Third Day of Bhagwat Katha : कलयुग में भागवत कथा साक्षात श्रीहरि का स्वरूप : पं. राधे राधे महाराज

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Third Day of Bhagwat Katha
Third Day of Bhagwat Katha

Aaj Samaj (आज समाज),Third Day of Bhagwat Katha,पानीपत: मॉडल टाउन में स्थित मुल्तान भवन के प्रांगण में चल रही श्री अवध धाम गुरु कृपा ट्रस्ट वृन्दावन एवं पानीपत के तत्वावधान में सप्त दिवसीय भागवत कथा के तृतीय दिवस पर प्रसिद्ध कथा वाचक भागवत रसिक पंडित राधे-राधे महाराज ने कहा कि कलयुग में भागवत कथा साक्षात श्रीहरि का स्वरूप है। इस कथा को सुनने के लिए देवी देवता भी तरसते हैं, परंतु दुर्लभ मानव प्राणी को यह कथा सहित भी प्राप्त हो जाती है, क्योंकि यदि भगवान किसी से सर्वाधिक स्नेह करते हैं तो वह मानव रूपी अपने भक्तों को करते हैं। मानव जीवन तभी धन्य होता है, जब वह कथा स्मरण का लाभ प्राप्त कर लेता है। सत्संग एवं कथा के माध्यम से मनुष्य भगवान की शरण में पहुंचता है। वरना वह इस संसार में आकर मोह माया के चक्कर में पड़कर अपना मानव जीवन जोकि अश्वमेध यज्ञ के समान होता है, उसको व्यर्थ में ही निकाल देता है।

 

सत्य आचरण का स्वरूप है भागवत कथा

पंडित राधे-राधे महाराज ने व्यास मंच पर भागवत कथा के प्रसंग पर चर्चा करते हुए कहा कि मनुष्य को समय निकालकर श्रीमद् भागवत कथा का सिमरन अवश्य करना चाहिए। बच्चों को संस्कारवान यदि बनाना है तो सत्संग का द्वार जरूर दिखाना पड़ेगा। आज के 21वीं सदी के भारत में हम सब पश्चिमी सभ्यता का अनुसरण करने में लगे हुए हैं और लगे भी क्यों ना, इस भागदौड़ और फास्ट चल रही जिंदगी के अंदर केवल प्रतिस्पर्धा, प्रतियोगिता ही रह गई है। पंडित राधे-राधे महाराज ने कहा सत्य आचरण का स्वरूप है भागवत कथा। आज के इस दौर में हम सब राजा परीक्षित तो नहीं बन सकते, लेकिन जो भागवत कथा से पूर्व राजा परीक्षित ने अपराध किया था वह अपराध हम जाने अनजाने में नहीं अपितु इस 21वीं सदी में जानबूझकर कर रहे हैं।

 

 

 

Third Day of Bhagwat Katha
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जो सत्य को समझ लेता है वह कभी भी दुखी नहीं रहता

आज क्यों ना हम सब भागवत कथा सुनने के बाद का राजा परीक्षित बने जिससे समाज का उद्धार हो और समाज का कल्याण हो मानव समाज के उद्धार के लिए धरती पर महापुरुषों का वितरण होता रहा है और महापुरुषों का “ही समाज का कल्याण का कारक होता है। राधे-राधे महाराज ने कहा मनुष्य लोगों को नहीं भोगता अपितु भोग ही मनुष्य को भोग लेता है। इस विषय पर सत्य को समझ लेता है मानो वही ज्ञानी मनुष्य है वही महात्मा है, वही संत है, वही सन्यासी है, वही भक्त हैं, वही सदाचारी है वही गुणकारी है, जो इस सत्य को समझ लेता है वह कभी भी दुखी नहीं रहता। यद्यपि भगवान के द्वारा बनाई गई 8400000 योनियों में मनुष्य को तो कर्म के बौद्ध के अनुसार आना ही पड़ता है और 8400000 योनियों को भोगना ही पड़ता है। प्रश्न यह उठता है कि उन 84 लाख योनियों में आपकी योनी के अंदर रहकर समाज के लिए कुछ कर पाए।

 

भक्ति के साधन से ही मुक्ति संभव

आप कितना जिए समाज में यह महत्वपूर्ण नहीं है आप कैसे जिए यह समाज के लिए महत्वपूर्ण होता है राधे-राधे महाराज ने कहा की भागवत कथा भगवान का सचित्र रूप है यदि भगवान का आप साक्षात दर्शन करना चाहते हैं, तो सबसे सरल सहज सुगम रास्ता केवल सत्संग एवं भागवत कथा है। दिव्य उपदेशों की चर्चा करने मात्र से ही पुण्य बढ़ता है। भक्ति के साधन से ही मुक्ति संभव है। सत्य सर्वत्र एवं व्यापक होता है। सत्य चाहे किसी भी प्रकार का हो वह आचरण में दिखी जाता है। सत्य का आचरण भी प्रभु प्राप्ति का सर्वोत्तम मार्ग है। सत्य से सत्यनारायण की प्राप्ति संभव होती। राधे-राधे महाराज ने कहा भागवत कथा प्रारंभ सत्य से हुआ एवं समापन भी सत्य की वंदना से प्रारंभ हुआ। परमात्मा के चरणों में अनंत प्रेम ही संपूर्ण सत्य का आधार है। यदि हम प्रभु चरणों में भक्ति करते हैं तो समझो वह भी बिना सत्य के संभव नहीं है यदि हम सब सत्य को पहचानना चाहते हैं। हम सब सत्य को परिभाषित करना चाहते हैं तो भागवत कथा का स्मरण कर दिया ध्यान करें और एवं कराएं मार्गदर्शन से इस संपूर्ण सत्य को पहचाना भेजा ना जा सकता है।

 

 

मार्गदर्शन केवल श्रीमद् भागवत कथा एवं सत्संग से ही प्राप्त हो सकता है

मार्गदर्शन कहां से प्राप्त हो यह प्रश्न उठता है। मार्गदर्शन केवल श्रीमद् भागवत कथा एवं सत्संग से ही प्राप्त हो सकता है, क्योंकि शास्त्रों के द्वारा दिया गया, मार्गदर्शन संसार एक लोगों की अपेक्षा अति उत्तम है, क्योंकि सांसारिक व्यक्ति आपको यदि मार्गदर्शन देगा भी तो कहीं ना कहीं स्वार्थ से वशीभूत होकर ही देगा तो क्यों ना हम सत्य की शरण में जाकर अपने जीवन को अच्छा कैसे बनाया जाए। इसका मार्गदर्शन लेने के लिए सत्संग में जाएं पंडित राधे-राधे महाराज ने कहा की भागवत कथा एवं सत्संग ही सत्य का आचरण है।

 

कहीं ना कहीं आज के वर्तमान समय में सेवा के अंदर ही स्वार्थ छिपा हुआ है

इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में भारतीय जनता पार्टी की जिला अध्यक्ष डॉ अर्चना गुप्ता एवं रमेश माटा ने शिरकत की और दीप जलाकर आरती प्रारंभ की। अवध धाम गुरु कृपा ट्रस्ट ने अर्चना गुप्ता एवं रमेश माटा का स्वागत एवं सत्कार किया व्यास मंच पर विराजमान हो जी राधे-राधे महाराज ने एवं गुरु कृपा सेवा समिति के सभी सदस्यों ने डॉ अर्चना गुप्ता को पगड़ी एवं पटका पहनाकर सम्मानित किया। इस अवसर प्रेम मंदिर की प्रमाध्यक्ष कांता देवी महाराज कथा में पधारे। कांता देवी महराज ने कहा कि धर्म की राह पर चलकर ही हम सेवा कर सकते हैं, क्योंकि कहीं ना कहीं आज के वर्तमान समय में सेवा के अंदर ही स्वार्थ छिपा हुआ है। यदि सेवा के अंदर स्वार्थ आ जाए तो वह सेवा निरर्थक मानी जाती है क्योंकि सेवा बिना स्वार्थ के हो तो ही उत्तम है। इस अवसर पर मुख्य अतिथि रमेश माटा, डॉ अर्चना गुप्ता, समाजसेवी रमेश नागरू, तिलक राज मिगलानी, ओमप्रकाश विरमानी, रमेश खन्ना, राधेश्याम माटा, एसके अहूजा, नंद किशोर छाबड़ा, प्रधान विपिन चुग। डॉ रमेश चुग, अशोक नारंग, नीटू मिगलानी, संजय गांधी, सुदेश गोयल, राजेंद्र ग्रोवर, प्रीतम गुर्जर, रामरखा मानुजा, गोपाल कृष्ण सेठी, मंच का संचालन मदन लाल आजाद ने किया।

 

 

 

 

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