Utterkatha-Yogi turning challenge into opportunity! चुनौती को मौके में बदलते योगी !

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कोरोना के आपदकाल में दिल्ली, मुम्बई, पंजाब, हरियाणा और अन्य राज्यों से बदहवास होकर अपने मुलुक पहुंचे गरीब गुरगे मजदूर कामगारों को इज्जत के साथ दो रोटी कमाने की योगी सरकार की कोशिशें रंग लाने लगी हैं । दूसरे राज्यों के मुकाबले शायद इसी वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योगी के काम को ज्यादा सराहा है । इस कष्टकाल में बड़े शहरों से  लाखों की तादाद में इस वर्ग का सबसे बड़ा पलायन जिन लोगों का हुआ है उनमें ज्यादातर उत्तर प्रदेश के ही रहने वाले हैं । इनका बड़ा हिस्सा अब रोजी रोटी के लिए अब वापस जाने के नाम पर कराह उठता है। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के लिए निश्चित रूप से यह बड़ी चुनौती भी है और इसे मौके में बदलने का समय भी है ।
सीएम योगी आदित्यनाथ स्वीकार करते हैं कि प्रदेश सरकार के सामने कोरोना संक्रमण की चैन तोड़ने के साथ ही प्रवासी व निवासी, दोनों तरह के श्रमिकों और कामगारों को रोजगार देने की चुनौती का सामना कर रही है। सरकार इन चुनौतियों से पूरी तैयारी के साथ निपट रही है। योगी कहते हैं कि उनकी सरकार ने इसे एक अवसर के तौर पर लिया है। दूसरे राज्यों से लौटे श्रमिकों और कामगारों के साथ ही यहां स्थाई रूप से रहने वालों को भी रोजगार उपलब्ध कराया जा रहा है । उत्तर प्रदेश कामगार और श्रमिक आयोग का गठन इस दिशा में मील का पत्थर साबित होने जा रहा है । इस आयोग के जरिए कामगारों और श्रमिकों की आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा पहले से बेहतर और मजबूत करने का लक्ष्य है। अब उन्हें उनके अपने जिले में ही रोजगार मिलेगा । अरसे से सरकार की इनायत भरी नजर की दरकार रखने वाले उत्तर प्रदेश के छोटे व मझोले उद्योगों ने कोरोना संकट के इस दौर में संजीवनी का काम किया है। प्रदेश में रोजगार दे सकने की क्षमता को देखते हुए योगी सरकार की रहमतों की बारिश अब एमएसएमई सेक्टर पर जमकर हो रही है। एमएसएमई विभाग के मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह और प्रमुख सचिव नवनीत सहगल कोरोना संकट में पैदा हुए रोजगार संकट को दूर करने की अहम धुरी बन कर उभरे हैं। अपनी प्रशासनिक क्षमताओं के लिए जाने जाने वाले सहगल ने बीते दो महीने के लाकडाउन में छोटे व मझोले उद्योगों से लेकर स्वंय सहायता समूहों, खादी एवं ग्रामोद्योग ईकाईयों से लेकर एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी) योजना में रोजगार के अवसर तलाशने और उन्हें बढ़ाने के उपाय खोजे हैं। इसी का नतीजा है कि आज देश भर में उत्तर प्रदेश की अकेली सरकार ने दावा किया कि वह छोटे व मझोले उद्यमों में 90 लाख अतिरिक्त रोजगार पैदा करेगी और कोरोना संकट के चलते रोजगार छिनने जैसी अहम समस्या का सामना करेगी। इसी पहल के तहत लाकडाउन के दौरान ही प्रदेश सरकार ने हमेशा से पूंजी की समस्या से जूझ रहे एमएसएमई सेक्टर को बड़े पैमाने पर कर्ज की व्यवस्था की।
सरकार ने बीते महीने रोजगार संगम आनलाइन मेला की शुरूआत कर महज कुछ ही घंटे के भीतर एमएसएमई सेक्टर के 56754 उद्यमियों को 2002 करोड़ रुपये के कर्ज बांटे। खास एमएसमई सेक्टर के लिए आयोजित यह आनलाइन लोन मेला छोटे उद्यमों के लिए संकटकाल में संजीवनी साबित हुआ। एक क्लिक पर आनलाइन 2002 करोड़ रुपये का लोन देकर मुख्यमंत्री ने हजारों एमएसएमई उद्यमियों को उबारने का काम किया। मेले में एक ही टेबल पर उद्यमियों और बैंकर्स को बैठाकर कर्ज की सभी औपचारिकताओं को तुरंत पूरा किया गया। इन 56754 औद्योगिक ईकाईयों से दो लाख लोगों को रोजगार की गारंटी मिली । मुख्यमंत्री के ताजा एलान के मुताबिक औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देने के लिए यूपी आइए, उद्योग लगाइए नाम का महाअभियान शुरू किया जाएगा। इसके तहत 1000 दिनों की समयावधि के भीतर आखिरी सौ दिनों में आवेदन कर तय एनओसी देने की व्यवस्था होगी। उद्योगों की राह आसान करने के लिए पर्यावरण नियमों को छोड़ बाकी नियमों का सरलीकरण किया गया है। अब प्रदेश में आटोमोड में एनओसी की पूरी प्रक्रिया संचालित की जाएगी। कोरोना संकट और लाकडाउन के दौर में ही मुख्यमंत्री ने एमएसएमई का साथी पोर्टल लांच करते हुए उद्यमियों को सिंगल विंडो सिस्टम की तस्वीर भी दिखाई। साथी पोर्टल पर एमएसएमई सेक्टर की कई समस्याओं के आनलाइन निदान की व्यवस्था है। दरअसल उत्तर प्रदेश ने पहले से ही एमएसएमई सेक्टर को मजबूत करने की तैयारी कर रखी थी। इसी के चलते  केंद्र से आर्थिक पैकेज एलान के तत्काल बाद लाकडाउन अवधि में भी इतनी बड़ी धनराशि का लोन देने वाला उत्तर प्रदेश पहला राज्य बना। आत्मनिर्भर भारत अभियान पर खुद मुख्यमंत्री योगी ने दावा किया है  कि अब तो ये कोशिश रहेगी कि दीपावली में गौरी गणेश की मूर्तियां चीन से नहीं आएं। उनका कहना है कि गोरखपुर के टेराकोटा में चीन से बेहतर मूर्तियां बनाने का हुनर है। योगी के मुताबिक देश का सबसे बड़ा एमएसएमई  सेक्टर उत्तर प्रदेश में है। प्रदेश में छोटी बड़ी मिलाकर 90 लाख एमएसएमई इकाईयां हैं। इसी कोरोना महामारी के दौरान ही प्रदेश में पीपीई किट की 26 यूनिटें खड़ी हुईं हैं। एमएसएमई प्रमुख सचिव नवनीत सहगल के मुताबिक अब प्रदेश सरकार का जोर हर इकाई में कम से कम एक नया रोजगार सृजित करने की होगी।
इसी पहल को आगे बढ़ाते हुए नोएडा की गारमेंट्स इंडस्ट्री को रफ्तार देने के लिए 25 हजार टेलर को रोजगार मिलेगा। इसके लिए मुख्यमंत्री जल्दी ही लखनऊ में 1.35 लाख प्रवासी कामगरों को आॅफर लेटर देंगे। कार्यक्रम का आयोजन सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) एवं उद्यम प्रोत्साहन विभाग की ओर से कराया जाएगा। आॅफर लेटर हासिल करने वाले सभी कामगार नोएडा की गारमेट?स इंडस्ट्री और रियल एस्टेट सेक्टर में काम करेंगे। प्रदेश सरकार का महत्वाकांक्षी योजना ओडीओपी का प्रवासी मजदूरों को रोजगार देने के लिए बड़े पैमाने पर उपयोग में लाने की भी योजना तैयार की गयी है। इसके तहत बड़ी तादाद में लोगों को स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया जाएगा। ओडीओपी के तहत तैयार होने वाले उत्पादों को उपभोक्ताओं तक पहुंचाने का जिम्मा सरकार भी उठाएगी। प्रमुख सचिव सहगल की पहल पर पहले से ही प्रदेश सरकार ओडीओपी के लिए विशेष स्टोर खोलने की योजना पर काम कर रही है।  उधर कोरोना संकट के दौरान बड़ी तादाद में गांव लौटे प्रवासी मजदूरों को पुनर्वास और रोजगार देने में जुटी योगी सरकार ने उनके लिए अलग से एक आयोग के गठन को मंजूरी दे दी है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट ने प्रवासी निवासी कामगार श्रमिकों के लिए प्रदेश कामगार और श्रमिक सेवायोजन एवं रोजगार आयोग के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दे है। यह आयोग राज्य स्तर पर होगा और मुख्यमंत्री इसके अध्यक्ष होंगे। राज्य के लघु उद्यम मंत्री व प्रदेश सरकार के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह बताते हैं कि श्रम एवं सेवायोजन मंत्री इस आयोग के संयोजक होंगें जबकि इसमें दो  उपाध्यक्ष होंगे। इनमें एक औद्योगिक विकास मंत्री और एक एमएसएमई के मंत्री होंगे। आयोग के सदस्य के तौर कृषि विभाग मंत्री, ग्राम विकास मंत्री, पंचायती राज विभाग मंती नगर विकास मंत्री को शामिल किया जाएगा। गैर सराजनैतिक सदस्यों में औद्योगिक एवं अवस्थापना आयुक्त (आईआईडीसी) और अन्य अधिकारी भी शामिल किए जाएंगे। आयोग का एक 14 सदस्यीय कार्यकारी परिषद बनेगा जिसकी अध्यक्षता आईआईडीसी करेंगे।
इसी आयोग के तहत हर जिले में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में समिति बनेगी जिसमें कुल 19 सदस्य होंगे। जिले के प्रभारी मंत्री हर महीने जिला स्तर पर गठित आयोग की समीक्षा करेंगे।  प्रवासियों को ही रोजगार देने की एक और कड़ी में सबसे अहम मनरेगा भी साबित हो रहा है। प्रदेश के अंदर वर्तमान समय में मनरेगा में 57 लाख 12 हजार 975 श्रमिक पंचायती राज विभाग के माध्यम से काम कर रहे हैं। यह संख्या पूरे देश का 18 प्रतिशत है। रोजगार देने के मामले में पूरे देश में मनरेगा में यूपी पहले स्थान पर है। उत्तर प्रदेश में अब तक कुल 7 करोड़ 93 लाख मानव दिवस सृजित किए गए हैं। निर्माण मजदूरों को रोजगार देने के साथ ही विकास कार्यों में तेजी लाने के लिए ही मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया है कि निर्माण कार्यों की गति को और तेज किया जाए। इसी क्रम में लोक निर्माण विभाग में 41 हजार 750 करोड़ रुपए के 3083 कार्य प्रारंभ किए गए हैं। इन कार्यों में 41 हजार 468 श्रमिकों को रोजगार मिला है। वहीं अमृत योजना की 128 योजनाओं में 3 हजार 711 श्रमिक कार्य कर रहे हैं। हाउसिंग बोर्ड और डेवलपमेंट अथॉरिटी की 444 योजनाओं में 9 हजार 916 लोग कार्य कर रहे हैं। आवास विकास विभाग के क्षेत्र में 926 प्रोजेक्ट में 20 हजार 211 से अधिक श्रमिक कार्य कर रहे हैं। बीते रविवार तक कुल मिलाकर 1649 ट्रेनों में 22 लाख 26 हजार 254 लोग प्रदेश में आ चुके हैं।

हेमंत तिवारी
(लेखक उत्तर प्रदेश पे्रस मान्यता समिति के अध्यक्ष हैं।) यह इनके निजी विचार हैं।

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