Paddy Farming: निकलने लगी धान की बालियां बरतें सावधानी

0
121
Paddy Farming: निकलने लगी धान की बालियां बरतें सावधानी

उचित देखभाल न करने पैदावार हो सकती है प्रभावित
Paddy Farming, (आज समाज), नई दिल्ली: खरीफ की प्रमुख फसल धान में बालियां निकलने लगी हैं। पौधों में बालियां निकलते समय फसल में रोग लगने तथा कीट पतंगों का भी खतरा बढ़ जाता है। किसान यदि फसल की देखभाल में जरा सी लापरवाही करेंगे तो पैदावार प्रभावित हो सकती है। किसानों को इस समय सावधानी बरतने की खास जरुरत है।

इन रोगों की चपेट में आ सकती है फसल

इस समय फसल में झुलसा, तना बेधक, गंधी कीट, फूदका का खतरा बढ़ जाता है। झुलसा रोग लगने से फसल की पत्तियां सूखने लगती हैं। यदि समय पर दवाओं का छिड़काव नहीं किया गया तो पूरी फसल बरबाद हो सकती है। धान की अगेती फसल में गंधी कीट फुदका व तना छेदक का खतरा काफी अधिक रहता है।

गंधी कीट बालियां निकलते ही उनका रस चूसने लगती हैं। जिससे दाने बनने के बजाए बालियां सूखने लगती है। फुदका तथा तना छेदक की बालियां को काटने लगते हैं। जिससे फसल की पैदावार प्रभावित होती है।

उपाय

इन रागों की रोकथाम के लिए किसान फूल आने के तीन चार दिन बाद मैलाथियान अथवा फिप्रोनल दो मिली ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव कर फसल की सुरक्षा कर सकते हैं।

फूल निकलते समय किसी रासायनिक उर्वरक अथवा कीटनाशक का प्रयोग न करें। इनका प्रयोग करने से फूल का परागण सही ढंग से नही हो पाता। जिससे उपज में कमी आती है। धान की फसल में मानक के अनुसार ही नाईट्रोजन का प्रयोग करें। अधिक मात्रा में प्रयोग करने से फसल के नीचे गिरने का डर रहता है। इस समय फसल की निगरानी पर जोर देने की जरूरत है।

सिंचाई का भी रखें विशेष ध्यान

किसान भाइयों को एक और बात का ध्यान रखना है कि बालियां निकलते समय खेत में पानी की कमी न होने दें। इससे बालियों की बढ़वार प्रभावित हो सकती है. निराई के बाद अगर खेत में खर-पतवार रह गए हैं तो उन्हें निकाल दें।

इस वक्त रासायनिक विधि का असर इन खर-पतवारों पर नहीं होगा। शुरूआत में यानी 30-35 दिनों तक रसायन के छिड़काव से खर-पतवार पर नियंत्रण किया जा सकता है, लेकिन इस अवस्था में ऐसा मुमकिन नहीं है।

ये भी पढ़ें : 3 पहर करना चाहिए हनुमान चालीसा का पाठ