ग्रह बचाने के लिए प्रकृति के प्रति श्रद्धा जरूरी: कुसुम धीमान

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To save the planet reverence for nature is necessary: Kusum Dhiman

आज समाज डिजिटल, पानीपत : 

आज सारी दुनिया जलवायु-परिवर्तन के प्रभाव के कारण होने वाली आपदाओं के नतीजों से जूझ रही है और हरित व सुरक्षित ऊर्जा विकल्पों की तलाश कर रही है। ‘भारत में हरित हाइड्रोजन के लिए अवसर’ शीर्षक के साथ दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय जलवायु शिखर सम्मेलन 2022 बर्गन, नॉर्वे में शुरू हुआ। जिसमें उद्योग निकायों के प्रतिनिधि, शिक्षाविद, शोधकर्ता और नीति निर्माता हरित ऊर्जा के भविष्य , विशेष रूप से हरित हाइड्रोजन के उपयोग पर विचार-विमर्श कर रहे हैं।

प्राकृतिक संसाधनों के प्रति श्रद्धा जगाने की आवश्यकता पर जोर दिया

इस बारे में जानकारी देते हुए स्टेट मीडिया को–ऑर्डिनेटर हरियाणा व आर्ट ऑफ लिविंग फैकेल्टी कुसुम धीमान ने बताया कि वैश्विक मानवतावादी और आध्यात्मिक गुरु, गुरुदेव श्री श्री रविशंकर,को उद्घाटन भाषण देने के लिए आमंत्रित किया गया था, जहां उन्होंने जागरूकता बढ़ाने और ग्रह को बचाने के लिए प्राकृतिक संसाधनों के प्रति श्रद्धा जगाने की आवश्यकता पर जोर दिया। उनके द्वारा स्थापित आर्ट ऑफ लिविंग संस्था ने पूरे भारत में 48 नदियों को फिर से जीवंत और पुनर्जीवित किया है, जिससे 34.5 मिलियन से अधिक लोगों को लाभ पहुँचा है और 36 देशों में 81 मिलियन पेड़ लगाए गए हैं।

Opportunities for Green Hydrogen in India

स्टेट मीडिया को–ऑर्डिनेटर व आर्ट ऑफ लिविंग फैकेल्टी कुसुम धीमान ने बताया कि गुरुदेव के अलावा, उद्घाटन समारोह में उपस्थित अन्य गणमान्य व्यक्तियों और वक्ताओं में माननीय श्री नितिन गडकरी, परिवहन मंत्री, भारत; जन क्रिश्चियन वेस्ट्रे, व्यापार और उद्योग मंत्री, नॉर्वे; एस्पेन बार्थ एड, जलवायु और पर्यावरण मंत्री, नॉर्वे; एरिक सोलहेम, अध्यक्ष ग्रीन हाइड्रोजन संगठन – GH2 ( UNEP के पूर्व निदेशक और नॉर्वे में मंत्री) थे।

ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने की जरूरत

इस बारे में स्टेट मीडिया को–ऑर्डिनेटर व आर्ट ऑफ लिविंग फैकेल्टी कुसुम धीमान ने बताया कि गुरुदेव ने कहा, “सभी स्थानीय संस्कृतियों ने सूर्य, जल, पर्वतों और वायु को पवित्र माना है,” ये (संसाधन) ग्रह के सतत विकास और विकास का भविष्य हैं। हमें ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने की जरूरत है। हमें अपने जल संसाधनों का ध्यान रखना होगा। हमें पृथ्वी को उन हानिकारक रसायनों और उर्वरकों से बचाने की ज़रूरत है जो भूमि से हमारे शरीर में पहुँचते हैं। ” उन्होंने उल्लेख किया कि भारत और नॉर्वे ने दो क्षेत्रों में नेतृत्व किया है- संघर्ष समाधान/शांति स्थापना और पर्यावरण संरक्षण। गुरुदेव ने यह भी साझा किया कि कैसे भारत की प्राचीन परंपरा में यदि एक पेड़ को काटना पड़ता था तो पेड़ काटने वाले व्यक्ति को यह सुनिश्चित करना आवश्यक था कि उसके स्थान पर पांच और पेड़ उगाने के लिए बीज बोए जाएँ । गुरुदेव ने पाकिस्तान में विनाशकारी बाढ़ सहित कई प्राकृतिक आपदाओं पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “हरित ऊर्जा ही एकमात्र तरीका है जिससे हम अपने ग्रह को बनाए रख सकते हैं।”

माननीय नितिन गडकरी,भारत के परिवहन मंत्री ने साझा किया, “भारत में हरित हाइड्रोजन का सबसे बड़ा उत्पादक बनने की क्षमता है।” उन्होंने पराली जलाने जैसी कुछ प्रथाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता का भी उल्लेख किया जो पर्यावरण और लोगों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाती हैं।

स्टेट मीडिया को–ऑर्डिनेटर व आर्ट ऑफ लिविंग फैकेल्टी कुसुम धीमान ने बताया कि यह कार्यक्रम पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा इन्वेस्ट इंडिया (नेशनल इनवेस्टमेंट प्रमोशन एंड फैसिलिटेशन एजेंसी), ग्रीनस्टैट नॉर्वे और नॉर्वेजियन हाइड्रोजन फोरम के साथ साझेदारी में आयोजित किया गया था। शिखर सम्मेलन के कुछ प्रमुख केंद्रित क्षेत्रों में औद्योगिक और घरेलू खपत के लिए भारत में बड़े पैमाने पर हाइड्रोजन संयंत्र स्थापित करने के लिए प्रोत्साहन की पहचान करना; हरित हाइड्रोजन के परिवहन और भंडारण के लिए सही बुनियादी ढांचे की स्थापना और विकास; लागत प्रभावी प्रौद्योगिकियां; आर एंड डी सहयोगी गठजोड़; उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना, अंतर्राष्ट्रीय मानकों के संबंध में उपलब्ध मानकों और नीतियों का मानचित्रण, भारत के नेट जीरो लक्ष्यों को प्राप्त करने की दिशा के साथ स्थायी ऊर्जा सुरक्षा प्राप्त करने के तरीके शामिल हैं।

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