CJI Chandrachud: मैं नहीं चाहता सुप्रीम कोर्ट तारीख-पे-तारीख अदालत बन जाए

0
74
CJI Chandrachud
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़। 

Aaj Samaj (आज समाज), CJI Chandrachud, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने वकीलों द्वारा मामलों को बार-बार टाले जाने के अनुरोध पर बड़ी टिप्पणी की है। शुक्रवार को दिन की कार्यवाही शुरू होते ही सीजेआई की अध्यक्षता वाली पीठ ने नए मामलों में वकीलों द्वारा स्थगन के अनुरोध का मुद्दा उठाया। सीजेआई ने इस दौरान कहा कि बीते दो महीनों में वकीलों ने 3,688 मामलों में स्थगन का अनुरोध किया। उन्होंने कहा, जब तक अत्यंत जरूरी न हो, तब तक कृपया स्थगन का अनुरोध न करें।

  • वकीलों के बार-बार मामलों के स्थगन के अनुरोध पर सीजेआई ने की टिप्पणी 

‘तारीख-पे-तारीख’ सनी देओल का लोकप्रिय संवाद

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, मैं नहीं चाहता कि यह अदालत ‘तारीख-पे-तारीख’ अदालत बन जाए। प्रधान न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ में न्यायमूर्ति जे. बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल थे। सीजेआई डीवीआई चंद्रचूड़ ने कहा कि अब वकीलों की संस्थाओं की मदद से शीर्ष अदालत में मामला दायर होने के बाद नए मामलों को सूचीबद्ध करने में समय का अंतर काफी कम हो गया है। बता दें कि ‘तारीख-पे-तारीख’ हिंदी फिल्म ‘दामिनी’ में सनी देओल का लोकप्रिय संवाद था जिसमें अभिनेता ने फिल्म के एक दृश्य में अदालतों में स्थगन की संस्कृति पर रोष प्रकट किया था।

बाहरी दुनिया के लिए बहुत खराब संकेत

सीजेआई ने इस तथ्य पर अफसोस जताया कि पीठ के समक्ष मामले सूचीबद्ध होने के बाद वकील स्थगन का अनुरोध करते हैं और यह बाहरी दुनिया के लिए बहुत खराब संकेत देता है। उन्होंने कहा, मैं देख पा रहा हूं कि मामला दायर होने की अवधि से इसके सूचीबद्ध होने का समय घट रहा है। यह सब हम सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) और सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-आन रिकॉर्ड एसोसिएशन (एससीएओआरएा) के सहयोग के बिना हासिल नहीं कर सकते थे( उन्होंने यह भी कहा कि स्थगन, मामले की शीघ्रतापूर्वक सुनवाई के उद्देश्य को प्रभावित करता है।

यह भी पढ़ें :

Connect With Us: Twitter Facebook

 

SHARE