Electoral Preparations: Ram Mandir and Vikas Purush’s Image: उत्तरकथा : चुनावी तैयारी : राम मंदिर और विकास पुरुष की छवि

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यूपी के विधानसभा चुनाव में अभी दो साल का अच्छा खासा वक़्त बाकी है लेकिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अभी तैयारियों की  भूमिका अभी से बननी शुरु हो गई हैं। अपनी सरकार के तीन साल का कार्यकाल पूरा करने के साथ ही उनकी मैदान में उतरने की तैयारी है । फिलहाल योगी की योजना प्रदेश में भव्य राममंदिर के मसले को कुशलता पूर्वक हल कर उसे अपने ही कार्यकाल में साकार कर जनता के बीच में जाने की है तो वह साथ ही खुद को विकास पुरुष के रुप में भी साबित कर फिर से लोगों का विश्वास जीतना चाहते हैं। कुछ इसी इरादे के साथ मुख्यमंत्री इसी महीने से प्रदेश भर में ताबड़तोड़ दौरों की शुरुआत कर विकास की जमीनी हकीकत जानेंगे और लोगों को अपने कामों के बारे में बताएंगे।
वैसे योगी के पहले पांच साल तक राज्य की बागडोर संभाल चुके समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव भी उनके पीछे-पीछे जनता के बीच जाने की बड़ी तैयारी में हैं । एक बड़े रोडमैप के साथ अगले कुछ महीनों में ही वे भी मैदान में उतर रहे हैं ।  राज्य की जनता के बीच उनका अभियान चुनाव तक जारी रहेगा । दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजों से उत्साहित अखिलेश यादव की एक नई कोर टीम उनकी चुनावी तैयारियों पर  काम करने में जुटी है। इस टीम में प्रशांत किशोर की तर्ज पर कुछ नए चुनावी रणनीतिकार शामिल बताए जाते हैं ।
वैसे 2022 की अहम चुनावी लड़ाई अभी दूर है लेकिन उसके पहले योगी सरकार को राज्य की चार विधानसभा सीटों पर थोड़े समय बाद होने वाले उपचुनाव का भी सामना करना है। इसमें तीन सीटें उसकी अपनी हैं और चौथी सीट पर समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता आज़म खान से मुकाबिल होना है ।
जिन सीटों पर उपचुनाव होना है, उनमें रामपुर की स्वार , फिरोजाबाद की टूंडला , उन्नाव की बांगरमऊ और इसी हफ्ते  बुलंदशहर के विधायक वीरेंद्र सिरोही के निधन के बाद खाली हुई सीट भी शामिल है । टूंडला विधानसभा सीट पर पूर्व में भाजपा ने चुनाव जीता था लेकिन यहां से विधायक एसपी सिंह बघेल के सांसद चुने जाने के कारण यह सीट अब तक रिक्त पड़ी है । हालांकि हाईकोर्ट में मामला लंबित होने के कारण यहां पर चुनाव नहीं हो पाया है।  एक अन्य सीट  उन्नाव के बांगरमऊ की है, जहां भाजपा के विधायक कुलदीप सिंह सेंगर जीते थे लेकिन बलात्कार व हत्या के मामले में सजायाफ्ता होकर जेल हैं और हाल ही में उनकी सदस्यता भी खत्‍म हो गई है । एक और विधानसभा सीट, जहां पर पूर्व कैबिनेट मंत्री मोहम्मद आजम खां के पुत्र अब्दुल्लाह आजम की सदस्यता खत्म कर दी गई है ।  दरअसल, वह उम्र के फर्जी सर्टिफिकेट के मामले में जेल भेजे गए हैं । अदालत के आदेश पर अब्दुल्लाह आजम के साथ ही उनकी मां और पिता मोहम्मद आजम खान भी जेल भेजे गए हैं ।
वैसे  उत्तर प्रदेश में  ऐसा पहली बार होने जा रहा है कि तीन साल पूरा करने के बाद प्रदेश सरकार खुद के साथ ही विधानसभाओं का अलग-अलग रिपोर्ट जनता के सामने  रखने को तैयार है। विधानसभावार  रिपोर्ट कार्ड बनना शुरु हो गया है। इसमें शक नहीं कि  विधानसभा वार रिपोर्ट कार्ड बनने के बाद न केवल प्रदेश सरकार बल्कि उससे भी ज्यादा संबंधित क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों के विकास के दावों की हकीकत भी सामने आएगी।
सीएम योगी  और पार्टी के प्रदेश नेतृत्व का मानना है कि बीते तीन सालों में और गाता विकास के जो काम हुए हैं उनके बारे में ढंग से प्रचार और जनता के बीच ले जाने की जरुरत है। प्रदेश में ढांचागत सुधारों के लिए उनकी मुहिम चाहे व बुंदेलखंड, पूर्वांचल, गंगा एक्सप्रेस वे हो या मेट्रों की विभिन्न परियोजनाएं हों चाहे वह कारखानों का बिछता जाल हो, इन सबके बारे में जनता तक अपेक्षित जानकारी तमाम कोशिशों के बाद भी नही पहुंच सकी है। मुख्यमंत्री का यह भी मानना है कि बीते तीन सालों में न केवल प्रदेश का प्रसासन पटरी पर लौटता है बल्कि शिक्षा व स्वास्थ्य को लेकर भी महत्वपूर्ण काम हुए हैं। अब इन सब कामों के प्रचार प्रसार को लेकर मुख्यमंत्री आक्रमक तरीका अपना कर जनता के बीच जाना चाहते हैं। इसके अलावा कामों को लेकर जनता के फीडबैक पर भी मुख्यमंत्री योगी की खास नजर हैं। उन्होंने हाल ही में न केवल फीडबैक सिस्टम को सुधारा है बल्कि भ्रष्टाचार के दर्जनों मामले खुद अपने हाथ में लेकर बर्खास्तगी से लेकर निलंबन तक की कार्यवाही की है।
गौरतलब है कि इसी महीने की 18 तारीख को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपना तीन साल पूरा करेंगे। तीन साल के अपने कार्यकाल में कई रिकॉर्ड बनाने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक और नया रिकॉर्ड बनाने जा रहे हैं। वह एक बार में भाजपा सरकार के यूपी में सबसे ज्यादा समय तक मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड बनाएंगे। उनकी सरकार के तीन साल इसी 18 मार्च को पूरा होंगे। योगी आदित्यनाथ 19 मार्च 2017 को मुख्यमंत्री बने थे। यूपी में भाजपा की सरकारों में विभिन्न समय पर चार मुख्यमंत्री बन चुके हैं। कल्याण सिंह दो बार मुख्यमंत्री रहे तो राम प्रकाश गुप्त व राजनाथ सिंह एक-एक बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। भाजपा के इन मुख्यमंत्रियों में योगी आदित्यनाथ पहले ऐसे शख्स हैं जो लगातार तीन साल पूरे करने जा रहे हैं। अलबत्ता कल्याण सिंह का दो बार का कार्यकाल जोड़ लें तो जरूर तीन साल से ज्यादा का है लेकिन उनका कोई कार्यकाल एक बार में तीन साल तक नहीं रहा। असल में भाजपा ने पहली बार 1991 में सरकार बनाई थी। उसे लगभग पूर्ण बहुमत ही मिला था लेकिन 2017 में भाजपा को पूर्ण बहुमत ही नहीं इससे बढ़कर प्रचंड बहुमत मिला।
प्रदेश में इस तरह का रिकार्ड बनाने वाले इकलौते मुख्यमंत्री होने वाले योगी अब एक और रिकार्ड बनाना चाहते हैं और वो है उनके नेतृत्व में विधानसभा चुनावों में फिर से पहले जैसी सफलता हासिल करना। योगी का मानना है कि किसी एक मुद्दे पर चुनाव लड़कर यह हासिल नही हो सकता है और शायद इसीलिए वह विकास, सुशासन, धर्म के साथ कड़क छविक का काकटेल लेकर जनता के बीच जाना चाहते हैं। कुल मिलाकर इतना तय हो गया है विधानसभा की रणभेरी बजने के बहुत पहले अकेले योगी मैदान में होंगे और उनका यह अभियान आगे के दो सालों तक चलता रहेगा।
हालांकि उत्तर प्रदेश जैसे राज्य में, जहां सियासत से लेकर नौकरशाही तक जातीय गुणा-गणित एक अहम  विषय माना जाता है , योगी आदित्यनाथ की सरकार ने एक नया रिकॉर्ड बनाया है।  सूबे में अखिलेश यादव के नेतृत्व में जब समाजवादी पार्टी की सरकार थी तो अहमद हसन जैसे मंत्री ही नहीं, संगठन से जुड़े बड़े नेता भी ऐलानिया कहते थे कि आजाद भारत में पहली बार पुलिस और शासन के सर्वोच्च पदों पर मुस्लिम अधिकारी तैनात किए गए हैं। दरअसल मुख्य सचिव के पद पर जावेद उस्मानी की तैनाती सरकार बनने के बाद ही हो गई थी और कालांतर में रिज़वान अहमद पुलिस महानिदेशक बनाए गए तो वाकई एक रिकॉर्ड बन गया ।
इधर बुधवार को 1985 बैच के आईपीएस अफसर हितेश चंद्र अवस्थी को नियमित रूप से राज्य का पुलिस महानिदेशक बनाने के बाद वास्तव में पहली बार नौकरशाही के तीनों प्रमुख पदों पर ब्राह्मण अधिकारी हो गए हैं ।  मुख्य सचिव के पद पर राजेन्द्र कुमार तिवारी और अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी पहले से ही तैनात हैं और बेहतर परफॉर्मेंस दे रहे हैं। सोशल मीडिया में “योगी राज का ब्राह्मण राज ” और यूपी पुलिस अवस्थियों के हवाले जैसे शीर्षक चले हैं । वैसे भाजपा सरकार को इन स्थितियों का स्वस्फूर्त राजनीतिक लाभ मिल सकता है ।
★ यूपी में भी कोरोना का रोना
उत्तर प्रदेश में भी कोराना वायरस अपना डर पसार रहा है। कई जिलों में संदिग्ध पाए गए हैं और उनकी पड़ताल हो रही है। हालांकि वायरस के लोगों तक पहुंचने से पहले कारोबार को पहले ही इसने डस लिया है।
आगरा के 6 लोग जिनमें कोराना वायरस संक्रमण पाए गए, दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल भेजा गया है।
ये लोग जूता निर्यातक है और इटली में आयोजित ट्रेड फेयर में भाग लेकर दो दिन पहले ही उत्तर प्रदेश लौटे हैं।
स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह के मुताबिक अभी तक कुल 34 संदिग्धों के सैम्पल पुणे की लैब को भेजे गए हैं ।
चीन से शुरु हो यूरोप तक फैल चुके कोरोना वायरस के चलते अब उत्तर प्रदेश के सिल्क और जरी जरदोजी कारोबारियों को रोना आ रहा है। देश दुनिया में अपने बेहतरीन सिल्क कपड़ों के ले मशहूर बनारस में चीन से रेशम के धागों की सप्लाई बीते एक महीने से बंद है। बंदी कब तक चलेगी इसका अंदाजा लगा पाना भी मुश्कल होता जा रहा है। अकेले सिल्क ही नही बल्कि जरी, जरदोजी, कढ़ाई का काम करने वाले कारीगरों को भी चीन से आने वाले मोती,बीड और अन्य सामान नही मिल पा रहे हैं। जहां चीन से कच्चा माल आना बिलकुल बंद है वहीं देश में मौजूद थोड़ा बहुत माल खासे मंहगे दामों पर बिक रहा है।
बनारस के सिल्क कारोबारियों के मुताबिक चीन से आयात बंद होने के बाद रेशम के धागों की कीमत 25 फीसदी बढ़ गयी है जबकि इम्ब्रायडरी के काम आने वाले सामानों की कीमत खासी बढ़ गयी है। बनारस ही नही देश के अन्य भागों में सिल्क कारीगरों की पहली पसंद मलबरी फ्लैचर धागे हैं जिसकी सबसे ज्यादा खपत होती है। एक महीने पहले तक 3400 रुपये किलो बिकने वाला मलबरी फ्लैचर अब 4400 रुपये किलो बिक रहा है। इसके बाद कारीगरों व कारोबारियों की दूसरी पसंद चायना ड्यूपियान की कीमत भी 2800 रुपये किलो से बढक़र 3400 रुपये जा पहुंची है। दूसरी ओर चीन में कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते कढ़ाई का काम करने वाले कारीगरों व कारोबारियों के सामने दिक्कतें बढ़ी हैं। सबसे ज्यादा कीमतें चीन से आने वाले कच्चे माल की बढ़ गयी हैं। इन दिनों इम्ब्रायडरी में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले 400 ग्राम वाले पैक के चीनी स्टोन की कीमत 230रुपये से बढक़र 450 रुपये हो गयी है। इसी तरह चीन से आने वाले 250 ग्राम के कूट दाना पैक की कीमत 75 रुपये से बढक़र 200 रुपये हो गयी है।
 सिनर्जी फैब्रीक्राफ्ट के मालिक और बनारस सिल्क के जाने माने निर्यातक रजत मोहन पाठक का कहना है कि क्रेप जार्जेट जैसे धागों की कीमत जरुर स्थिर है पर उसकी मांग भी ज्यादा नही है। उनका कहना है कि चीनी रेशम के धागों की कीमत में इजाफा होने के चलते देशी बाजार में तैयार सिल्क के कपड़ों साडिय़ों के दाम बढ़े हैं। बाहर तो जाने वाले माल की लागत भी बढ़ गयी है। पाठक का कहना है कि चीन से आपूर्ति कब बहाल होगी यह कह पाना मुश्किल है। हालांकि पहले चीनी रेशम के आयात पर 10 फरवरी तक रोक लगायी गयी पर हालात में सुधार न देख इसे आगे बढ़ा दिया गया है।
गौरतलब है कि सालाना 2500 करोड़ रुपये का सिल्क कारोबार करने वाले बनारस में हर रोज 10 टन रेशम की खपत होती है जिसका बड़ा हिस्सा पावरलूम के और थोड़ा हिस्सा हथकरघा बुनकरों का है। बनारस और आसपास के जिलों मऊ, आजमगढ़, मिर्जापुर व गाजीपुर में करीब सात लोग इस व्यवसाय से जुड़े हैं। सिल्क कारोबारियों का कहना है कि इस बार कच्चे माल की आपूर्ति घटने और दाम बढऩे के चलते घरेलू बाजार में मांग में कुछ कमी आयी है।

(लेखक उत्तर प्रदेश प्रेस मान्यता समिति के अध्यक्ष हैं। यह लेखक के निजी विचार हैं।)