America, China and Russia join India on Kashmir issue: कश्मीर मुद्दे पर भारत के साथ हुए अमेरिका, चीन और रूस

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नई दिल्ली। भारत ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल-370 हटा कर उसे दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया है। जम्मू-कश्मीर में हुए इस बदलाव से पाकिस्तान बुरी तरह से तिलमिला गया था। पाकिस्तान की बौखलाहट दुनिया देख रही थी। पाकिस्तान ने भारत के साथ अपने राजनयिक संबंध कम किए। भारत के राजदूत तो पाकिस्तान से बापस भेज दिया। व्यापार पर रोक, वायुक्षेत्र पर प्रतिबंध और समझौता एक्सप्रेस पर रोक आदि कदम उठाए। इससे भी जब पाकिस्तान को संतुष्टी नहीं मिली तो विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी पहले तो मदद की गुहार लेकर अमेरिका भागे फिर वह चीन की ओर पहुंचे। हालांकि उन्हें कहीं से भी संतोषजनक उत्तर नहीं मिला। अब दुनिया की महाशक्तियों में शामिल रूस ने भी कश्मीर मुद्दे पर भारत के कदम का समर्थन किया है और कहा है कि इसे लेकर किए गए बदलाव भारतीय संविधान के ढांचे के तहत हैं। रूस ने साथ ही भारत और पाकिस्तान से शांति बनाए रखने का भी आग्रह किया है।
रूस के विदेश मंत्री ने शुक्रवार को एक प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि मॉस्को उम्मीद करता है कि ‘भारत और पाकिस्तान नई दिल्ली द्वारा जम्मू एवं कश्मीर के दर्जे में किए गए बदलाव के कारण क्षेत्र में स्थिति को जटिल नहीं होने देंगे। रूस ने कहा कि ‘जम्मू एवं कश्मीर के दर्जे में बदलाव और उसका दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजन भारतीय गणतंत्र के संविधान के ढांचे के तहत किया गया है।’रूस भारत और पाकिस्तान के रिश्ते सामान्य रखने का हमेशा से समर्थन करता रहा है।
विदेश मंत्रालय ने कहा, हम उम्मीद करते हैं कि दोनों देशों के बीच जो भी मतभेद हैं वे 1972 के शिमला समझौते और 1999 के लाहौर घोषणापत्र के प्रावधानों के अनुरूप राजनीतिक और कूटनीतिक तरीके से द्विपक्षीय आधार पर सुलझाए जाएंगे। अमेरिका ने कहा कि कश्मीर पर उसकी नीति में कोई बदलाव नहीं आया है और उसने भारत तथा पाकिस्तान से शांति एवं संयम बरतने का आह्वान किया। विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मोर्गन ओर्टागस से संवाददाताओं ने यह पूछा कि क्या अमेरिका की कश्मीर पर नीति में कोई बदलाव आया है। अमेरिका की नीति यह रही है कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान के बीच एक द्विपक्षीय मुद्दा है और दोनों देशों को ही इस मुद्दे पर बातचीत की गति और गुंजाइश को लेकर फैसला करना है। ओर्टागस ने एक और सवाल के जवाब में कहा, अगर नीति में कोई बदलाव हुआ तो निश्चित तौर पर मैं यहां घोषणा करुंगी लेकिन ऐसा नहीं है। उन्होंने कहा कि अमेरिका कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच वार्ता का समर्थन करता है। विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने कहा, हमने सभी पक्षों से शांति एवं संयम बरतने का आह्वान किया है। हम मुख्यत: शांति एवं स्थिरता चाहते हैं और हम जाहिर तौर पर कश्मीर तथा अन्य संबंधित मुद्दों पर भारत और पाकिस्तान के बीच सीधे संवाद का समर्थन करते हैं। वहीं चीन ने शुक्रवार को कहा कि चीन भारत और पाकिस्तान को पड़ोसी मित्र मानता है। वह चाहता है कि दोनों देश संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव और शिमला समझौते के माध्यम से कश्मीर मुद्दे को सुलझाएं। बता दें कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी कश्मीर मुद्दे पर समर्थन जुटाने कश्मीर पहुंचे थे जो कि उन्हें नहीं मिल सका।

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