Festival Of Ideas: आरएसएस और हिन्दुत्व पर अमेरिकन आथर वाल्टर के. एंडरसन के साथ बातचीत

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आरएसएस और हिन्दुत्व पर अमेरिकन आथर वाल्टर के. एंडरसन के साथ बातचीत

Aaj Samaj (आज समाज), Festival Of Ideas, दिल्ली: ITV नेटवर्क की तरफ से देश की राजधानी दिल्ली में आयोजित फेस्टिवल आफ आइडियाज कॉन्क्लेव के दूसरे दिन का कार्यक्रम आज शुरू हो गया है। इसी कड़ी में आज आईटीवी नेटवर्क की चेयरपर्सन और द संडे गार्जियन फाउंडेशन की निदेशक डॉक्टर ऐश्वर्या पंडित शर्मा ने अमेरिकन आथर वाल्टर के. एंडरसन के साथ आरएसएस और हिन्दुत्व पर बातचीत की। उन्होंने तीसरी शताब्दी के समय पर बात करते हुए कहा कि उस दौरान डॉ दत्तात्रय देवरस थे जिन्होंने आरएसएस छोड़ दिया था, क्योंकि उन्हें लगा कि इसे छोड़कर ही आगे बढ़ने में सफलता मिल सकती है।

एंडरसन ने उस समय के आइडिया पर बात की

वाल्टर के. एंडरसन ने उस समय के आइडिया पर बात करते हुए कहा, उन्हें एक ऐसे व्यक्ति की जरूरत थी, जो काम को लेकर डेडिकेटेड हो, इसीलिए एम एस गोलवलकर को इसके लिए सिलेक्ट किया गया। इसकी वजह यह थी कि वह बहुत ज्यादा अलग थे। वह धर्म को मानते थे, लेकिन इतने ज्यादा धार्मिक भी नहीं थे। अमेरिकन आॅथर ने आरएसएस और हिन्दुत्व को लेकर कहा कि लोगों को लगता है कि आरएसएस सिर्फ हिन्दुत्व पर ही काम करता है, लेकिन उस दौरान वह सभी हिंन्दुओं को एकजुट कर रह थे। अब क्रिश्चियन और मुस्लिम को भी जोड़ने का काम किया जा रहा है। अमेरिकन आॅथर ने कहा कि आज जो आरएसएस के प्रेसिडेंट हैं वो मुस्लिम और क्रिश्चियन की बात करते हुए हिंदुत्व को बढ़ावा भी देते हैं। ये बिल्कुल इसी तरह है जैसे दो देशों के लोग होते हैं।

कल्चर के तौर पर मुस्लिम और क्रिश्चियन को बताया हिंदू

अमेरिकन आॅथर ने साथ ही रिलीजन नहीं, बल्कि कल्चर के तौर पर मुस्लिम व क्रिश्चियन को हिंदू बताया। उन्होंने कहा कि इसी वजह से उस समय गोलवलकर को चुना गया था, क्योंकि वह एक रिलीजियस पर्सन थे। साथ ही वह एक अच्छे आॅर्गनाइजर भी थे, जिस कारण उन्हें लगा कि समय और मुसीबत के लिए एक ऐसे इंसान की जरूरत है जो हर चीज को आॅर्गनाइज करके रखे।

आरएसएस को एक साथ बांध रखा था

वाल्टर के. एंडरसन ने कहा, यहां बैठे लोगों में से कोई न कोई उनके बारे में जानता ही होगा। उन्होंने कहा कि जब वह दिल्ली विश्वविद्यालय में थे तब आरएसएस को एक साथ बांध रखा था। लोगों में एकजुटता बनाए रखी थी। अमेरिकी आथर ने कहा, मैं पर्सनली भी हर महीने उनसे मिलता था। इस दौरान हम फिलॉसफी के बारे में बात करते थे। उन्होंने एक दिन मुझे बोला कि क्या वह गोलवलकर से मिलना चाहते हैं, मैंने बोला हां मैं उनसे जरूर मिलना चाहूंगा।

गोलवलकर के बारे में कही ये बात

एंडरसन ने कहा, दिल्ली विश्वविद्यालय में आरएसएस का एक मेंबर था जिसने मेरे पास आकर कहा कि इस दिन इस घंटे आपको एक गाड़ी लेने आएगी। गाड़ी से आपको मुंबई लेकर जाएंगे। मुझे याद है कि सुबह के 6 बज रहे थे और मैं सुबह 5 बजे से तैयार बैठा था कि वह मुझे 6 बजे लेकर जाएंगे। मुंबई में एक इंसान सबसे ज्यादा मेरे पास था जो मेरे साथ गोलवलकर से मिलने गया था। वहां हम कुछ समय रहे और फिर हमें लेबर लीडर के घर ले जाया गया। जो आरएसएस द्वारा एफिलिएटेड था। यहां से हमें गोलवलकर से मिलने के लिए ले जाया गया था।

गोलवलकर में सख्त व दयालू, दोनों खूबियां थीं

अमेरिकी आथर एंडरसन ने कहा, मुझे अच्छे से याद है कि गोलवलकर बेहद ही दयालु थे। जिस तरह मैंने उनके बारे में सुना था कि वह बहुत कम बात करने वाले हैं, मगर ऐसा कुछ नहीं था। लेकिन मैं एक एकेडिमक बैकग्राउंड से आता हूं। जिसमें लोग सख्त और दयालु दोनों होते हैं और ये दोनों ही खुबियां उनके अंदर थीं। एंडरसन ने कहा, इस वजह से मुझे लगा कि मैंने उनके बारे में गलत मानसिकता बना रखी थी। इसी वजह से मैं कुछ समय रूका और सोचा कि क्या यह वहीं हैं जिनके बारे में मैं सोच रहा था।

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