Awarness Programs : छात्राओं को लाइफ स्किल, बढ़ती उम्र के साथ भटकाव को लेकर किया जागरूक

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Awarness Programs : छात्राओं को लाइफ स्किल, बढ़ती उम्र के साथ भटकाव को लेकर किया जागरूक
छात्रओं को लाइफ स्किल्स की जानकारी देते हुए परमार्शदाता नीरज।
  • अभिभावक बच्चों के साथ समय बिता कर जानें मन की बात : नीरज

(Awarness Programs) जींद। माता चन्नन देवी आर्य कन्या गुरूकुल पिल्लूखड़ा में अध्ययनरत किशोरियों एवं उनके शिक्षकों के लिए लाइफ स्किल, बढ़ती उम्र के साथ भटकाव व अन्य सामाजिक विषयों को लेकर सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार की अध्यक्षता प्रधानाचार्या ज्योति छिब्बर ने की जबकि परामर्शदाता नीरज कुमार ने विशेषकर किशोरावस्था में मनोवैज्ञानिक परामर्श सेवाओं एवं अभिभावकों की सकारात्मक भूमिका के महत्व को लेकर जागरूक किया।

सेमिनार को संबोधित करते हुए परामर्शदाता नीरज कुमार ने छात्राओं से जीवन कौशल को लेकर कई सवाल किए और उन्हें बताया कि जीवन कौशल वे क्षमताएं हैं, जो व्यक्तियों को दैनिक जीवन की चुनौतियों का सामना करने, स्वस्थ संबंध बनाने और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करती हैं। आज हर माता-पिता चाहते हैं कि उनका बच्चा आगे चल कर कामयाब बने लेकिन सफलता के लिए सिर्फ  स्कूल की पढ़ाई काफी नही होती। बच्चों को छोटी उम्र से ही कुछ ऐसी बातें सिखानी चाहिए जो उन्हें जिंदगी में आगे बढऩे में मदद करें।

गुस्से में चिलाना , ये फीलिंग्स नॉर्मल लेकिन इन्हें कैसे संभालना है, ये जानना जरूरी 

अभिभावक बच्चों को स्वयं से समस्या का हल करना सिखाएं ताकि बच्चे में हर परिस्थिति से निपटने के लिए आत्मविश्वास हो। इससे बच्चे की सोचने की क्षमता बढ़ती है। वहीं बच्चे कभी-कभी गुस्से में चिल्लाने लगते हैं या उदास होकर रोने लगते हैं। ऐसे में अभिभावक उन्हें समझाएं कि ये फीलिंग्स नॉर्मल हैं लेकिन इन्हें कैसे संभालना है, ये जानना जरूरी है। बच्चों को सिखाएं कि सामने वाले की बात ध्यान से सुनें और अपनी बात आराम से और साफ  तरीके से कहें। अगर कोई बात समझ नही आ रही तो बिना डर के पूछें। इन छोटी-छोटी टिप्स से बच्चों में आत्मविश्वास आता है। प्रधानाचार्य ज्योति छिब्बर ने कहा कि बच्चे को सिखाएं कि वह अपने छोटे-छोटे काम खुद करे।

इससे वो जिम्मेदारी लेना सीखता है और धीरे-धीरे आत्मनिर्भर बनता है। अगर हम चाहते हैं कि आपका बच्चा सिर्फ  अच्छे नंबर ही न लाए बल्कि जिंदगी में भी मजबूत बने तो उसे पढ़ाई के साथ-साथ आत्मनिर्भर बनाना जरूरी है। क्योंकि छोटी उम्र में जो सीखा जाता है, उसका असर पूरी जिंदगी रहता है। परामर्शदाता नीरज ने कहा कि बढ़ती उम्र के साथ भटकाव (भ्रम, कन्फयूजन) का अनुभव कई बार शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कारकों से जुड़ा हो सकता है। इसे समझने के लिए कई कारक हैं। जैसे उम्र बढऩे के साथ मस्तिष्क की कार्यक्षमता में कमी आ सकती है।

अनिद्रा या अनियमित नींद मस्तिष्क की कार्यक्षमता को कर सकती है प्रभावित 

किसी बात का तनाव और चिंता सामाजिक अलगाव, प्रियजनों की हानि या भविष्य की चिंता भटकाव को बढ़ा सकती है। वहीं अनिद्रा या अनियमित नींद मस्तिष्क की कार्यक्षमता को प्रभावित कर सकती है। सामाजिक और पर्यावरणीय कारण भी अहम होते हैं। ऐसे में हमें अपने आपको इस अवासद से दूर करना है तो स्वस्थ जीवनशैली को जीना बहुत जरूरी है।

संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और पर्याप्त नींद मस्तिष्क को स्वस्थ रखने में मदद करती है। परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताना, सामुदायिक गतिविधियों में भाग लेना भटकाव को कम कर सकता है। ध्यान और योग तनाव कम करने और मानसिक स्पष्टता बढ़ाने में मदद करते हैं।

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