मेष राशिफल 06 मई 2022

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मेष राशिफल 06 मई 2022

***|| जय श्री राधे ||***

*** महर्षि पाराशर पंचांग ***
*** अथ पंचांगम् ***
****ll जय श्री राधे ll****
*** *** *** *** *** *** 

दिनाँक:-06/05/2022, शुक्रवार
पंचमी, शुक्ल पक्ष
वैशाख
“”””””””””””””””””””””””””””””””””””””””””(समाप्ति काल)

*** दैनिक राशिफल ***

देशे ग्रामे गृहे युद्धे सेवायां व्यवहारके।
नामराशेः प्रधानत्वं जन्मराशिं न चिन्तयेत्।।
विवाहे सर्वमाङ्गल्ये यात्रायां ग्रहगोचरे।
जन्मराशेः प्रधानत्वं नामराशिं न चिन्तयेत ।।

मेष

आज आपको काफी संघर्षों के बाद सफलता मिलती दिख रही हैं। वाणी पर नियंत्रण रखें। किसी व्यक्ति विशेष से कहासुनी हो सकती है। लेन-देन में सावधानी रखें। बनते काम बिगड़ सकते हैं। चोट व दुर्घटना से बचें। नकारात्मकता बढ़ेगी। व्यवसाय ठीक चलेगा। आय में निश्चितता रहेगी। घर में तनाव रहेगा। पार्टनरों से मतभेद व कहासुनी हो सकती है। आपको पास व दूर की यात्रा पर भी जाना पड़ सकता है। जो लोग नौकरी में कार्यरत हैं और किसी को पार्टनर बनाकर कार्य को करने की सोच रहे हैं,तो वे उसके लिए समय निकालने में कामयाब रहेंगे। आज का दिन आपकी महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति का दिन रहेगा। आपके बढ़ते हुए खर्चे आज आपके लिए परेशानी का कारण बनेंगे,लेकिन आपको उसके लिए अपने संचय धन को समाप्त नहीं करना है,नहीं तो बाद में आपको परेशानी होगी। विद्यार्थियों के उच्च शिक्षा के मार्ग प्रशस्त होंगे।

तिथि———– पंचमी 12:32:09 तक
पक्ष———————— शुक्ल
नक्षत्र———- आर्द्रा 09:19:04
योग————– धृति 19:04:41
करण———- बालव 12:32:09
करण———– कौलव 25:45:50
वार———————– शुक्रवार
माह———————– वैशाख
चन्द्र राशि—– मिथुन 29:33:35
चन्द्र राशि——————- कर्क
सूर्य राशि——————– मेष
रितु————————- वसंत
सायन———————- ग्रीष्म
आयन—————— उत्तरायण
संवत्सर———————- नल
संवत्सर (उत्तर)—————– राक्षस
विक्रम संवत————— 2079
विक्रम संवत (कर्तक)———- 2078
शाका संवत—————- 1944

वृन्दावन
सूर्योदय————— 05:37:36
सूर्यास्त————— 18:54:24
दिन काल————–13:16:48
रात्री काल———— 10:42:28
चंद्रोदय—————- 09:25:42
चंद्रास्त—————- 23:56:01

लग्न—- मेष 21°18′ , 21°18′

सूर्य नक्षत्र—————— भरणी
चन्द्र नक्षत्र——————- आर्द्रा
नक्षत्र पाया——————- रजत

*** पद, चरण ***

छ—- आर्द्रा 09:19:04

के—-पुनर्वसु 16:04:32

को—- पुनर्वसु 22:49:26

हा—- पुनर्वसु 29:33:35

*** ग्रह गोचर ***

ग्रह =राशी , अंश ,नक्षत्र, पद
==========================
सूर्य=मेष 21:12 भरणी , 3 ले
चन्द्र =मिथुन 18°23 , आर्द्रा, 4 छ
बुध =वृषभ 09 ° 07′ कृतिका ‘ 4 ए
शुक्र=कुम्भ 09 °05, उo भा o ‘ 2 थ
मंगल=कुम्भ 20°30 ‘ पूoभाo’ 1 से
गुरु=मीन 03°30 ‘ ऊ o भा o, 1 दू
शनि=कुम्भ 00°33 ‘ धनिष्ठा ‘ 3 गु
राहू=(व) मेष 28°55’ कृतिका , 1 अ
केतु=(व) तुला 28°55 विशाखा , 3 ते

*** मुहूर्त प्रकरण ***

राहू काल 10:36 – 12:16 अशुभ
यम घंटा 15:35 – 17:15 अशुभ
गुली काल 07:17 – 08:57 अशुभ
अभिजित 11:49 -12:43 शुभ
दूर मुहूर्त 08:17 – 09:10 अशुभ
दूर मुहूर्त 12:43 – 13:36 अशुभ

चोघडिया, दिन
चर 05:38 – 07:17 शुभ
लाभ 07:17 – 08:57 शुभ
अमृत 08:57 – 10:36 शुभ
काल 10:36 – 12:16 अशुभ
शुभ 12:16 – 13:56 शुभ
रोग 13:56 – 15:35 अशुभ
उद्वेग 15:35 – 17:15 अशुभ
चर 17:15 – 18:54 शुभ

चोघडिया, रात
रोग 18:54 – 20:15 अशुभ
काल 20:15 – 21:35 अशुभ
लाभ 21:35 – 22:55 शुभ
उद्वेग 22:55 – 24:16* अशुभ
शुभ 24:16* – 25:36* शुभ
अमृत 25:36* – 26:56* शुभ
चर 26:56* – 28:17* शुभ
रोग 28:17* – 29:37* अशुभ

होरा, दिन
शुक्र 05:38 – 06:44
बुध 06:44 – 07:50
चन्द्र 07:50 – 08:57
शनि 08:57 – 10:03
बृहस्पति 10:03 – 11:10
मंगल 11:10 – 12:16
सूर्य 12:16 – 13:22
शुक्र 13:22 – 14:29
बुध 14:29 – 15:35
चन्द्र 15:35 – 16:42
शनि 16:42 – 17:48
बृहस्पति 17:48 – 18:54

होरा, रात
मंगल 18:54 – 19:48
सूर्य 19:48 – 20:41
शुक्र 20:41 – 21:35
बुध 21:35 – 22:29
चन्द्र 22:29 – 23:22
शनि 23:22 – 24:16
बृहस्पति 24:16* – 25:09
मंगल 25:09* – 26:03
सूर्य 26:03* – 26:56
शुक्र 26:56* – 27:50
बुध 27:50* – 28:43
चन्द्र 28:43* – 29:37

*** उदयलग्न प्रवेशकाल ***

मेष > 03:50 से 05:40 तक
वृषभ > 05:40 से 07:30 तक
मिथुन > 07:30 से 09:45 तक
कर्क > 09:45 से 12:02 तक
सिंह > 12:02 से 14:15 तक
कन्या > 14:15 से 06:26 तक
तुला > 06:26 से 06:41 तक
वृश्चिक > 06:41 से 08:55 तक
धनु > 08:55 से 22:56 तक
मकर > 22:56 से 00:28 तक
कुम्भ > 00:48 से 02:16 तक
मीन > 02:16 से 03:50 तक

विभिन्न शहरों का रेखांतर (समय)संस्कार

(लगभग-वास्तविक समय के समीप)
दिल्ली +10मिनट——— जोधपुर -6 मिनट
जयपुर +5 मिनट—— अहमदाबाद-8 मिनट
कोटा +5 मिनट———— मुंबई-7 मिनट
लखनऊ +25 मिनट——–बीकानेर-5 मिनट
कोलकाता +54—–जैसलमेर -15 मिनट

नोट– दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है।
प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।
चर में चक्र चलाइये , उद्वेगे थलगार ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार करे,लाभ में करो व्यापार ॥
रोग में रोगी स्नान करे ,काल करो भण्डार ।
अमृत में काम सभी करो , सहाय करो कर्तार ॥
अर्थात- चर में वाहन,मशीन आदि कार्य करें ।
उद्वेग में भूमि सम्बंधित एवं स्थायी कार्य करें ।
शुभ में स्त्री श्रृंगार ,सगाई व चूड़ा पहनना आदि कार्य करें ।
लाभ में व्यापार करें ।
रोग में जब रोगी रोग मुक्त हो जाय तो स्नान करें ।
काल में धन संग्रह करने पर धन वृद्धि होती है ।
अमृत में सभी शुभ कार्य करें ।

दिशा शूल ज्ञान————-पश्चिम
परिहार-: आवश्यकतानुसार यदि यात्रा करनी हो तो घी अथवा काजू खाके यात्रा कर सकते है l
इस मंत्र का उच्चारण करें-:
शीघ्र गौतम गच्छत्वं ग्रामेषु नगरेषु च l
भोजनं वसनं यानं मार्गं मे परिकल्पय: ll

अग्नि वास ज्ञान -:
यात्रा विवाह व्रत गोचरेषु,
चोलोपनिताद्यखिलव्रतेषु ।
दुर्गाविधानेषु सुत प्रसूतौ,
नैवाग्नि चक्रं परिचिन्तनियं ।। महारुद्र व्रतेSमायां ग्रसतेन्द्वर्कास्त राहुणाम्
नित्यनैमित्यके कार्ये अग्निचक्रं न दर्शायेत् ।।

5 + 5 + 1 = 11 ÷ 4 = 3 शेष
मृत्यु लोक पर अग्नि वास हवन के लिए शुभ कारक है l

*** ग्रह मुख आहुति ज्ञान ***

सूर्य नक्षत्र से अगले 3 नक्षत्र गणना के आधार पर क्रमानुसार सूर्य , बुध , शुक्र , शनि , चन्द्र , मंगल , गुरु , राहु केतु आहुति जानें । शुभ ग्रह की आहुति हवनादि कृत्य शुभपद होता है

बुध ग्रह मुखहुति

 शिव वास एवं फल -:

5 + 5 + 5 = 15 ÷ 7 = 1 शेष

कैलाश वास = शुभ कारक

भद्रा वास एवं फल -:

स्वर्गे भद्रा धनं धान्यं ,पाताले च धनागम:।
मृत्युलोके यदा भद्रा सर्वकार्य विनाशिनी।।

 विशेष जानकारी 

*सर्वार्थ सिद्धि योग 09:19 से

*श्रीआद्य शंकराचार्य जयन्ती

*श्री सूरदास। जयन्ती

*** शुभ विचार ***

अग्निहोत्रं विना वेदाः न च दानं विना क्रियाः ।
न भावेनविना सिध्दिस्तस्माद्भावो हि कारणम् ।।
।। चा o नी o।।

यह बाते बेकार है. वेद मंत्रो का उच्चारण करना लेकिन निहित यज्ञ कर्मो को ना करना. यज्ञ करना लेकिन बाद में लोगो को दान दे कर तृप्त ना करना. पूर्णता तो भक्ति से ही आती है. भक्ति ही सभी सफलताओ का मूल है

*** सुभाषितानि ***

गीता -: पुरुषोत्तमयोग अo-15

द्वाविमौ पुरुषौ लोके क्षरश्चाक्षर एव च ।,
क्षरः सर्वाणि भूतानि कूटस्थोऽक्षर उच्यते ॥,

इस संसार में नाशवान और अविनाशी भी ये दो प्रकार (गीता अध्याय 7 श्लोक 4-5 में जो अपरा और परा प्रकृति के नाम से कहे गए हैं तथा अध्याय 13 श्लोक 1 में जो क्षेत्र और क्षेत्रज्ञ के नाम से कहे गए हैं, उन्हीं दोनों का यहाँ क्षर और अक्षर के नाम से वर्णन किया है) के पुरुष हैं।, इनमें सम्पूर्ण भूतप्राणियों के शरीर तो नाशवान और जीवात्मा अविनाशी कहा जाता है॥,16॥,

***आपका दिन मंगलमय हो ***
*** *** *** *** *** *** 
आचार्य नीरज पाराशर (वृन्दावन)
(व्याकरण,ज्योतिष,एवं पुराणाचार्य)

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