत, सिन्दूर और लाल पुष्प अर्पित करें, प्रसाद के रूप में फल और मिठाई चढ़ाएं।
  • धूप और दीपक जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ करें और फिर मां की आरती करें।
  • मां को भोग भी लगाएं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया

मां ब्रह्मचारिणी को लगाए भोग

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  • देवी मां ब्रह्मचारिणी को चीनी और मिश्री काफी पसंद है इसलिए मां को भोग में चीनी, मिश्री और पंचामृत का भोग लगाएं।
  • मां ब्रह्मचारिणी को दूध और दूध से बने व्‍यंजन अति प्रिय होते हैं। इसलिए आप उन्‍हें दूध से बने व्‍यंजनों का भोग लगा सकते हैं। इस भोग से देवी ब्रह्मचारिणी प्रसन्न हो जाएंगी।
  • इन्हीं चीजों का दान करने से लंबी आयु का सौभाग्य भी पाया जा सकता है।
  • देवी मां ब्रह्मचारिणी को गुड़हल व कमल का फूल काफी पसंद होता है और इसलिए इनकी पूजा के दौरान इन्हीं फूलों को देवी मां के चरणों में अर्पित करें।

मां ब्रह्मचारिणी व्रत कथा

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मां ब्रह्मचारिणी का जन्म राजा हिमालय के घर हुआ था। नारद जी की सलाह पर उन्होंने कठोर तप किया, ताकि वे भगवान शिव को पति के स्वरूप में प्राप्त कर सकें। कठोर तप के कारण ही उनका ब्रह्मचारिणी या तपश्चारिणी नाम पड़ा। भगवान शिव की आराधना व कठोर तप से उनका शरीर क्षीण हो गया। उनका ये तप देखकर सभी देवी-देवता, ऋषि-मुनि अत्यंत प्रभावित हुए। सभी ने उन्होंने कहा कि आपके जैसा तप कोई नहीं कर सकता है। आपकी सभी मनोकामना अवश्य पूर्ण होगी। भगवान शिव आपको पति स्वरूप में प्राप्त होंगे।

मंत्र

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दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलु|
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा ||

ध्यान मंत्र

वन्दे वांछित लाभायचन्द्रार्घकृतशेखराम्।
जपमालाकमण्डलु धराब्रह्मचारिणी शुभाम्॥
गौरवर्णा स्वाधिष्ठानस्थिता द्वितीय दुर्गा त्रिनेत्राम।
धवल परिधाना ब्रह्मरूपा पुष्पालंकार भूषिताम्॥
परम वंदना पल्लवराधरां कांत कपोला पीन।
पयोधराम् कमनीया लावणयं स्मेरमुखी निम्ननाभि नितम्बनीम्॥

शुभ मुहूर्त

  • ब्रह्म मुहूर्त- 04:37 AM से 05:23 AM
  • अभिजित मुहूर्त- 12:00 PM से 12:50 PM
  • विजय मुहूर्त- 02:30 PM से 03:20 PM
  • गोधूलि मुहूर्त- 06:27 PM से 06:51 PM
  • सर्वार्थ सिद्धि योग- 06:09 AM से 12:37 PM
  • निशिता मुहूर्त- 12:01 AM, अप्रैल 04 से 12:47 AM, अप्रैल 04

अशुभ मुहूर्त

  • राहुकाल- 05:06 PM से 06:40 PM
  • यमगण्ड- 12:25 PM से 01:58 PM
  • आडल योग- 06:09 PM से 12:37 PM
  • विडाल योग- 12:37 PM से 06:08 AM, अप्रैल 04
  • गुलिक काल- 03:32 PM से 05:06 PM
  • दुर्मुहूर्त- 05:00 PM से 05:50 PM

मां ब्रह्मचारिणी का मंत्र

या देवी सर्वभू‍तेषु ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

मां ब्रह्मचारिणी की आरती

जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता।
जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो।
ज्ञान सभी को सिखलाती हो।
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा।
जिसको जपे सकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता।
जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।
कमी कोई रहने न पाए।
कोई भी दुख सहने न पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने।
जो ​तेरी महिमा को जाने।
रुद्राक्ष की माला ले कर।
जपे जो मंत्र श्रद्धा दे कर।
आलस छोड़ करे गुणगाना।
मां तुम उसको सुख पहुंचाना।
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम।
पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी।
रखना लाज मेरी महतारी।

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