चरित्र जीवन की स्थाई निधि : मनप्रीत बादल

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आज समाज डिजिटल, चंडीगढ़ :
ट्राइसिटी में मनीषी संतमुनि विनय कुमार आलोक चरित्र रूपी पौधे को सींचने का कार्य कर रहे हैं। आज अगर समाज में सबसे ज्यादा जरूरत किसी चीज की है तो वह चरित्र है। धन और सेहत गई तो कुछ गया लेकिन अगर चरित्र ही जीवन से चला गया तो सबकुछ चला जाता है। ये शब्द पंजाब के वित्तमंत्री मनप्रीत सिंह बादल ने मनीषी संतमुनि विनय कुमार आलोक से चर्चा करते हुए कहे। इस दौरान मनप्रीत सिंह बादल ने मनीषी संत से आशीर्वाद लिया। उन्होंने आगे कहा चरित्र मानव जीवन की स्थाई निधि है। जीवन की स्थाई सफलता का आधार मनुष्य का चरित्र ही है। चरित्र मानव जीवन की स्थाई निधि है। सेवा, दया, परोपकार, उदारता, त्याग, शिष्टाचार आदि चरित्र के बाह्य अंग हैं, तो सद्भाव, उत्कृष्ट चिंतन, नियमित-व्यवस्थित जीवन, शांत-गंभीर मनोदशा चरित्र के परोक्ष अंग हैं। किसी व्यक्ति के विचार इच्छाएं, आकांक्षाएं और आचरण जैसा होगा, उन्हीं के अनुरूप चरित्र का निर्माण होता है।

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