Punjab-Haryana High Court : पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय ने म्यूजिक वीडियो के कलाकारों को दी बड़ी राहत, एफआईआर रद्द

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आशीष सिन्हा
आशीष सिन्हा
Aaj Samaj (आज समाज),Punjab-Haryana High Court, नई दिल्ली :
7* बूंदी नाबालिग रेप मामला: हाई कोर्ट ने दोनों आरोपियों को किया बरी,पोक्सो कोर्ट ने सुनाई थी फांसी की सज़ा

राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर पीठ ने बूंदी नाबालिग से रेप के मामले में दो आरोपियों को बरी कर दिया है। हाईकोर्ट में जस्टिस पंकज भंडारी की खंडपीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि पूरे मामले में पुलिस के पास कोई चश्मदीद गवाह नहीं था। इसके अलावा पुलिस सबूत जुटाने, सामान जब्ती के समय किसी भी स्वतंत्र गवाह को नहीं रखा।

दोनों आरोपियों पर नाबालिग से रेप के बाद हत्या करने का आरोप था और पोक्सो कोर्ट ने फांसी की सज़ा सुनाई थी।

हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि एफएसएल, मेडिकल और डीएनए रिपोर्ट से कहीं भी यह साबित नहीं होता है कि इन दोनों आरोपियों ने नाबालिग से रेप किया है। पोक्सो कोर्ट ने केवल परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर सजा सुनाई है। हाई कोर्ट ने कहा परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर सजा तभी सुनाई जा सकती है, जब कड़ी से कड़ी मिले, लेकिन इस पूरे केस में कई जगह कड़ियां टूट रही हैं। मामले में न्यायमित्र अधिवक्ता रवि चिरानिया ने कहा कि पोक्सो कोर्ट ने भावनात्मक रूप से फैसला सुनाया जबकि फैसला कानून सम्मत होना चाहिए।

हाई कोर्ट ने फैसले में कहा कि एफएसएल रिपोर्ट में कहा गया, डेड बॉडी से साथ रेप किया गया और इस आधार पर पोक्सो कोर्ट ने इस मामलें को रेयरेस्ट ऑफ रेयर माना था। जबकि रिपोर्ट में केवल इस बारे में संभावनाएं जताई गई थी। अदालत ने कहा इस बारे में कोई भी प्रमाण नहीं दिया गया था। घटना का कोई चश्मदीद गवाह और ठोस सबूत पुलिस ने पेश नहीं किया।

अदालत ने कहा 62 वर्षीय आऱोपी छोटूलाल की जब्त धोती पर जो खून के निशान मिले। वो पीड़िता के नहीं थे। वो आऱोपी के खून से ही मैच होते है। इसके अलावा छोटूलाल के खिलाफ कोई सबूत पुलिस ने पेश नहीं किए।

दरसअल बूंदी जिले के खीण्या पंचायत के गांव काला कुआं के जंगल में बकरिया चराने गई नाबालिग की 23 दिसम्बर 2021 शव मिला। पुलिस ने इस मामले में तत्परता दिखाते हुए अगले दिन ही तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया था। एक आरोपी नाबालिग था, जिसका ट्रायल जुवेनाइल कोर्ट में अलग से चल रहा है। वहीं दो अन्य आरोपी सुल्तान और 62 साल के छोटूलाल के खिलाफ बूंदी की पोक्सो कोर्ट में मुकदमा चला, जिसके बाद कोर्ट ने 28 अप्रैल 2022 को दोनों को फांसी की सजा सुनाई थी।

8*पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय ने म्यूजिक वीडियो के कलाकारों को दी बड़ी राहत, एफआईआर रद्द*

पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट कर कथित रूप से धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप में मिस पूजा, अभिनेता हरीश वर्मा और अन्य के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द कर दिया है। वीडियो में मिस पूजा को धार्मिक बोल वाले गाने पर डांस करते हुए दिखाया गया है। प्राथमिकी उन लोगों के एक समूह द्वारा दर्ज की गई थी जिन्होंने दावा किया था कि वीडियो उनके धार्मिक विश्वासों के लिए अपमानजनक था क्योंकि इसने यमराज को म्यूजिक वीडियो में एक शराबी पति ‘जीजू’ के रूप में चित्रित किया था।

यह प्राथमिकी, दंड संहिता की धारा 156 (3) के तहत एक मजिस्ट्रेट के निर्देश पर  धारा 295-ए, 499, और 500 के तहत रूपनगर  पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई थी।

अदालत ने कहा कि शिकायतकर्ताओं ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 156 (3) के तहत आवेदन दाखिल करते समय उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया था। उन्होंने सीआरपीसी की धारा 154 के तहत कोई शिकायत दर्ज नहीं की थी, न ही उन्होंने अपने आवेदन के साथ शपथ पत्र संलग्न किया था।

अदालत ने पाया कि मजिस्ट्रेट ने प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश देने से पहले सबूतों पर ठीक से विचार नहीं किया था। अदालत ने कहा कि मजिस्ट्रेट ने उस गाने को देखा भी नहीं था जो कथित रूप से आपत्तिजनक था, और इस बात का कोई सबूत नहीं था कि गाने का उद्देश्य जानबूझकर किसी समूह की धार्मिक भावनाओं का  अपमान करना था। अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के एक पिछले फैसले, रामजीलाल मोदी बनाम यूपी राज्य का भी हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि भारतीय दंड संहिता की धारा 295ए, जो धार्मिक विश्वासों के जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण अपमान पर रोक लगाती है, उन मामलों पर लागू नहीं होती है जहां कोई सबूत नहीं है। इन निष्कर्षों के आलोक में, अदालत ने प्राथमिकी और सभी संबंधित कार्यवाही को रद्द कर दिया।

9*ऑस्ट्रेलिया के मोस्ट डेकोरेटेड वॉर वेटर्न बेन रॉबर्ट्स स्मिथ को सिडनी फेडरल कोर्ट ने घोषित किया वॉर क्रिमिनल*

सिडनी फेडरल कोर्ट द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद ऑस्ट्रेलिया के सबसे प्रतिष्ठित रिटायर्ड योद्धा  बेन रॉबर्ट्स स्मिथ ने सेवन मीडिया नेटवर्क से इस्तीफा दे दिया। बेन रॉबर्ट्स स्मिथ ने अपने खिलाफ लिखे कुछ लेखों के खिलाफ मानहानि का दावा किया था। ये सभी लेख अफगानिस्तान वॉर के दौरान रॉबर्ट्स स्मिथ द्वारा ह्युमन राइट्स के उल्लंघन के बारे में थे। अफगान वॉर से लौटने के बाद रॉबर्ट्स स्मिथ ने फौज से इस्तीफा दे कर सेवन मीडिया नेटवर्क से जुड़े थे।

सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड ने 8 और 9 जून 2018 को रॉबर्ट्स-स्मिथ के बारे में लेखों का पहला सेट प्रकाशित किया था। लेखों में निहित है कि, ऑस्ट्रेलियाई विशेष वायु सेवा रेजिमेंट (एसएएसआर) के साथ अपनी सदस्यता के दौरान, रॉबर्ट्स-स्मिथ ने एक निहत्थे अली जान नाम का अफगान कैदी की हत्या कर दी थी। रॉबर्ट्स-स्मिथ ने जान को एक चट्टान से लात मारी और फिर एक अधीनस्थ ऑस्ट्रेलियाई सैनिक को उसे गोली मारने का आदेश दिया।

जून 2018 के अंत तक ऐसे कई लेख प्रकाशित किए गए थे। इन लेखों में, रॉबर्ट्स-स्मिथ पर नजरबंदी के तहत कई अफगान पुरुषों की हत्या करने, एक ऑस्ट्रेलियाई सैनिक को धमकाने और एक महिला के खिलाफ घरेलू हिंसा का आरोप लगाया गया था।

ऑस्ट्रेलियाई फेडरल कोर्ट के न्यायमूर्ति एंथोनी बेसांको ने अपना फैसला इंवेस्टिगेटिव रिपोर्टिंग पर नहीं, बल्कि सभ्य नागरिक मानक की “संभावनाओं के संतुलन” के आधार पर दिया। बेसांको ने मानहानि अधिनियम 2005 (NSW) की धारा 25 और धारा 26 का उल्लेख किया। अधिनियम के दोनों प्रावधान मानहानि के दावे का बचाव प्रदान करते हैं, प्रतिवादी को यह साबित करने की आवश्यकता होती है कि उसके खिलाफ किए गए प्रकाशन या मानहानिकारक मामला “प्रासंगिक रूप से” या “पर्याप्त रूप से” सत्य है। बेसांको ने पाया कि समाचार लेखों में लगाए गए आरोप पर्याप्त और प्रासंगिक सत्य थे और इस प्रकार स्मिथ की मानहानि की याचिका को खारिज कर दिया।

फेडरल कोर्ट का पूरा निर्णय सोमवार 5 जुलाई 2023 को प्रकाशित होने वाला है। इससे पहले, रॉबर्ट्स-स्मिथ से उनके प्रतिष्ठित विक्टोरिया क्रॉस पदक को छीनने की मांग की गई थी।

स्मिथ ने सेवन मीडिया नेटवर्क से इस्तीफा दे दिया। बेन रॉबर्ट्स स्मिथ ने अपने खिलाफ लिखे कुछ लेखों के खिलाफ मानहानि का दावा किया था। इस दावे को  ये सभी लेख अफगानिस्तान वॉर के दौरान रॉबर्ट्स स्मिथ द्वारा ह्युमन राइट्स के उल्लंघन के बारे में थे। अफगान वॉर से लौटने के बाद रॉबर्ट्स स्मिथ ने फौज से इस्तीफा दे कर सेवन मीडिया नेटवर्क से जुड़े थे।

सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड ने 8 और 9 जून 2018 को रॉबर्ट्स-स्मिथ के बारे में लेखों का पहला सेट प्रकाशित किया था। लेखों में निहित है कि, ऑस्ट्रेलियाई विशेष वायु सेवा रेजिमेंट (एसएएसआर) के साथ अपनी सदस्यता के दौरान, रॉबर्ट्स-स्मिथ ने एक निहत्थे अली जान नाम का अफगान कैदी की हत्या कर दी थी। रॉबर्ट्स-स्मिथ ने जान को एक चट्टान से लात मारी और फिर एक अधीनस्थ ऑस्ट्रेलियाई सैनिक को उसे गोली मारने का आदेश दिया।

जून 2018 के अंत तक ऐसे कई लेख प्रकाशित किए गए थे। इन लेखों में, रॉबर्ट्स-स्मिथ पर नजरबंदी के तहत कई अफगान पुरुषों की हत्या करने, एक ऑस्ट्रेलियाई सैनिक को धमकाने और एक महिला के खिलाफ घरेलू हिंसा का आरोप लगाया गया था।

ऑस्ट्रेलियाई फेडरल कोर्ट के न्यायमूर्ति एंथोनी बेसांको ने अपना फैसला इंवेस्टिगेटिव रिपोर्टिंग पर नहीं, बल्कि सभ्य नागरिक मानक की “संभावनाओं के संतुलन” के आधार पर दिया। बेसांको ने मानहानि अधिनियम 2005 (NSW) की धारा 25 और धारा 26 का उल्लेख किया। अधिनियम के दोनों प्रावधान मानहानि के दावे का बचाव प्रदान करते हैं, प्रतिवादी को यह साबित करने की आवश्यकता होती है कि उसके खिलाफ किए गए प्रकाशन या मानहानिकारक मामला “प्रासंगिक रूप से” या “पर्याप्त रूप से” सत्य है। बेसांको ने पाया कि समाचार लेखों में लगाए गए आरोप पर्याप्त और प्रासंगिक सत्य थे और इस प्रकार स्मिथ की मानहानि की याचिका को खारिज कर दिया।
फेडरल कोर्ट का पूरा निर्णय सोमवार 5 जुलाई 2023 को प्रकाशित होने वाला है। इससे पहले, रॉबर्ट्स-स्मिथ से उनके प्रतिष्ठित विक्टोरिया क्रॉस पदक को छीनने की मांग की गई थी।

10*दिल्ली क्राइम ब्रांच की कस्टडी में संपत नेहरा, लॉरेंस विश्नोई से होगा आमना-सामना, साकेत कोर्ट ने दी मंजूरी*

दिल्ली की साकेत कोर्ट ने शुक्रवार को आरोपी संपत नेहरा को दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच की नौ दिन की रिमांड पर भेज दिया। दिल्ली पुलिस ने गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई से क्रॉस एक्जामिनेशन के लिए उसकी हिरासत मांगी थी। लॉरेंस विश्नोई पहले से ही एक जबरन वसूली मामले में अपराध शाखा की रिमांड में है।

इससे पहले गुरुवार को कोर्ट ने लॉरेंस बिश्नोई की दस दिन की हिरासत दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच को दी थी। ताजा मामला दक्षिण पूर्वी दिल्ली इलाके के एक वकील से रंगदारी मांगने का है। मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट शिवानी चौहान ने जांच अधिकारी की दलीलों पर विचार करने के बाद अपराध शाखा को संपत नेहरा की नौ दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया। आरोपी संपत नेहरा को पंजाब से प्रोडक्शन वारंट पर लाया गया था। वह एफआईआर नंबर 309/22, यू/एस 25 आर्म्स एक्ट, पुलिस स्टेशन सिटी खरड़, पंजाब में न्यायिक हिरासत में था।

दिल्ली पुलिस के जांच अधिकारी ने अदालत की अनुमति से संपत नेहरा से 30 मिनट तक पूछताछ की। उन्होंने आरोपी संपत नेहरा से पूछताछ और औपचारिक गिरफ्तारी की मांग को लेकर एक अर्जी दायर की। संपत नेहरा को गिरफ्तार करने के बाद, जांच अधिकारी ने एक आवेदन दायर कर आरोपी की नौ दिनों की हिरासत की मांग की। आईओ ने कोर्ट के सामने तर्क रखे कि आरोपी संपत नेहरा को आरोपी लॉरेंस बिश्नोई से आमना-सामना कराना है और उन हथियारों के स्रोत की पहचान करना है जो अपराध में इस्तेमाल किए गए थे। इसके अलावा विभिन्न स्थानों पर अपराध करने के लिए गिरोह द्वारा इस्तेमाल किए गए धन के स्रोत का पता भी लगाना है। आईओ ने कहा कि संपत और लॉरेंस राजस्थान, पंजाब और हरियाणा के किन-किन गिरोह के संपर्क में हैं और जेल में रहकर उनकी मॉडस आपेरंडी क्या होती है यह सब पता लगाना है।

दरअसल, 24 अप्रैल को अधिवक्ता रमनदीप सिंह की शिकायत के आधार पर प्राथमिकी सनलाइट कॉलोनी थाने में दर्ज की गयी थी। इस मामले में लॉरेंस को 31 मई को गिरफ्तार किया गया था। अदालत ने आरोपी के वकील को हर दिन पांच से 10 मिनट और ऑडियो/वीडियो कॉल के माध्यम से बात करने और पुलिस हिरासत रिमांड की पूरी अवधि के दौरान हर दूसरे दिन हर 30 मिनट के लिए शारीरिक रूप से आरोपी से बात करने की इजाजत दी। शिकायतकर्ता रमनदीप सिंह ने आरोप लगाया था कि 23-24 मार्च की रात को उनके पास एक अज्ञात अंतरराष्ट्रीय नंबर से फोन आया। फोन करने वाले ने उससे एक करोड़ रुपये की मांग की थी। रमनदीप ने कहा कि कुछ समय बाद उन्हें एक अंतरराष्ट्रीय नंबर से कई कॉल आए और उनकी और उनके परिवार की जान को खतरा है।

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