ड्रोन एक नई तकनीक, बागवानी के क्षेत्र में क्रांति लाने में होगी सहायक : प्रो समर सिंह

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Drones are instrumental in bringing a new technology revolution: Prof. Samar Singh

प्रवीण वालिया,करनाल: 

  • एमएचयू देश का पहला विश्वविद्यालय है, जो पब्लिक सेक्टर में सर्विस प्रोवाइड करेगा

किसानों तक खेती में प्रयुक्त होने वाली नवीनतम तकनीक पहुंचे, इसके लिए महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय हर संभव प्रयास कर रहा है। इसी कड़ी में एमएचयू ने 2 नए ड्रोन खरीदे है। ड्रोन की खेती खासकर बागवानी क्षेत्र में उपयोगिता बताने के लिए एमएचयू में ड्रोन का प्रदर्शन किया गया। एमएचयू आने वाले समय में कृषि में आने वाली बीमारियों व प्रति एकड़ में पैदावार का अनुमान लगाने के लिए किया जाएगा। ड्रोन प्रदर्शन में प्रदेशभर से काफी संख्या में आए किसानों ने भाग लिया।

महाराणा प्रताप बागवानी विश्वविद्यालय करनाल के कुलपति प्रो. समर सिंह ने बताया कि एमएचयू ने दो ड्रोन खरीदे है, दोनों ड्रोन से किसानों के खेतों में ड्रोन की प्रदर्शनी लगाई जाएगी। इसके अलावा एमएचयू द्वारा एक ट्रेनिंग सेंटर चालू किया जाएगा, जहां पर ड्रोन के पायलट तैयार कर लाइसेंस दिए जाएगे ताकि आगे वो भी ड्रोन के एक्सर्ट हो जाए। जो प्रदर्शनी लगाने में सहायता करें। ड्रोन इतना कामयाब है खासकर बागवानी फसलों में गन्ना,मक्का या बाग में आमतौर पर मैन्यूवेल सप्रे अच्छी प्रकार से नहीं होता है जबकि ड्रोन से बिल्कुल सटीक सप्रे होगा। इससे पानी की भी बचत होगी, मात्र 10 लीटर पानी में सप्रे होगा। उन्होंने कहा कि ड्रोन एक नई तकनीक है, जो बागवानी के क्षेत्र में क्रांतिकारी साबित होगी।

ड्रोन से प्रति एकड़ में 8 मिनट में हो जाता है सप्रे

कुलपति प्रो. समर सिंह ने बताया कि ड्रोन हवा में उड़कर ऊपर से फसलों में सप्रे करता है, ड्रोन में अलग-अलग रडार ओर सेंसर लगे हुए है। जो इसे किसी भी वस्तु से जैसे पेड़, खंबा व तार इत्यादि से टकराने से बचाते है। ड्रोन को रिमोट से कंट्रोल किया जाता है। इसको मैन्यूवेल मोड व ऑटोमेटिक मोड में चलाया जाता है। ड्रोन खेत में सप्रे करने के बाद उसी स्थान पर अपने आप वापस आ जाता है, जिस स्थान से उसने उड़ान भरी थी।इसके प्रयोग से किसानों का दवा का संपर्क नहीं होता, इससे किसानों को स्वास्थ्य संबंधित बीमारियों से बचाव होता है। दूसरा ड्रोन से सप्रे करने से समय, पानी ओर मजदूरी की बजत होती है। ड्रोन से सप्रे करने पर एक एकड़ में दस लीटर दवा व पानी का घोल करीब 8 मिनट में छिड़काव किया जाता है। ड्रोन में जीपीएस सेंसर होने के कारण पूरा दवा का छिड़काव विधि एक समान होती है ओर कोई भी जगह छूटती नहीं है।

ड्रोन से लेबर की समस्या होगी दूर

उन्होंने बताया कि पहले सप्रे करने में भारी समस्या होती थी, जब भी सप्रे करते थे तो मैन्यूवेली ही सप्रे करते है। मैन्यूवली सप्रे करने से दवाइयों खासकर खरपतावार नाशक दवा का एकसार सप्रे नहीं होता। जहां दवाई ज्यादा डलती है, वहां फसल खराब हो जाती है, और जहां दवाई नहीं डलती, वहां खरपतवार नहीं मरती थी। इसी तरह दवा कम पड़ेगी तो कीड़े नहीं मरते थे। लेबर की भी बड़ी समस्या थी, लेबर समय पर नहीं मिलती थी ओर समय भी ज्यादा लगता था। लेकिन ड्रोन से सप्रे करने में प्रति एकड़ सिर्फ 8 मिनट ही लगेंगे, इससे समय व पैसे की बचत होगी।
एमएचयू देश का पहला विश्वविद्यालय है, जो पब्लिक सेक्टर में सर्विस प्रोवाइड करेगा।

कुलपति प्रो समर सिंह ने बताया कि एमएचयू देश का पहला विश्वविद्यालय है, जो पब्लिक सेक्टर में सर्विस प्रोवाइड करेगा। एमएचयू अन्य संस्थानों की बजाए बहुत कम बजट में ट्रेनिंग देगा। ड्रोन से किस प्रकार सप्रे करें, इस बारे में पूरी जानकारी किसानों को उपलब्ध कराई जाएगी। ड्रोन से सप्रे की अल्ट्रा-लो वैल्यूम पर काम करती है, जिससे सप्रे की बूंदे 250 ग्राम माइक्रो छोटी होती है ओर ड्रोन की प्रोपलर के नीचे होने के चलते दवा सीधा पौधे की जड़ तक पहुंच जाती है। ड्रोन की समान व ज्यादा स्पीड होने के कारण भी दवा के घोल की मात्रा बराबर व पानी की कम मात्रा लगती है। इसी के चलते दस लीटर में प्रति एकड़ में सप्रे हो जाता है। मौके पर रजिस्ट्रार डॉ. अजय सिंह, एसोसिएट डायरेक्टर एक्सटेंशन डॉ.सुतेंद्र यादव, डॉ. बिमला, ईओ सुरेश सैनी, एक्सईएन अनुज गुप्ता, एचटीआई प्रिंसिपल जोगिंद्र सिंह,सीईओ दीपक भारद्वाज, धीरज, निशा सोलंकी, बागवानी विभाग से दिनेश कुमार व मांगे राम, सलाहकार वित्त विभाग बलबीर सिंह सहित अन्य मौजूद रहे।

ये कहा प्रदेशभर से आए किसानों ने

चरखी दादरी से आए किसान अतर सिंह, धर्मवीर सिंह, ओम प्रकाश ने बताया कि ड्रोन से सप्रे करना किसानों के लिए वरदान साबित होगा। क्योंकि मैन्यूवैली सप्रे करना जोखिम भरा तो है ही साथ ही दवा व पानी की ज्यादा खपत होती है। लेकिन ड्रोन से एक सार सप्रे होगा, दवा व पानी कम लगेगा। इसके अलावा दवा चढ़ने की संभावना भी नहीं रहेंगी। एमएचयू द्वारा किसानों के लिए ट्रेनिंग उपलब्ध करवाने का कार्य सराहनीय है, एमएचयू द्वारा ज्यादा से ज्यादा किसानों को ट्रेनिंग उपलब्ध करानी चाहिए ताकि किसानों की सप्रे करने में होने वाली परेशानियां काफी हद तक कम हो सके।

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