महेंद्रगढ़ : धारा 370 ने देश की जनता को संवैधानिक अधिकार से किया वंचित : रायजादा

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constitutional right
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नीरज कौशिक, महेंद्रगढ़ :
जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग रहा है और वर्ष 2019 में धारा 370 व 35ए की समाप्ति के बाद भारत को एकात्मता प्राप्त हुई। इससे पूर्व में जम्मू-कश्मीर जो भारत का हिस्सा होते हुए भी विशेष प्रावधानों के परिणाम स्वरूप भारतीयों को इस राज्य विशेष में संवैधानिक अधिकारों से वंचित करता था। जम्मू-कश्मीर के संवैधानिक स्वरूप में आया यह बदलाव बेहद निर्णायक रहा और अब हमारी सरकार की जिम्मेदारी है कि इस बदलाव को जमीनी स्तर पर सकारात्मकता के साथ अमल में लाया जाए। यह विचार लद्दाख एवं जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र, हरियाणा चैप्टर द्वारा जम्मू कश्मीर से धारा 370 व 35ए हटने की दूसरी वर्षगांठ पर एकात्मता दिवस के मौके पर हरियाणा उच्च शिक्षा परिषद के अध्यक्ष प्रो. बी.के. कुठियाला ने व्यक्त किए। आयोजन के मुख्य वक्ता सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता रविंद्र रायजादा ने अपने संबोधन में कहा कि धारा 370 ने देश की जनता के संवैधानिक अधिकारों से वंचित करने का काम किया था।
कार्यक्रम का विधिवत शुरूआत लद्दाख एवं जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र, हरियाणा चैप्टर के सचिव डा. विवेक बाल्यान ने सभी स्वागत करके की और लद्दाख एवं जम्मू-कश्मीर अध्ययन केंद्र का परिचय प्रतिभागियों से करवाया। इसके पश्चात कार्यक्रम के संयोजक लद्दाख एवं जम्मू कश्मीर अध्ययन केंद्र, हरियाणा चैप्टर के संरक्षक प्रो. टंकेश्वर कुमार ने सभी का स्वागत करते हुए कार्यक्रम की विस्तार से चर्चा की। उन्होंने अपने संबोधन में विशेष रूप से धारा 370 व 35ए के चलते जम्मू कश्मीर में हो रहे मानवाधिकार हनन व भारतीय संविधान की मूल आत्मा को पहुंच रही चोट पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि किस तरह से भातर सरकार के द्वारा वर्ष 2019 में हुए निर्णय के बाद से वहां की परिस्थितियां बदली हैं और वह राज्य भारत के साथ जुड़ा है। उन्होंने कहा कि सही मायने में इस बदलाव के बाद ही एकात्मता की प्राप्ति हुई है।
परिचर्चा में विशेष वक्ता श्री रविंद्र रायजादा ने कहा कि धारा 370 ने जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में भ्रम की स्थिति को पैदा किया गया और इसके परिणामस्वरूप वहां के लोग यही समझते रहे कि जम्मू-कश्मीर में भारत से अलग संवैधानिक व्यवस्था लागू है जबकि ऐसा नहीं है। इस बदलाव से कश्मीरियों को भी भारी लाभ पहुंचा है। भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं, आरक्षण व्यवस्था आदि का लाभ अब वहां के लोगों को मिल रहा है जोकि पहले नहीं मिलता था। धारा 370 हटने के बाद वहां रहने वाले सभी लोगों को समान कानून, समान अधिकार मिलने लगे हैं। इस धारा के समाप्त होने से नई लीडरशिप का बढ़ावा मिला है और जम्मू-कश्मीर की प्रगति का मार्ग प्रशस्त हुआ है। धारा 370 ने सिर्फ देश की जनता के अधिकार छिनने का काम किया है। धारा 370 के हटने के बाद अब जम्मू कश्मीर के लोगों को सभी अधिकार मिलें है। रायजादा ने कहा की ये एकात्मता सिर्फ देश के साथ जम्मू कश्मीर की ही नहीं बल्कि संविधान की भी एकात्मता है। प्रो. बृजकिशोर कुठियाला ने अपने संबोधन में बताया कि किस तरह से धारा 370 के खत्म होने से जम्मू कश्मीर की स्थितियों में और वहां रहने वाले आमजन की जीवन में परिवर्तन आ रहा है। उन्होंने कहा कि धारा 370  के खत्म होने से यह हिस्सा भारत के साथ आत्मीय रूप से जुड़ा है। धारा 370 के कारण जम्मू-कश्मीर की आम जनता ने भारी कष्ट झेले, जिनका निदान अब हो रहा है। प्रो. कुठियाला ने इस अवसर पर कहा कि जम्मू कश्मीर के संबंध में वैचारिक बदलाव के लिए जम्मू-कश्मीर अध्ययन केंद्र ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की है। कार्यक्रम के अंत में अध्ययन केन्द्र के सचिव विवेक बाल्यान ने मुख्य वक्ता, कार्यक्रम अध्यक्ष एवं कार्यक्रम से जुड़े सभी लोगों का धन्यवाद किया।

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