अफगानिस्तान की जमीन को आतंकियों का गढ़ न बनाएं : भारत 

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आज समाज डिजिटल,संयुक्त राष्ट्र
अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद भारत के साथ ही अन्य देशों की भी चिंता बढ़ गई है। भारत ने इस पर साफ कहा है कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल किसी भी देश को धमकाने या किसी देश पर हमला करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए। भारत की अध्यक्षमता में आयोजित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) की बैठक के बाद विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने यह जानकारी दी। भारत इस समय यूएनएससी का अध्यक्ष है। गौरतलब है कि तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान की धरती पर कई आतंकी संगठन सक्रिय हो चुके हैं। उधर पाकिस्तान भी भारत के खिलाफ तालिबान से हाथ मिलाने को तैयार है। यूएनएससी की बैठक के बाद हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा कि अफगानिस्तान को आतंकियों का अड्डा नहीं बनने दिया जाएगा। इस संबंध में परिषद में पारित एक प्रस्ताव में कहा गया है कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल किसी दूसरे देश पर हमला करने, धमकाने या आतंकियों को सुरक्षित पनाह देने के लिए नहीं किया जाएगा।  अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस की तरफ से यह प्रस्ताव पेश किया गया था। 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद के 13 सदस्यों ने इसके पक्ष में मतदान किया, जबकि दो सदस्य रूस और चीन ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने ट्वीट में कहा कि प्रस्ताव में कहा गया है कि तालिबान को अपने वादों पर खरा उतरना चाहिए और सुनिश्चित करना जरूरी है कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल किसी भी देश के खिलाफ न हो पाए। इसके अलावा प्रस्ताव में अफगानिस्तान छोड़ने वाले लोगों को आसानी से जाने देने की मांग की गई है। यही नहीं अफगानिस्तान में मानवीय मदद पहुंचा रहे संगठनों को काम करने से न रोकने को कहा गया है। संयुक्त राष्ट्र के 1267 नियम के तहत घोषित आतंकियों के साथ ही आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई जारी रहेगी। तालिबान अफगानियों को बाहर जाने देगा। महिलाओं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों का सम्मान करेगा।
अलकायदा पहले बना चुका है पनाहगाह 
दरअसल, तालिबान के 1996-2001 के शासन के दौरान अफगानिस्तान अलकायदा जैसे आतंकी संगठन का अड्डा बन गया था। अलकायदा सरगना ओसामा बिन लादेन ने भी अफगानिस्तान में शरण ली थी। इसी से एक बार फिर तालिबान के सत्ता में आने के बाद अफगानिस्तान के आतंकियों का अड्डा बनने की आशंका जताई जा रही है। वहीं, दूसरी ओर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के राष्ट्रपति शेख खलीफा बिन जायद अल नाहयान के कूटनीतिक सलाहकार अनवर गरगश से बातचीत की। यह वार्ता आपसी हितों की क्षेत्रीय चिंताओं पर केंद्रित थी। माना जा रहा है कि जयशंकर और गरगश ने खाड़ी क्षेत्र की समग्र स्थिति के अलावा अफगानिस्तान संकट पर भी विचार-विमर्श किया।
प्रस्ताव में जैश व लश्कर का भी जिक्र
यूएनएससी की बैठक में पारित प्रस्ताव में खासतौर पर भारत के कट्टर दुश्मन कहे जाने वाले आतंकी संगठनों जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा का भी जिक्र किया गया है। इसके अलावा अफगानिस्तान से भारत आने वाले लोगों की सुरक्षा को लेकर भी बात कही गई है। सूत्रों ने कहा कि इससे उन भारतीय नागरिकों को मदद मिलेगी, जो अफगानिस्तान में फंसे हुए हैं और भारत लौटना चाहते हैं। इससे अफगानिस्तान के अल्पसंख्यकों को भी मदद मिलेगी, जो देश से निकलना चाहते हैं।
जम्मू-कश्मीर में 6 आतंकी समूहों ने की घुसपैठ, 60 युवक लापता
नई दिल्ली। एजेंसियों का कहना है कि जम्मू-कश्मीर में कम से कम 6 आतंकी समूहों ने बीते कुछ दिन में घुसपैठ की है और उनका टारगेट कुछ बड़े प्रतिष्ठान या लोग हो सकते हैं। ऐसे 25 से 30 आतंकी हैं, जिनकी पड़ताल एजेंसियां कर रही हैं। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर से 60 युवाओं के गायब होने से भी सुरक्षा बलों और एजेंसियों की नींद उड़ी हुई है। ये लोग बीते कुछ महीनों में गायब हुए हैं और इन्हें लेकर आशंका जताई जा रही है कि ये किसी आतंकी संगठन या फिर तालिबान से ही जुड़ गए हैं। कश्मीर के टॉप पुलिस अधिकारी विजय कुमार ने कहा कि ये लोग यह कहकर गए थे कि वे किसी से काम जा रहे हैं, लेकिन अब गायब है।
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